शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

!!राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक समाज सेवी संस्था है !!

अक्सर पूछा जाता है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग करते क्या है...?अधिकांश लोग जिन्हें मीडियाजनित जानकारी से लगता है की वे सर्वग्याता हैं उनके लिये यह पोस्ट अत्यंत लाभदायक रहेगी ... आपको मीडिया नें बताया होगा की चैनई में "थाने" नामक तूफान नें अभी हाल में उत्पात मचाया था.. फिर आपको उसी मीडिया नें यह भी बताया होगा की तूफान हलका पड़ गया और कुछ खास हानीं नहीं हुयी..
 इस चित्रावली को देखिये और समझिये की तूफान हलका हो या तेज,, नुक्सान तो पहुंचाता ही है.. राष्टीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवको नें तूफान के बाद तत्काल प्रभावित इलाकों में सर्वे किया और नुक्सान का अंदाज किया जिसमें सबसे बडी समस्या जो सामनें आयी वह थी की तूफान और बारिश के कारण बहुत से पेड़ गिर गये थे, सड़क पर लगे बिजली के खंबे भी तहस नहस हो गये थे और प्रारंभिक सहायता चैनई, कुड्डालोर और पुड्डूचेरी जिलों में सबसे ज्यादा बड़ी समस्या बिजली का नहीं होना है..!

निश्चित ही आप में से कुछ मित्र यह प्रश्न करेंगे की ये स्वयंसेवक वहां कैसे पहुंच गये जब मैं यह बतानें वाला हूं की प्रशासन प्रभावित क्षेत्रों में सड़कें खाराब होनें की वजह से नहीं पहुंच पा रहा था.. तो मैं बता दूं की संघ में स्वयंसेवकों के शिक्षा वर्ग (Training Sessions) होते हैं और पुड्डूचेरी विभाग में प्राथमिक वर्ग का समापन 31 दिसंबर को होना था,, जो इन प्राकृतिक आपदा में जनता की त्वरित सहायत करनें की मंशा के कारण दिनांक 30 दिसंबर को ही समाप्त कर दिया गया (साधारणतः यह असंभव होता है) और सभी स्वयंसेवकों को प्रभावित क्षेत्रों में जनता की सहायता हेतु भेजा गया..

समस्या बिजली के नहीं होनें की थी तो उसके लिये माचिस और मोम्बत्ती का इन्तजाम किया गया,, पानीं बहुत गिर चुका था तो मच्छरों का आतंक होना स्व्भाविक है - इसके समाधान के लिये मच्छर भगानें की अगरबत्ती का भी इन्तजाम आवश्य्क था जो किया गया,, और चूंकी बिजली नहीं थी इसलिये पीनें के पानीं की व्यवस्था अत्यंत आवश्य्क हो जाती है - उसका भी इन्तजाम किया गया...

उक्त सभी वस्तुये पुड्डूचेरी के करीब 600 घरों मैं बांटी गयीं, आसपास के ग्रामींण क्षेत्रों जैसे विलियानुर, थिरुकन्नुर, कलपत्तु पंचायत क्षेत्रों में करीब 1000 घरों में उक्त सामग्री बांटी गयी..

सड़क पर पड़े हुये बिजली के खंबों को दुरुस्त किया गया, तूफान में गिरे पेड़ों को काट कर सड़क से हटाय गया ताकी सड़क मार्ग जल्दी खोला जा सके...

आगे और पढिये की कुद्दलोर जिले में उक्त सामग्री के साथ साथ 3 किलों चांवल भी बांटा गया वन्डीपलयम और पुडुपलायम ग्रामों के करीब 1,200 घरों में यानीं करीब 3,600 किलो चांवल जनता में बांट दिया गया जो प्रशिक्षण शिविर के लिये लाया गया था..

आपको यहां यह भी बताना चाहूंगा की स्वयंसेवकों के साथ स्थानींय पार्षद भी जुट गये थे जिनके अपनें चचा का देहांत उसी तूफान की वजस से हो गया था.. एक अन्य पार्षद महोदय नें सार्वजनिक रूप से सभी जनता को बताया की जो भी राहत सामग्री उन्हें बांटी जा रही है वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के द्वारा लायी गयी है ना की किसी सरकारी या अन्य NGO के द्वारा...!!

करीब 50 स्वयंसेवकों की टोली पोंडी संघचालक श्री सेलवराज जी और सचिव श्री गुरु सुभ्रमनियन जी के नेतृत्व में चल रहे राहत कार्यों में सम्मिलित हुयी जो अभी तक चालू हैं..!!

ऊत्तरी चैनई में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र में करीब 100 लोगों के लिये लगातार दो दिनों तक खानें के पैकैट उपलब्ध करवाये गये .. !!

प्राथमिक शिक्षा वर्ग 7 दिनों का होता है जिसमें स्वयंसेवकों को विभिन्न विषयों और शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है किन्तु इस प्राकृतिक आपदा के कारण उसे एक दिन पहले ही स्थगित कर सभी स्वयंसेवक परोपकार के कार्य में जुट गये जोकी सभी स्वयंसेवकों का सर्वोच्च कर्तव्य है...

