लोक कथाओं एवं वैदिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन युग में विषकन्या का प्रयोग राजा अपने शत्रु का छलपूर्वक अंत करने के लिए किया करते थे। इसकी प्रक्रिया में किसी रूपवती बालिका को बचपन से ही विष की अल्प मात्रा देकर पाला जाता था और विषैले वृक्ष तथा विषैले प्राणियों के संपर्क से उसको अभ्यस्त किया जाता था। इसके अतिरिक्त उसको संगीत और नृत्य की भी शिक्षा दी जाती थी, एवं सब प्रकार की छल विधियाँ सिखाई जाती थीं। अवसर आने पर इस विषकन्या को युक्ति और छल के साथ शत्रु के पास भेज दिया जाता था। इसका श्वास तो विषमय होता ही था, परंतु यह मुख में भी विष रखती थी, जिससे संभोग करनेवाला पुरुष रोगी होकर मर जाता था।और आज की भारतीय राजनीत में बिष कन्या का प्रयोग हो रहा है बस प्रयोग का तौर-तरीका बदल गया है ,,आज के नेता खुद ही बिष कन्याओं के पास जा रहे है उनके रूप के मोह पाश में फस कर ,और यह बिष कन्याये सुरा, सुन्दरी के साथ सत्ता में अच्छे-अच्छों को पथ भ्रष्ट कर देती हैं। यूं तो सुरा और सुन्दरी का चोली दामन का ही संबंध रहा है। इतिहास गवाह है कि अधिकांश घटने वाली घटनाओं के मूल में ये ही रही है। रेगिस्तान में यूं तो रेत के बवंडर उठा ही करते है लेकिन, राजनीति के क्षेत्र में सेक्स स्केण्डल के बवंडर ने महीपाल सिंह मदेरणा और रामलाल जाट को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीतिक स्थिति की बुरी तरह किरकिरी अपने हाई कमान की नजरों में हुई है।
भवरी देवी का मामला चूंकि उनके गृह क्षेत्र के अस्पताल का होने से भी और भी गंभीर हो गया है। यूँ तो भवरी-महीपाल सेक्स की आंधी पहले से ही चलती रही। लेकिन इसका असर सितम्बर माह में भवरी के अचानकलापता होने के कारण उसके पति अमरचंद विलाड़ा द्वारा पुलिस को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते समय भवरी के अपहरण एवं हत्या की आशंका को ले महिपाल मदेरणा जो गहलोत सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे पर लगायाएवं थाने मैं एफ.आई.आर.दर्ज कराई। जिसके परिणाम स्वरूप मदेरणा को अपनी कुर्सी की बली देनी पड़ी। हालांकिअपहरण काण्ड का मुख्य आरोपी शहाबुद्दीन है।पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच में मदेरणा भवरी से अपने संबंधों कोनकारते ही नजर आये जैसा कि हर एक के साथ होता भी है। लेकिन, पुलिस ने मदेरणा को भंवरी देवी के साथबिताए अंतरंग क्षणों की सी.डी. दिखाई तो अब उनके पास बहाने बनाने के सारे रास्ते ही बंद हो गए। यं तोनेताओं पर इस तरह के आरोप आए दिन देखने को मिलते ही रहते है।
वैसे भी सियासत में अवैध सेक्स संबंधों कोले पहले ही कई दिग्गज नेता अवैध सेक्स में डूब सियासत के समुंदर के तट पर बदनामी के थपेडों से लड़ अधमरेसे पड़े हुए हैं। ऐसे ढ़ेरों उदाहरण है मसलन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. नारायणदत्त तिवारी जिनका भी एकमहिला से अवैध संबंधों के चलते उत्पन्न पुत्र का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उत्तर प्रदेश के ही एक मंत्रीअमरमणी त्रिपाठी का कवियत्री मधुमिता शुक्ला के बीच अवैध संबंधों के चलते उसकी हत्या कर दी गई थी।इसी तरह उत्तराखण्ड के पूर्व राजस्व मंत्री हरकसिंह रावत का बिन ब्याही माँ से संबंध के कारण अपने पद से न केवलहाथ धोना पड़ा बल्कि सी.बी.आई. ने उनके खिलाफ बलात्कार का भी प्रकरण दर्ज किया। नेना साहनी और सुशीलका अवैध संबंध तंदूर हत्याकाण्ड से चर्चित रहा। ऐसे ढे़रों और भी उदाहरण है ये तो मात्र बानगी है।
अब तो भारतीय जनता भी ये सब कुछ देखने एवं सुनने की आदी हो चुकी है। यहां तक तो सब ठीक हैकुछ नया नहीं है लेकिन, जब मदेरणा की धर्म पत्नि लीला मदेरणा जो खुद राजनीति में सक्रिय है ओर अपेक्सबैंक की चेयरपर्सन भी है। भारतीय सभ्यता में पली बढी है जिसमें पति परमेश्वर होता है और उसका साथ देनाउसका सबसे बडा धर्म भी होता है, के अनुरूप उन्होंने मीडिया को कहा कि ‘‘मेरे पति का लम्बा राजनीतिक केरियरहै जरूर उनका कोई राजनीतिक दुश्मन होगा?
मेरा पति निर्दोष है जांच में दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।यहां तक तो उन्होंने पति धर्म के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को भी बचाया है और निभाया भी है लेकिन उनकावह बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि में केव‘‘इस पुरूष प्रधान समाज में राजा-महाराजाओं के समय से ही यह सब कुछहोता आया है कोई पुरूष-महिला की सहमति से मिलता है तो इसमें गलत क्या है।’’ मीडियाकर्मी को भी आड़े हाथले कहा भंवरी को देवी नहीं कहा जा सकता क्या हिन्दुस्तान से भंवरी ही गायब हुई है? जो मीडिया इस मुद्देको इतना तूल दे रहा है और भी कई औरते गायब हुई है?
हो सकता है लीला मदेरणा द्वारा दिया गया ये शर्मनाकबयान उनका निजी हो लेकिन उन्हंेयह नहीं भूलना चाहिए कि राजनीति में निजिता केवल घर के अंदर तक ही होती है। घर की दहलीज के बाहर तो सबसार्वजनिक है। इस लिहाज से और पूरी नारी समाज के हिसाब से इनके इस बयान की जितनी निंदा की जाए उतनाकम ही होगी। इनके इस निर्लज्ज बयान से पूरा नारी समाज अपने को अपमानित महसूस कर रहा है। दूसरा इसपुरूष प्रधान समाज में नारी ही नारी के शोषण की वकालत कर रही है।
यह मुद्दा पूरे देश में बुद्धिजीवियों के बीच मेंएक बहस का मुद्दा होना चाहिए? चूंकि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी स्वयं एक महिला है, को इस प्रकरण मेंव्यक्तिगत रूचि ले नारी सम्मान की रक्षा के लिए दुर्गा का रूप धर आगे आ आताताईयों एवं व्यवचारियों को दण्डदेना ही चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की पुर्नरावृत्ति न हो। मैं चाहुगा कि लीला मदेरणा को भी अपने पुरूष-नारी संबंधों को ले दिये गये बयानों को ले पूरे नारी समाज से भी खेद व्यक्त करना चाहिए आखिर नारी अस्मिता का जो सवाल है।
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