बाबु सिंह कुशवाहां जिस समाज से आते है वह समाज ६ साल पहले तक बीजेपी का
परंपरागत वोट था जो बसपा की झोली में चला गया था. १२% मतदाता हिस्से के साथ
मौर्या/ कुशवाहा/सैनी /शाक्य समाज यूपी में पिछड़े वर्ग में यादवो के ९% हिस्से
से काफी ज्यादा है जो बहुत सारे विधान सभा क्षेत्रो में निर्णायक भूमिका में
है. मुलायम सिह यादव की राजनीति में स्थायित्व उनके ९% यादव बिरादरी के वोटो
पर पकड़ के कारन है इस लिहाज से १२% वोटो केलिए बाबु सिंह को अपने पाले में
लाना बीजेपी के लिए किसी भी लिहाज से नुकसान का सौदा नहीं है,
परंपरागत वोट था जो बसपा की झोली में चला गया था. १२% मतदाता हिस्से के साथ
मौर्या/ कुशवाहा/सैनी /शाक्य समाज यूपी में पिछड़े वर्ग में यादवो के ९% हिस्से
से काफी ज्यादा है जो बहुत सारे विधान सभा क्षेत्रो में निर्णायक भूमिका में
है. मुलायम सिह यादव की राजनीति में स्थायित्व उनके ९% यादव बिरादरी के वोटो
पर पकड़ के कारन है इस लिहाज से १२% वोटो केलिए बाबु सिंह को अपने पाले में
लाना बीजेपी के लिए किसी भी लिहाज से नुकसान का सौदा नहीं है,
२-क्योकि इस समाज में कोई प्रभावशाली नेता नहीं है इसलिए यादव समाज से ज्यादा
संख्या होने के बावजूद यह समाज राजनैतिक रूप से हासिये पर है जिसका फायदा बसपा
ने बखूबी उठाया था और उसने कम महत्वकांक्षी नेता स्वमिप्रसाद मौर्य को ज्यादा
तरजीह दिया क्योकि स्वामी प्रसाद कभी मायावती के लिए चुनौती नहीं बनेंगे.
लेकिन बसपा को बाबु सिंह कुशवाहा की पकड़ का अंदाजा उन्हें पार्टी से निकालने
के बाद हुआ.
संख्या होने के बावजूद यह समाज राजनैतिक रूप से हासिये पर है जिसका फायदा बसपा
ने बखूबी उठाया था और उसने कम महत्वकांक्षी नेता स्वमिप्रसाद मौर्य को ज्यादा
तरजीह दिया क्योकि स्वामी प्रसाद कभी मायावती के लिए चुनौती नहीं बनेंगे.
लेकिन बसपा को बाबु सिंह कुशवाहा की पकड़ का अंदाजा उन्हें पार्टी से निकालने
के बाद हुआ.
३-बाबू सिंह कुशवाहा का बीजेपी में जाना सबसे बढ़िया विकल्प इसलिए था की मौर्या
समाज कांग्रेस में जायेगा नहीं, बीजेपी में पहले ये जुड़े रहे है इसलिए इनका
बीजेपी से पुनः जुडना ज्यादा आसान भी है. कांग्रेस बीजेपी और सपा में वंशवाद
की वजह से ज्यादा संख्या होने के बावजूद भी मौर्य समाजियो को समझौता करना
पडेगा जबकि बीजेपी कैडर वाली पार्टी है.
समाज कांग्रेस में जायेगा नहीं, बीजेपी में पहले ये जुड़े रहे है इसलिए इनका
बीजेपी से पुनः जुडना ज्यादा आसान भी है. कांग्रेस बीजेपी और सपा में वंशवाद
की वजह से ज्यादा संख्या होने के बावजूद भी मौर्य समाजियो को समझौता करना
पडेगा जबकि बीजेपी कैडर वाली पार्टी है.
४-कांग्रेस पहले ही बाबु सिंह कुशवाहा को भले ही अपने पाले में न लाकर गलती का
अहसास कर रही हो, लेकिन वह इस गलती से बीजेपी को इसका फायदा नहीं उठाने देगी
और चुनाव होने तक बाबू सिंह कुशवाहा के बारे में तरह तरह की भ्रम की स्थिति
बनाकर रखने के लिए पुरे सरकारी तंत्र का उपयोग करेगी जिसमे सपा, बसपा का भी
सहयोग लिया जायेगा. यूपी जहा की ६५% ज्यादा मतदान नहीं होता है, १२% मतदाताओ
को अपने पाले में लाना खेल को पलटने वाली चाल है जो बीजेपी के लिए तुरुप चाल
भी सिद्ध हो सकती है.
अहसास कर रही हो, लेकिन वह इस गलती से बीजेपी को इसका फायदा नहीं उठाने देगी
और चुनाव होने तक बाबू सिंह कुशवाहा के बारे में तरह तरह की भ्रम की स्थिति
बनाकर रखने के लिए पुरे सरकारी तंत्र का उपयोग करेगी जिसमे सपा, बसपा का भी
सहयोग लिया जायेगा. यूपी जहा की ६५% ज्यादा मतदान नहीं होता है, १२% मतदाताओ
को अपने पाले में लाना खेल को पलटने वाली चाल है जो बीजेपी के लिए तुरुप चाल
भी सिद्ध हो सकती है.
