गुरुवार, 7 जून 2012

!!ओ (मुस्लिम) करे तो सत्य और हम करे तो गुनाह ?

"दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में व्यवस्था दी है कि मासिक धर्म शुरू होने पर मुस्लिम लड़की 15 साल की उम्र में भी अपनी मर्जी से शादी कर सकती है। इसी के साथ अदालत ने एक नाबालिग लड़की के विवाह को वैध ठहराते हुए उसे अपनी ससुराल में रहने की अनुमति प्रदान कर दी।"..... इस निर्णय से निश्चित ही एक नहीं बहस शुरू होगी, संभव है कुछ राजनितिक रोटियां भी सेकी जाए. लेकिन बड़ा सवाल ये है की क्या 15 साल की उम्र में शादी से लड़की के जीवन को स्वास्थय से सम्बंधित समस्या नहीं होगी. अगर शादी जल्दी होगी तो बच्चे भी जल्दी हो सकते हैं, और इस स्थिति में मां और बच्चे के स्वास्थय पर बुरा असर पड़ेगा ....
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नई दिल्ली/ शाहबानो प्रकरण का गवाह बन चुके इस देश में शादी से जुड़े कानून में धर्म के आधार पर एक बार फिर बदलाव आया है। एक नई बहस फिर से शुरू होगी, देखने वाली बात ये होगी की इस मामले में कौन कहाँ खड़ा दिखेगा। क्या इस देश में किसी नाबालिग लड़की को शादी करने का कानूनी अधिकार है? जी हां, यह हम नहीं दिल्ली...

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