बुधवार, 2 मई 2012

!!क्या पैगम्बर मुहम्मद कल्कि अवतार हैं ?

सबसे पहले ये बता दूं की ये लेख मैंने क्यूँ लिखा? हिंदी ब्लॉग जगत मैं डॉ. जाकिर के चेलों (स्वच्छता वाले सलीम खान) द्वारा लगभग हर सप्ताह एक दो ब्लॉग "पैगम्बर मुहम्मद ही कल्कि अवतार हैं" लिखते रहे हैं | हमने कई जवाब भी दिए पर वो कहाँ सुननेवाले ! गूगल पे हिंदी मैं सर्च करो तो वही स्वच्छता वाले (वास्तव मैं अस्वच्छ) सलीम खान ही सबसे आगे आते हैं और उसका कोई सही जवाब देता हुआ ब्लॉग नहीं मिला | इसलिए सोचा के झूठे प्रचार का जवाब देना ही चाहिए | मैं संस्कृत का ज्ञानी नहीं इसलिए संस्कृत शब्दों और श्लोकों के अर्थ के लिए उचित reference देने की कोशिश की है |

क्या पैगम्बर मुहम्मद कल्कि अवतार हैं ? उत्तर : नहीं, निम्न बिन्दुओं पे गौर करें :

* हिन्दू धर्म ग्रंथों मैं कलि युग का काल ४,३२,००० (चार लाख बत्तीस हज़ार वर्ष) बताया गया है | कलि युग के अंत मैं ही भगवान् स्वयेम कल्कि के रूप मैं पृथ्वी पे अवतार लैंगे (ref: भागवतम 2.7.३८ -
http://srimadbhagavatam.com/2/7/38/en ) | कलि युग का आरम्भ लगभग 3102 BC माना गया है (ref : http://www.harekrsna.com/sun/features/04-09/features1345.htm) | अब तक कलि युग के लगभग पॉँच हज़ार वर्ष ही बीते हैं, कल्कि अवतार आने मैं अभी लाखों वर्ष बाकी हैं | क्या यहीं ये साबित नहीं हो जाता की मुहम्मद साहब कल्कि अवतार हैं ही नहीं !

* डॉ. जाकिर और अन्य मुस्लिम विचारक जिन हिन्दू धर्म ग्रंथों का सन्दर्भ दे रहे हैं, उन्ही ग्रंथों में राम, कृष्ण.... को साक्षात भगवन का अवतार बताया गया है | क्या हमारे मुसलमान भाई कल्कि अवतार से पहले की अवतारों (राम, कृष्ण....) को भगवान् मानते हैं ? ये प्रश्न जैसे ही पूछता हूँ इनके बड़े-बड़े विचारक बेशर्मी से कहते हैं, नहीं हम तो सिर्फ मुहम्मद साहब को ही अवतार मानते हैं और इससे पहले की सारे अवतार झूठे हैं | मतलब की आप हमारे मुहम्मद साहब को कल्कि अवतार मान कर इस्लाम कबुल कर लो, हम तो आपके अवतारों राम, कृष्ण ... को मानते भी नहीं !!! अब बताईये इस्लाम के बड़े-बड़े विचारकों को क्या कहा जाए ?

* भागवतम (12.2.१७ -
http://srimadbhagavatam.com/12/2/17/en) कहता है : भगवान् विष्णु खुद कल्कि के रूप मैं धरती पे अवतार लेंगे | मतलब भगवान् विष्णु = कल्कि अवतार | पर डॉ. जाकिर और उनके चेले कहते हैं की मुहम्मद साहब तो पैगम्बर हैं, अल्लाह कोई और है | जबकी हिन्दू ग्रन्थ साफ़ कहता है : कल्कि अवतार कोई पैगम्बर नहीं बल्कि भगवान् विष्णु का अवतार होगा | एक कम बुद्धि वाला इंसान भी ये बात भली भांती समझता है, फिर डॉ. जाकिर और सलीम भाई जैसे इस्लाम जगत के बड़े विद्वानों ने क्यों नहीं समझा इसे अबतक? समझेंगे भी कैसे इनके पथ निर्देशक खुद ही गलत रास्ते पे जो दौड़ रहे हैं |

