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बूंद बूंद जल की बचत करके हम अपने कल को सुरक्षित रख सकते है इसलिए हमें हर हाल में जल बचाना होगा। आज जरूरत है कि हर व्यक्ति जल बचाओ मुहिम को समझे। अगर आज जल नहीं बचाया गया तो तीसरा विश्व युद्ध इसी कारण होगा। ये शब्द जल सरंक्षण कार्यकर्ता व वकील रमेश गोयल ने सिरसा के सामुदयिक रेडियो स्टेशन 90.4 एफएम पर कार्यक्रम हैलो सिरसा में सुरेंद्र कुमार से विषेश बातचीत के दौरान कहे। उन्होने कहा कि वे ‘‘जल बचाओं अभियान‘‘ से पिछले 11 सालों जुड़े हुए है। जल संरक्षण हेतू हर संभव प्रयास किए रहे है, इसके लिए वे अलग अलग जगहों पर विद्यार्थियों को सम्बोधित कर चुके है।
गोयल ने कहा कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत भाग पर जल है लेकिन उसमें से 1 प्रतिशत से भी कम जल पीने योग्य है। जल कार्यकर्ता ने कहा जल बचाओं पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है और अनेक बैनर छपवा कर वे सिरसा शहर में बंटवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जल बचाओ अभियान में सिरसा शहर का उनको भरपूर सहयोग मिल रहा है। इस जल बचाओ अभियान की वजह से सिरसा की अनेक स्वयंसेवी संस्थायें उनको सम्मानित भी कर चुकी है। गोयल ने कहा कि किसानों को चाहिये कि वे खेत में ड्रिप सिस्टम से से सिंचाई करे तथा वर्षा जल को सरंक्षित करें।
उन्होने कहा कि लोग आज काफी मात्रा में जल बर्बाद कर रहे है इसका मुख्य कारण अनावश्यक सिंचाई करना , व्यर्थ पानी बहाना आदि है। यही कारण है कि प्रदेश में 119 में से 108 जोन डार्क जोन घोषित किए जा चुके है जो कि खतरनाक स्थिति है। अगर सरकार किसी व्यक्ति को एक लीटर साफ जल उपलब्ध करवाती है तो उस पर 6 से 7 रूपए खर्चा आता है।
गोयल ने कहा पेड़ों का काटा जाना भी जल की कमी का प्रमुख कारण है क्योंकि इसके कारण वर्ष की वार्षिक दर में बहुत गिरावट आई है। देश के 33 प्रतिषत भाग पर पेड़ होने चाहिये लेकिन आज मात्र 20 प्रतिषत भाग पर ही पेड़ है।
जल संरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि पेड़ों के काटे जाने का खामियाजा पूरे विश्व को भुगतना पड़ रहा है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर जल बचाना है तो हमें वाटर रिचार्जिंग सिस्टम अपनाना होगा तथा वर्षा का जल पृथ्वी में उतारना होगा। किसानों को भी चाहिये कि वे पानी बचाने के लिये साठी धान आदि की खेती न करे। क्योंकि एक किलो साठी धान के लिये हमें 45 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है। इसी के साथ ही जोहड़ों में जल को सुरक्षित रखना होगा। गोयल ने कहा कि जल प्रदूषण का मुख्य कार्य उद्योग धंधें भी है क्योंकि वे वाटर ट्रीटमेंट नहीं करते है तथा नदियों में खराब जल बहा देते। जिससे अनेक बीमारियां भी होने का खतरा रहता है। देश की महत्वपूर्ण नदियां गंगा व यमुना में लैंड की मात्रा बहुत ज्यादा है जो कि जीवन के लिये खतरनाक है। इस दौरान उन्होने जल संरक्षण से जुड़े श्रोताओं के सवालों का भी जवाब दिया और कहा कि हर आदमी को जल संरक्षण में अपना योगदान करना चाहिए और जहां तक संभव हो सके जल बचाएं।
गोयल ने कहा कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत भाग पर जल है लेकिन उसमें से 1 प्रतिशत से भी कम जल पीने योग्य है। जल कार्यकर्ता ने कहा जल बचाओं पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है और अनेक बैनर छपवा कर वे सिरसा शहर में बंटवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जल बचाओ अभियान में सिरसा शहर का उनको भरपूर सहयोग मिल रहा है। इस जल बचाओ अभियान की वजह से सिरसा की अनेक स्वयंसेवी संस्थायें उनको सम्मानित भी कर चुकी है। गोयल ने कहा कि किसानों को चाहिये कि वे खेत में ड्रिप सिस्टम से से सिंचाई करे तथा वर्षा जल को सरंक्षित करें।
उन्होने कहा कि लोग आज काफी मात्रा में जल बर्बाद कर रहे है इसका मुख्य कारण अनावश्यक सिंचाई करना , व्यर्थ पानी बहाना आदि है। यही कारण है कि प्रदेश में 119 में से 108 जोन डार्क जोन घोषित किए जा चुके है जो कि खतरनाक स्थिति है। अगर सरकार किसी व्यक्ति को एक लीटर साफ जल उपलब्ध करवाती है तो उस पर 6 से 7 रूपए खर्चा आता है।
गोयल ने कहा पेड़ों का काटा जाना भी जल की कमी का प्रमुख कारण है क्योंकि इसके कारण वर्ष की वार्षिक दर में बहुत गिरावट आई है। देश के 33 प्रतिषत भाग पर पेड़ होने चाहिये लेकिन आज मात्र 20 प्रतिषत भाग पर ही पेड़ है।
जल संरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि पेड़ों के काटे जाने का खामियाजा पूरे विश्व को भुगतना पड़ रहा है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर जल बचाना है तो हमें वाटर रिचार्जिंग सिस्टम अपनाना होगा तथा वर्षा का जल पृथ्वी में उतारना होगा। किसानों को भी चाहिये कि वे पानी बचाने के लिये साठी धान आदि की खेती न करे। क्योंकि एक किलो साठी धान के लिये हमें 45 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है। इसी के साथ ही जोहड़ों में जल को सुरक्षित रखना होगा। गोयल ने कहा कि जल प्रदूषण का मुख्य कार्य उद्योग धंधें भी है क्योंकि वे वाटर ट्रीटमेंट नहीं करते है तथा नदियों में खराब जल बहा देते। जिससे अनेक बीमारियां भी होने का खतरा रहता है। देश की महत्वपूर्ण नदियां गंगा व यमुना में लैंड की मात्रा बहुत ज्यादा है जो कि जीवन के लिये खतरनाक है। इस दौरान उन्होने जल संरक्षण से जुड़े श्रोताओं के सवालों का भी जवाब दिया और कहा कि हर आदमी को जल संरक्षण में अपना योगदान करना चाहिए और जहां तक संभव हो सके जल बचाएं।
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