५-नुकसान किसको कितना होगा—(१) १२% वोटो वाले इस समाज के बीजेपी से जुडने पर
सबसे ज्यादा नुकसान बसपा को होगा जो जो कांग्रेस के लिए चुनाव बाद की गणित को
जरुर गडबड करेगा. (२) समाज वादी पार्टी के मुस्लिम वोटो का पीस पार्टी से
जुडने की वजह से मुलायम सिंह के वोट घटेंगे ही, कांग्रेस चुनाव बाद सपा को
केंद्र में शामिल करा सकती है जिसके लिए सपा का कमजोर होना कांग्रेस के लिए
हताशा की बात होगी. (३)मुस्लिम वोटो के लिए कांग्रेस कुछ भी करेगी लेकिन पीस
पार्टी का रोल कभी भी नाकारा नहीं जा सकता है. अब जब की बसपा नम्बर की लड़ाई
लड़ा रही है, उसका वोट काटकर बीजेपी में जाने से दोगुने का नुकसान उठाना नहीं
चाहेगी जिसके लिए वह कांग्रेस की मदद से बीजेपी की इस तुरुप चाल को नाकाम करने
की हर कोशिश करेगी क्योकि केंद्र में कांग्रेस को अभी ३० महीने सरकार चलानी है.
बीजेपी को अब कदम पीछे न खीचकर अपने को मौर्य/कुशवाहा समाज का झंडाबरदार सबसे ज्यादा नुकसान बसपा को होगा जो जो कांग्रेस के लिए चुनाव बाद की गणित को
जरुर गडबड करेगा. (२) समाज वादी पार्टी के मुस्लिम वोटो का पीस पार्टी से
जुडने की वजह से मुलायम सिंह के वोट घटेंगे ही, कांग्रेस चुनाव बाद सपा को
केंद्र में शामिल करा सकती है जिसके लिए सपा का कमजोर होना कांग्रेस के लिए
हताशा की बात होगी. (३)मुस्लिम वोटो के लिए कांग्रेस कुछ भी करेगी लेकिन पीस
पार्टी का रोल कभी भी नाकारा नहीं जा सकता है. अब जब की बसपा नम्बर की लड़ाई
लड़ा रही है, उसका वोट काटकर बीजेपी में जाने से दोगुने का नुकसान उठाना नहीं
चाहेगी जिसके लिए वह कांग्रेस की मदद से बीजेपी की इस तुरुप चाल को नाकाम करने
की हर कोशिश करेगी क्योकि केंद्र में कांग्रेस को अभी ३० महीने सरकार चलानी है.
प्रस्तुत करना चाहिए और अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने वाले इस तुरुप की चाल का बड़ी
सावधानी से प्रबंधन करना चाहिए क्योकि बाबु सिंह कुशवाह की समाज पर पकड़ किसी
भी अन्य नेता से बहुत ज्यादा और निर्णायक है जो आगे चलकर २०१४ में भी काम
आयेगा. कांग्रेस भी इसमे कुछ ठोस कार्यवाही न कर पाने की स्थिति में अपनी जानी
पहचानी शैली “समय बिताओ” से चुनाव होने तक कुशवाहा के असर को निष्क्रिय करना
चाहेगी क्योकि सवाल १२% वोटो का है.
उत्तर प्रदेश में घोटाले और उनके आरोपी:-
1. योजना : 134 जिला अस्पतालों के 13.4 करोड़ की लागत से पुनरोद्धार -घोटाला : 5.46 करोड़
-आरोपी : बाबूसिंह कुशवाहा, पूर्व परिवार कल्याण मंत्री, पीके जैन, महाप्रबंधक, कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेस [उप्र जल निगम की एक इकाई]
-मेसर्स सर्जिकोइन, गाजियाबाद
2. योजना : 4.42 करोड़ की लागत से चिकित्सकीय उपकरणों की खरीद
-घोटाला : 1.5 करोड़
-आरोपी : एसपी राम, पूर्व महानिदेशक परिवार कल्याण, परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स गुरुकृपा, मुरादाबाद, मेसर्स कपिल मेडिकल एजेंसी, मुरादाबाद
3. योजना : 13.7 करोड़ रुपये की लागत से होल्डिंग, बैनर आदि प्रचार सामग्री की खरीद
-घोटाला : आठ करोड़
-आरोपी : परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स सिद्धि ट्रेडर्स, मुरादाबाद
4. योजना : 31.59 करोड़ की लागत से मेडिकल उपकरणों की खरीद
-घोटाला :10 करोड़
-आरोपी : परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स सर्जिकोइन, गाजियाबाद
5. योजना : 8.11 करोड़ की राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी द्वारा उप्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम श्रीटोन इंडिया लिमिटेड के मार्फत कंप्यूटरों की खरीद
-घोटाला : 2.93 करोड़
-आरोपी : परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, श्रीटोन इंडिया लिमिटेड के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स राधेश्याम इंटरप्राइजेज, लखनऊ, मेसर्स एक्सिस मार्केटिंग, नोएडा/दिल्ली
अब आप ही सोचे की इतने घोटालो में से कुछ आरोपी तो अज्ञात है क्यों ? फिर बाबू सिंह कुशवाह पर ही कार्यवाही क्यों ?
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