अब यदी आपको स्वयंसेवकों का यह कार्य अच्छा लगा हो तो आपसे मेरा सिर्फ यही निवेदन है की इस चित्रावली और संदेश को अपनीं वाल पर अवश्य साझा करे ताकी अधिक संख्या में जनता तक यह जानकारी पहुंचे क्योंकि हम मीडीया से बिल्कुल उम्मीद नहीं करते हैं की वह जनता के सामनें इस जानकारी को कभी पहुंचायेंगे... (Please Share on Your Wall so more Indians will come to know what RSS ppl. do... )
 






आज कल जहाँ देखो संघ के खिलाफ खूब जहर उगला जा रहा है । नई पीढी के समक्ष संघ को फासीवादी और नाजीवादी सोच का बताया जा रहा है । हो सकता है कि यहाँ मुझे भी कुछ लोग इसी सोच का बताएं ! मुझे इस बात का डर नही ,मैं आजतक संघ की शाखाओ में नही गया फ़िर भी संघ के सेवा और सांस्कृतिक कार्यों को पसंद करता हूँ । वैसे यहाँ कुछ भी मैंने अपनी ओर से कुछ नही कहा है । ” हिंदुस्तान के दर्द ” को बाँटने के भागीदार कुछ चिंतकों की पोस्ट पढ़-पढ़ कर ऐसा महसूस होता है उन्हें समाज को बाँटने में ज्यादा मज़ा आता है । एक विवादित ढांचे और गुजरात दंगों का आरोप संघ परिवार पर लगा कर उसको सांप्रदायिक होने का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है । वही बुद्धिजीवी और मीडिया संघ के हजारों समाजसेवा के कार्य को नजरंदाज करती रही है । संघ के सम्बन्ध में सदी के सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष नेता और हमारे बापू “महात्मा गाँधी जी ” जिनकी हत्या का आरोप भी संघ पर लगा था , ने १६- ०९- १९४७ में भंगी कोलोनी दिल्ली में कहा था -” कुछ वर्ष पूर्व ,जब संघ के संस्थापक जीवित थे , आपके शिविर में गया था आपके अनुशासन , अस्पृश्यता का अभाव और कठोर , सादगीपूर्ण जीवन देखकर काफी प्रभावित हुआ । सेवा और स्वार्थ त्याग के उच्च आदर्श से प्रेरित कोई भी संगठन दिन-प्रतिदिन अधिक शक्ति वान हुए बिना नही रहेगा । ”
बाबा साहब अम्बेडकर ने मई १९३९ में पुणे के संघ शिविर में कहा था – “अपने पास के स्वयं -सेवकों की जाति को जानने की उत्सुकता तक नही रखकर , परिपूर्ण समानता और भ्रातृत्व के साथ यहाँ व्यवहार करने वाले स्वयंसेवकों कोदेख कर मुझे आश्चर्य होता है । ”
संघ के सन्दर्भ में एक अन्य घटना की जानकारी मुझे मिली थी जब मैं भी बगैर सोचे-विचारे संघियों को कट्टरपंथी बोला करता था । उस घटना का जिक्र आप के समक्ष कर रहा हूँ – ‘ सन १९६२ में चीन ने हिन्दी-चीनी भाई के नारे को ठेंगा दिखाते हुए भारत पर हमला कर दिया । भारत को अब किसी युद्ध में जाने की जरुरत नही है सेना का कम तो बस परेड में भाग लेना भर है की नेहरूवादी सोच के कारण सेना लडाई के लिए तैयार नही थी । तब तुंरत ही स्वयंसेवक मैदान में कूद गए । सेना के जवानों के लिए जी जन से समर्थन जुटाया वहीँ भारतीय मजदूर संघ ( ये भी संघ का प्रकल्प है) ने कम्युनिस्ट यूनियनों के एक बड़े वार्ग्ग की रक्षा उत्पादन बंद करने की देशद्रोही साजिश को समाप्त किया । तब प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू संघ के कार्य से इतने प्रभावित हुए की कांग्रेसी विरोध को दरकिनार करते हुए २६ जनवरी १९६३ की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया ।”
16 -17 जून 2013 को उत्तराखंड में जल प्रलय के समय सेवा कार्य करते हुए RSS के स्वेम सेवक !


16 -17 जून 2013 को उत्तराखंड में जल प्रलय के समय सेवा कार्य करते हुए RSS के स्वेम सेवक !

16 -17 जून 2013 को उत्तराखंड में जल प्रलय के समय सेवा कार्य करते हुए RSS के स्वेम सेवक !

