मंगलवार, 20 नवंबर 2012

श्री बालासाहेब ठाकरे को बारम्बार नमन ....!


ऐसे होती है सच्चे नायक की विदाई...मैंने मेरे जीवन में किसी की भी अंतिम यात्रा में आम जन का इतना बड़ा हुजूम नहीं देखा है आज तक ....मैं उस अंतिम यात्रा का गवाह हु जो दिन भर TV में टकटकी लगाए देखता रहा ....आरम्भ में मेरा अनुमान था की ८-१० लाख लोग सम्लित होगे ..श्री बालासाहेब ठाकरे जी की अंतिम यात्रा में ..पर्जैसे जैसे यह यात्रा बढ़ती गई ..ग़मगीन जन समूह साथ होता गया ....शिव जी पार्क पहुचते - पहुचते इस सव यात्रा में करीब 20 लाख लोग सामिल हो गए ...जो सायद एक बिश्व रिकार्ड हो .....सेकुलर और धर्म विशेष के लोग हमेशा से हि श्री बालासाहेब ठाकरे के बारे में कुछ न कुछ अनर्गल प्रलाप करते रहते है .....बाला साहेब ठाकरे की क्षेत्रवाद की राजनीती से मुझे भी घोर आपत्ति थी ......और सदा यह आपत्ति रहेगी ....पर कुछ भे कहे बाला साहेब ठाकरे एक शेर दिल  इंसान थे .!...जहा पर कोई पार्टी या पार्टी का नेता हिंदुत्व की बात करने से घबराते   थे वही पर बाला साहेब खुले आम दहाड़ते थे .चाहे पकिस्तान से क्रिकेट के रिश्ते को लेकर या फिर अयोध्या काण्ड  को लेकर ..बाला साहेब खुल कर बोलते थे ....पकिस्तान परस्त और देश द्रोहियों के खिलाफ .! ...मेरा बार बार सत -सत नमन है इस महायोधा को .....सायद इस तरह के योधा अब भारतीय  राजनीती में नहीं पैदा होगे .....जनीतिक कारणों स लगभग रोज़ ही कहीं न कहीं बंद का आह्वान किया जाता है और लोगों को दारा धमका कर बंद को सफल बनाया जाता है.. बाला साहिब के निधन पर बिना किसी आह्वान के मुंबई जेसे नगर का बंद हो जाना, उस दिवंगत आत्मा की महानता और उसके प्रति श्रद्धा और शोक का परिचारक है नाकि - किसी प्रकार के डर का.......

यदि किसी के घर में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो क्या वो परिवार अपनी दुकान, अपना संस्थान डर के मारे बंद क...
रता है ? राज्य और केंद्र दोनों जगह बिरोधी पार्टी की सरकार होने के बाबजूद क्या कोई पार्टी किसी को डरा सकती है ? क्या २५ लाख की भीड़ को डरा - धमकाकर कर मजबूर कर के, शवयात्रा में सामिल कराया जा सकता है ?

दिलीप कुमार जैसे बुजुर्ग और सम्मानीय कलाकार ने क्या किसी डर से अपना जन्मदिन नही मनाया ? क्या सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर किसी डर की बजह से उनको सम्मान दे रहे हैं ? सलीम खान का परिवार क्या किसी भय से शोक रत है ??  क्या प्रत्येक राजनैतिक पार्टी और प्रत्येक समुदाय से उनको श्रद्धांजली देने आने वालों को डरा कर लाया गया था ?

बाला साहिब का व्यक्तित्व भले ही विवादित रहा हो, परंतु वो एक दृढ निश्चई इंसान थे, हिंदू हिर्दय के सम्राट थे, हिंदुत्व के प्रहरी थे। हिन्दुओं के हित की खाती वे सदैव चिंतन रत रहते थे। प्रत्येक हिंदू का ही नहीं बल्कि प्रत्येक देशभक्त का धर्म है वो बाला साहिब को श्रद्धांजलि अर्पित करे और राष्ट्र की रक्षा का प्रण ले...........

 
श्री बालासाहेब ठाकरे के बारे में कुछ   अनभिज्ञ बातें...

1) बाला साहेब ने बॉलीवुड के कई लोगो को दाउद इब्राहिम के आतंक से बचाया था! दाउद के कारण पूरे बॉलीवुड का काम बन्द हो रहा था इसकी गुहार लेकर बॉलीवुड की कई प्रमुख हस्तियाँ उनके निवास मातुश्री मिलने गयीं थीं उनमें सलीम खान परिवार भी शामिल था.............
...

2) दाउद इब्राहिम को पुलिस का खौफ नहीं था लेकिन बाल ठाकरे का खौफ था.......

3) बाला साहेब ने लाखों कश्मीरी पण्डितों की शिक्षा का खर्च भी उठाया था ! जब आतंकवादियों ने कश्मीरी पण्डितों की बेरहमी से न्रशंस हत्या कर दी थी और सारा देश चुप था तब बाला साहब ही थे जो उनकी मदद के लिये खुलकर सामने आये...

4) अमिताभ बच्चन को नेहरू-गान्धी परिवार ने बोफोर्स घोटाले में फँसा दिया था !  बाल ठाकरे ने अमिताभ से पूछा - "आप दोषी हैं?" बच्चन ने उत्तर दिया - "नहीं।" तब बाला साहेब ने उनसे कहा था -"आप एक अभिनेता हैं जाइये अपना काम कीजिये। आपको कुछ नहीं होगा !" चूँकि अमिताभ बच्चन को उन्होंने जेल जाने से बचाया था इसलिये अमिताभ बच्चन बाला साहेब की तबियत बिगड़ने पर सबसे पहले मातुश्री उन्हें देखने गये..........

6) 1999 में बाला साहेब ने कहा था कि वे सभी मुस्लिमों के विरोधी नहीं हैं.. सिर्फ जिहादी,पाकिस्तान परस्त और देशद्रोही मुस्लिमों के ही विरोधी हैं.....
शायद इसीलिये शाहरुख खान से उनकी दुश्मनी थी और सभी शिवसैनिकों की अभी भी है !  क्योंकि शाहरुख़ खान ने दुबई में स्टेज शो करके पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनो को धन मुहैय्या करवाया था.. शाहरुख खान अभी भी अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों के राडार पर है ! इसलिए शाहरुख खान को अमेरिका में दो बार नंगा किया गया.......

7) १४ फरवरी २००६ को वैलेंटाइन डे पर शिवसैनिकों द्वारा नाला सोपारा में एक महिला पर हाथ उठाये जाने पर बाल ठाकरे ने इसकी खुलकर भर्त्सना की और शिवसैनिकों की ओर से खुद माफ़ी माँगी...इतना ही नहीं उन्होंने सामना में लिखा - "मैंने शिवसैनिकों को कहा है कि किसी भी स्थिति में महिलाओं को हानि नहीं होनी चाहिये! माहिलाओं को मारना कायरता का प्रतीक है! 8) छोटा शकील और दाउद इब्राहिम के जमाने में पुलिस अधिकारी तक मदद के लिये बाला साहेब के पास ही जाते थे.. दाउद और छोटा शकील को बाला साहेब ने ही भारत से पाकिस्तान भागने पर मजबूर कर दिया था...और किसी में यह दम भी नहीं था..
पुनः बाला साहेब ठाकरे जी  को सत -सत नमन .....  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें