बुधवार, 21 मार्च 2012

!! चीन क्या था, क्या बन गया और भारत क्या था और क्या बन रहा है ?

* बरसों पहेले चीन बहोत ही कंगाल था! भारतमे लोग जब मिलते है तो पूछते है,कैसे हो?कैसी तबियत है?लेकिन चीन में जब दो  लोग मिलते थे तब पूछते थे की चावल खाए  क्या?चावल खाने को भी नसीब नथी था|अगर चावल खाने मिल गए तो दिन सुधर गया!
     
                * वाया होंगकोंग अंग्रेज लोगोने चीन में अफीम का जबरदस्त व्यापार बढाया था|सारा चीन अफीम खाके  मदमस्त पड़ा रहता था|तब कहावत ही हो गई थी अफीमी चीन!एकदम आलसी प्रजा हो गई थी|कोई जहर बेचे कोई लड्डू क्या खरीदना है वो हमारी पसंद है~!
     
              * दो चार साल के वारिस को राजा घोषित किया गया था|सोने के कटोरे में वो मलत्याग करता  था और राजदरबारी वो मलकी कटोरी अपनी नासिका के पास रख कर पवित्र बदबू का आनंद उठाते थे १०,००० साल की पवित्र राजव्यवस्था,भगवान था राजा,बालराजा युवान हुआ तो रिवाज के मुताबिक एक साथ दो कन्याओसे विवाहित किया गया|फिर क्रांति हु,और राजा अपनी दो पत्नियो समेत भाग गया चीनके बाहर,एक पत्नी ने डिवोर्स ले लिया और दूसरी शराब में डूब गई|विश्वयुध्ध  हुआ,राजा ने जापान की सहायता से चीन का कब्ज़ा लेनेका ट्राय किया,पर जापान खुद ही हार गया विश्वयुध्ध  में|राजा पकड़ा गया और गया जेल में,माओ आये और सूत्र दिया “रिलिजन इज पोइज़न”,देखो आज चीन कहा है ?अमरीका से भी नहीं डरता...
        
                   राजकारण में किसी भी धर्म की दखल अंदाजी नहीं होनी चाहिए,कायदे कानून और राज्य व्यवस्था में किसी भी धर्म दखल अंदाजी नहीं होनी चाहिए,१७वि सदिमे जब हम अंग्रेजो के गुलाम बने उसी १७वि सदी में अमेरिका अन्ग्रेजोकी गुलामी से मुक्त हो गया,हमने सिर्फ महात्मा गांधीजी को ही राष्टपिता बनाया और दुसरे जिन्होंने बलिदान दिए थे सब गए भाडमे,अमरीका ने सिर्फ एक नहीं बहोत सारे लोगो को फाउंडर फाधर माना है,ज्योर्ज वोशिंगटन,जोंह एडम्स,बेंजामिन फ्रेंकलिन सब राष्ट्रपिता  है,सब ने तय किया था का अमरीका का भला चाहते है तो धर्म या चर्च की दखल नहीं चाहिए शासन में.............
     
                एक समय का कंगाल चीन आज कहा है ?और यहाँ भारत में बात बातमे लोगों की धार्मिक भावनाओको  ठेस पहुचती है,ना तो तो प्रशाशन रस्ते के बिच खड़ा मंदिर या दरगाह हटा सकता है,नातो कोई गुन्हेगार को सजा दिला सकते हो,न तो यहाँ गेर क़ानूनी फतवा जाहिर करनेवालों को सजा दे सकते हो,न तो कोई बच्चे का बलि चडाने वाले गुरु को पकड़ सकते हो,लोग रास्ते पर उतर आते है,पुलिस तक को मार पड़ती है,अभी गुजरात के पाट्नगर गांधीनगर में पुलिस को धार्मिक संगठन द्वारा  मार पड़ी थी तब जनता ने पुलिस की रक्षा  की थी,कैसे दिन आ गए है ?जनता को पुलिस की रखवाली करनी पड़ती है,और पुलिस को मारने वाले यही बहादुर लोग जब कोई आंतकवादी खून की होली खेलता है तब दुम दबाके भागते है,
      
                    हम दूसरो पे  दोष देने में माहिर है,अमरीका अच्छा नहीं,पाकिस्तान को मदद देता है,चीन ख़राब है,थेंक्स बोलो अमरीका को हेडली और राणा को ऍफ़.बी.आई ने पकड़ लिया,वरन २६/११ की बरसी पर कई निर्दोष लोगोने जान गंवाई होती,जर्मनीने राजरमत खेल कर म्युनिक ओलोम्पिक में इज़रायल के खिलाड़ियोको मारने वाले सभी अरब त्रासवादी ओको  छोड़ दिया था,सब अपने अपने देश में हीरो बन चुके थे,कोई फरियाद आंतरराष्ट्रिय स्तर पर किये बिना इजराएल की जासूसी संस्था ने सभी त्रासवादी ओको एक एक करके चुन चुन के मार दिया  था, कुछ तो लेटिन अमेरिका के छोटे छोटे देश में छिप गए थे,कुछ अफ्रीकन देश में छिप गए थे,किसीको भी बक्शा नहीं,ये खुमारी,जूनून चाहिए,ये इजराएल का प्रदेश क्षेत्रफल में किसी राज्य के एक या दो जिल्ले से ज्यादा नहीं है|
        
                   * हमें अपने दोष कभी दिखाई नहीं देते,हमारी कमज़ोरिया हम छिपाते है,अभी युध्ध होता है,तो चीन को हम हरा नहीं सकते,पाकिस्तान के पास हमसे ज्यादा परमाणु बोम्ब है,जो बलवान होता है इसीके पास सभी जाते है,कमजोर के पास कौन आएगा ? हमें बलवान होते किसने रोक रख्खा है ? चीन समज गया खुद ही बलवान होने लगा तो आज अमेरिका भी उसके पास जायेगा,चीन कमजोर होता तो कोई नहीं बोलता की तिबेट चीन का भाग है,”समर्थ को नहीं दोष गुंसाई”,आज हम भी समर्थ होते तो चीन या अमरीका भी बोलते के भी कश्मीर भारत का ही अंग है,चूँकि हम कमजोर है तो कोई नहीं बोलता|
     
                    मुसलमान  आए,अंग्रेज आए हमें किसीने रोक रख्खा था?भाई हम कमजोर थे तो हार गए|सर्वाइवल के युध्ध  में जो बलवान होंगा वही जीतेगा,वो नियम भारत के लिए कुछ अलग तो नहीं होता,कुदरत की नजर में सब  एक से है|लोग बोलते है एकता नहीं थी,भाई हम तो पूरी दुनिया सबसे ज्यादा वाइज़ पीपल है ,हमें एकता रखने को किसी ने ना बोला था? सारी दुनिया में अंगेरज फ़ैल गए थे,तो सब देशो में मेनेज कर नहीं पा रहे थे,अपने ही भार से,खुद  ही के वजन से अंग्रेज साम्राज्य टूटने लगा था की हमारी अहिंसा और सत्याग्रह की नीति काम कर गयी ....

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