16 -17 जून 2013 को उत्तराखंड में जल प्रलय के समय सेवा कार्य करते हुए RSS के स्वेम सेवक !
अन्य दो -तीन उल्लेखनीय सेवा कार्य जो मेरी स्मृति में है – *१९७९ के अगस्त माह में गुजरात के मच्छु बाँध टूटने से आई बाढ़ से मौरवी जलमग्न हो गया था । संघ के सेवा शिविर में ४००० मुसलमानों ने रोजे रखे थे । अटल जी जब वहां गए थे तो मुसलमानों ने कहा था -’अगर संघ नही होता तो हम जिन्दा नही बचते । ‘
*१२ नवम्बर १९९६ चर्खादादरी , दो मुस्लिम देशों के यात्री विमानों का टकराना , ३१२ की मौत जिसमे अधिकांश मुस्लिम और भिवानी के स्वयंसेवकों का तुंरत घटना स्थल पर पहुंचना , मलवे से शव निकलना सारी सहायता उपलब्ध करना । इतना ही नही शवों के उचित रीति रिवाज से उनके धर्मानुसार अन्तिम संस्कार का इन्तेजाम करना । तब साउदी अरेबिया के एक समाचारपत्र ‘अलरियद ‘ ने आर एस एस लिखा था- ” हमारा भ्रम कि संघ मुस्लिम विरोधी है, दूर हो गया है । ” 
संघ से जुडी सेवा भारती ने जम्मू कश्मीर से आतंकवाद से परेशान ५७ अनाथ बच्चों को गोद लिया हे जिनमे ३८ मुस्लिम और १९ हिंदू हे महात्मा गाँधी की मुस्लिम तुष्टीकरण नीति से क्षुब्ध होकर १९४८ में नाथूराम गोडसे ने उनका वध कर दिया था जिसके बाद संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। गोडसे संघ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भूतपूर्व स्वयंसेवक थे। बाद में एक जाँच समिति की रिपोर्ट आ जाने के बाद संघ को इस
आरोप से बरी किया और प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया। संघ के आलोचकों द्वारा संघ को एक अतिवादी दक्षिणपंथी संगठन बताया जाता रहा है एवं हिंदूवादी और फ़ासीवादी संगठन के तौर पर संघ की आलोचना भी की जाती रही है। जबकि संघ के स्वयंसेवकों का यह कहना है कि सरकार एवं देश की अधिकांश पार्टियाँ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में लिप्त रहती हैं। विवादास्पद शाहबानो प्रकरण एवं हज-यात्रा में दी जानेवाली सब्सिडी इत्यादि की सरकारी नीति इसके प्रमाण हैं। संघ का यह मानना है कि ऐतिहासिक रूप से हिंदू
स्वदेश में हमेशा से ही उपेक्षित और उत्पीड़ित रहे हैं और वह सिर्फ़ हिंदुओं के जायज अधिकारों की ही बात करता है जबकि उसके विपरीत उसके आलोचकों का यह आरोप है कि ऐसे विचारों के प्रचार से भारत की धर्मनिरपेक्ष बुनियाद कमज़ोर होती है। संघ की इस बारे में मान्यता है कि हिन्दुत्व एक जीवन
पद्धति का नाम है, किसी विशेष पूजा पद्धति को मानने वालों को हिन्दू कहते हों ऐसा नहीं है। हर वह व्यक्ति जो भारत को अपनी जन्म-भूमि मानता है, मातृ-भूमि व पितृ-भूमि मानता है (अर्थात् जहाँ उसके पूर्वज
रहते आये हैं) तथा उसे पुण्य भूमि भी मानता है (अर्थात् जहां उसके देवी देवताओं का वास है);
हिन्दू है। संघ की यह भी मान्यता है कि भारत यदि धर्मनिरपेक्ष है तो इसका कारण भी केवल
यह है कि यहां हिन्दू बहुमत में हैं। इस क्रम में सबसे विवादास्पद और चर्चित मामला
अयोध्या विवाद रहा है जिसमें बाबर द्वारा सोलहवीं सदी में निर्मित एक बाबरी मसजिद के स्थान पर राम मंदिर का निर्माण करना है। केवल हिंदुओं का ही ऐसा मानना हो यह बात नहीं, यहाँ का पढा-लिखा मुसलमान भी यह दिल से मानता है कि यहीं भगवान राम का जन्म हुआ था, कहीं और नहीं संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत सन १९२५ से होती है। उदाहरण के तौर पर सन १९६२ के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को सन १९६३ के गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। सिर्फ़ दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये। वर्तमान समय में संघ के दर्शन का पालन करने वाले कतिपय लोग देश के सर्वोच्च पदों तक पहुँचने मे भीं सफल रहे हैं। ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति पद पर भैरोंसिंह शेखावत, प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी एवं
उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री के पद पर लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग शामिल हैं।

उड़ीसा में पैलीन तूफ़ान (ओक्टुबर २०१३ ) के दौरान दूरस्थ गाँवों में "हमेशा की तरह" मददगार साबित होते "शिंदे-दिग्गी" के हिन्दू आतंकवादी... मुझे गर्व है ऐसे आतंकवादियों पर


 केरल के कोल्लम मंदिर में हुए अग्निकांड के बाद आरएसएस के सेवक ब्लड डोनेट के लिए लाइन में खड़े हुए !(12/04/2016)

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