* कई जगहों पे वेदों का उदाहरण दे कर कहते हैं की वेदों मैं मुहम्मद साहब के बारे मैं फलां-फलां बातें बतायी गई है | वस्तुतः वेदों मैं कुल १,००,००० (एक लाख) ऋचाएं/मन्त्र थी , घटते घटते आज सिर्फ २०-२१ हजार ही उपलब्ध रह गई हैं | एक पढ़ा-लिखा इंसान (भले ही उसे कितनी भी अच्छी संस्कृत क्यों ना आती हो) इन २०-२१ हजार रिचाओं को अपने बल बूते नहीं समझ सकता, ये ग्यानी जन कह गए हैं | वेदों को समझने के लिए गुरु-शिष्य परम्परा आवाश्यक है | शायद यही कारण है की वेद कभी गीता, महाभारत, रामायण या अन्य पुराण की तरह आम जन के लिए सहज उपलब्ध भी नहीं हुआ और ना ही इसे ऐसे पढा जाता है |
डॉ. जाकिर और उनके चेलों (स्वच्छता वाले सलीम मियां) से ये पूछना चाहता हूँ की आपने वेद के २०-२१,००० ऋचाएं बिना गुरु (कोई गुरु हो तो बताएं) के ही पढ़ कर समझ भी लिया वो भी ४-५ वर्षों मैं ही ? आपके कुरान मैं लगभग ६२३६ आयात ही हैं, तो आपने कुरान से कई गुना ज्यादा समय वेद पढने मैं लगाया , वाह क्या बात है ? अब जबकी मुस्लिम विद्वान् हिन्दू ग्रन्थ पढने मैं ज्यादा समय देते हैं तो कोई पागल हिन्दू ही इनके कुरान को पढ़ेगा, क्यूँ ?

* वेद के किसी भी मन्त्र मैं मुहम्मद शब्द का उल्लेख तक नहीं है, फिर भी बड़े बेशर्मी से ये कहते हैं नराशंस शब्द का अर्थ मुहम्मद और अहमद है | नराशंस शब्द का वास्तविक अर्थ जानने के लिए youtube लिंक देख सकते हैं :
http://www.youtube.com/watch?v=AHOv-v-EfkE | जाकिर और उनके चेलों (सलीम खान) के हिसाब से संस्कृत के बड़े बड़े पडित - ज्ञानी किसी को संस्कृत नहीं आती, सबसे बड़े ज्ञाता तो सलीम मियां और जाकिर नायक हैं !

* पैगम्बर मुहम्मद पे भविष्य पुराण क्या कहता है जानने के लिए गूगल मैं search करें, अंग्रेजी मैं ढेर सारी सामग्री मिल जायेगी | bhavishyapuran नाम से (शायद) एक ब्लॉग भी है जहाँ इसपर सामग्री उपलब्ध है |

स्वच्छता वाले सलीम भाई के गुरु डॉ. ज़ाकिर नायक के बारे मैं कुछ मुसलमान भाई क्या राय रखते हैं, देखने के लिए youtube लिंक पे क्लिक करें
youtube लिंक
http://www.youtube.com/watch?v=JL52VoKUj78 - (NDTV रिपोर्ट )



(इस लेख का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेश पहुचाना नहीं अपितु डॉ. जाकिर और अन्य मुस्लिम भाईयों (स्वच्छ हिंदोस्ता वाले सलीम खान, और ना जाने कौन कौन ..) द्वारा कल्कि अवतार पे किये जा रहे झूठे प्रचारों से लोगों को अवगत करना है | )
 

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही तर्कशील विचार आपने दिए.......
    यह ज़ाकिर हुसैन हिंदू धर्म को बदनाम कर रहा है.....
    यह सबको मुसलमान बनने के लिए कहता है.......
    और यह कई सभाए कर रहा है.........
    मुझे यह पता नहीं की यह अपने समागम कहा करता है, अगर यह अपने समागम भारत में करता है......तो भारत के लिए यह ज्यादा सबसे बेशर्मी की बात है..........
    यह ज़ाकिर हुसैन बाते तो ऐसे करता है मानो संस्कृत भाषा का महा-ज्ञानी हो.......इसके समागम में कुछ पंडितो को बुला लेता है...
    जो इसकी हां में हां मिलाते है.....ऐसे लोग ही हिंदू धर्म का पतन करने पर तुले हुए है...

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  2. @Nageshwar Singh Baghel
    उल्लू कभी ज्ञानी नहीं कहलाता क्यूंकि उसने कभी सूये प्रकाश नहीं देखा
    ये शायद आप जैसे लोगों के लिए ही गया गया है क्यूंकि आपको जैसे जाहिलों को खुद तो कुछ ज्ञान होता नहीं झूट का सहारा लेकर दूसरों पर कीचड़ उछालना आप जैसे लोगों की फितरत होती है आपने लिखा-
    १) मुस्लमान कहते हैं की "हम सिर्फ तो सिर्फ मुहम्मद साहब को ही अवतार मानते हैं और इससे पहले की सारे अवतार झूठे हैं "
    क्या आप मुझे लिंक भेज सकते हैं जहाँ लिखा है????
    आगे आपने लिखा_
    "शायद यही कारण है की वेद कभी गीता, महाभारत, रामायण या अन्य पुराण की तरह आम जन के लिए सहज उपलब्ध भी नहीं हुआ और ना ही इसे ऐसे पढा जाता है"ƒƒ
    तो मै आपको बता दू की इस दुनिया में आया तो सब पढ़ा जाने के लिए ही है लेकिन आप जैसे लकीर के फ़कीर उसे पढना नहीं चाहते, अगर पढ़ लोगे तो इन्सान बन जाओगे क्यूंकि उसमे साफ़ साफ़ लिखा है--
    १. यजुर्वेद मंत्र ३ – २ में ” न तस्य प्रतिमास्ति | ” | अर्थात, वह प्रतिमा में पर्याप्त नहीं हो सकता, यह अर्थ है |
    २. प्रतीक/प्रतिमा की उपासना ठीक नहीं, ऐसे श्री बादरायण महर्षि ने ब्रह्मसूत्र ४ – १ – ४ में ” न प्रतीके नहिसः ” कहा है |
    ३. यजुर्वेद मंत्र ४० – ४ में भगवान् को ” अकाय मव्रणं ” कहा है | मतलब उसकी शरीर नहीं है | शरीर नहीं तो आकार भी नहीं |
    ४. भगवान् से सृष्टि हुयी यह समस्त ब्रह्माण्ड उसके पूर्णत्व के केवल एक चौथी भाग/अंश/हिस्सा है, ऐसे यजुर्वेद के मंत्र ३१ – ३ में कहा गया है | बाकी तीन अंश अमृत होके, वैसे ही अव्यक्त है, ऐसे उसी मंत्र में कहा गया है | अब ऐसे है तो, भगवान् की पूर्णत्व की कल्पना भी केसे मुमकिन हैं ?

    निराकरण- हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद का नाम ही नहीं बल्कि अल्लाह का नाम भी साफ़ साफ़ लिखा हुआ है । ऐसे में “शब्दों को तोड़ मरोड़ कर हिन्दुओं को छलने की हमें क्या ज़रुरत है ?
    अल्लो ज्येष्‍ठं श्रेष्‍ठं परमं पूर्ण ब्रहमाणं अल्लाम् ।। 2 ।।
    अल्लो रसूल महामद रकबरस्य अल्लो अल्लाम् ।। 3 ।।
    अर्थात ’’ अल्लाह सबसे बड़ा , सबसे बेहतर , सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है । मुहम्मद अल्लाह के श्रेष्‍ठतर रसूल हैं । अल्लाह आदि अन्त और सारे संसार का पालनहार है । (अल्लोपनिषद 2,3)

    आँख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती,
    काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता,
    मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता
    और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता।
    धन्यवाद


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  3. ओह माफ़ करे .मैंने आज ही आप लोगो की टिप्पणी को देखा है ..आप सभे को बहुत बहुत धन्यवाद ....i

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  4. अहतशाम अली जी ...इस्लाम में क्या क्या लिखा है ..अभे यहाँ लिखना असुरु करुगा तो आप भागते नजर आयेगे इधर उधर ...अछा है मैं मेरी लेखनी को यही बिराम दू ,,नहीं तो आप को ..जबाब डरते नहीं बनेगा ..की कितने बेहुदे तरीके से लिखा है ....

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