शनिवार, 4 अक्टूबर 2025

मोदी सरकार की उपलब्धि....



पहली उपलब्धि -

1. दुनिया के 25 सबसे ताकतवर देशों की हुयी सूची जारी, भारत आया नम्बर 3 पर, हम से आगे अमेरिका, रूस हैं।

यह है मोदी युग। 

दूसरी उपलब्धि - 

2. 1.4- 1.5 लाख करोड़ के पार पहुँचा जीएसटी का मासिक टैक्स कलेक्शन, ये है एक चाय वाले का अर्थशास्त्र। 

तीसरी उपलब्धि - 

3. नाथ सौर ऊर्जा संयन्त्र लगाने में, अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ , भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर। 

चौथी उपलब्धि - 

4. 2024-25 में दो गुना हुआ, सौर ऊर्जा का उत्पादन, चीन और अमेरिका भी दंग है।

पाँचवी उपलब्धि - 

5. भारत की आसमान छू रही, जीडीपी को देखकर, भारत की जीडीपी 8.2% , चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2%, अब भी कहेंगे, भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं।

छठी उपलब्धि - 

6. जल,थल और आकाश, तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला, दुनिया का पहला देश बना भारत, ये है मोदी युग, अगर आपको गर्व हुआ हो, तो जय हिन्द लिखना न भूलें। 

सातवीं उपलब्धि - 

7. 70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा, लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया, दरअसल पाकिस्तान की कमायी का जरिया, भारतीय नकली नोटों का व्यापार था, जिसे मोदी जी ने ख़त्म कर दिया। 

आठवीं उपलब्धि - 

8. को भी पढ़ें, एक बात समझ में नहीं आयी, 2014 में कांग्रेसी रक्षामन्त्री ऐ. के. एन्टोनी ने कहा था, देश कंगाल है, हम राफेल तो क्या, छोटा जेट भी नहीं ले सकते, पर मोदी जी ने ईरान का कर्ज़ भी चुका दिया, राफेल डील भी करली, S-400 भी ले रहे हैं। शिप भी खुद बना रहे है आख़िर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था...?

नवीं उपलब्धि - 

9. सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच, जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो।

दसवीं उपलब्धि - 

10. अब आपको बताता हूँ , भारत का इन 11 सालों में विकास क्या हुआ, अर्थ व्यवस्था में जापान को पीछे ढकेल नम्बर 4 बना।

ग्यारहवीं उपलब्धि - 

11. ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना।

बारहवीं उपलब्धि - 

12. बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना।

तेरहवीं उपलब्धि  -

13. टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना।

चोदहवीं उपलब्धि - 

14. मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना। 

पन्द्रहवी उपलब्धि - 

15. स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना।

 सोलहवीं उपलब्धि - 

16. चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना ।

सतरहवीं उपलब्धि - 
17. एक अर्थशास्त्री द्वारा विदेशों में गिरवी रखा सोना वापिस लाया ।

18. हमेशा सोये रहने वाले हिन्दुओं में राष्ट्रवाद जगा दिया, पूरी दुनिया के सवा सौ करोड़ हिन्दुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है। मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूँ। 

आतंकियों का सफाया '8' महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुँचाया ।

कृपया करके  - 2 मिनट का समय निकाल कर इसे देश हित में अवश्य शेयर करें विशेष रूप से मोदी जी से अविश्वास करने वाले लोगों को...!

 जय हिन्द जय भारत 🙏🇮🇳

शनिवार, 27 सितंबर 2025

लद्दाख को जलाने में किसकी साजिश??

महज़ कुछ ही दिनों पहले मैंने कहा था कि.. चमचों के राज कुमार विदेश दौरे पर हैं और वह अपने साथ कुछ नया प्रोडक्ट साथ में लाने वाले हैं. इसके लिए भाजपा और सरकार को तैयार रहना चाहिए.... 

विदेशी वामपंथी डीप स्टेट और भारत में रह रहे उसके कालनिमी एजेंटों द्वारा, कैसे एक खुशहाल गणतांत्रिक देश को आग में झोंका जा सके..!! उसका ताजातरीन उदाहरण भारत के केन्द्र शासित राज्य लद्दाख है. डीप स्टेट द्वारा कैसे एक इंसान की इमेज को देश-दुनिया में स्थापित करके, उसका उपयोग किसी देश के खिलाफ किया जा सकता है... उसका बड़ा उदाहरण बांग्लादेश का मोहम्मद यूनुस और भारत का सोनम वांगचुक है. 

मोहम्मद यूनुस का इतिहास तो आप लोगों को पता है, परंतु सोनम वांगचुक का पता नहीं होगा..! आप लोगों को थ्री इडियट्स फिल्म तो #याद होगा, उस फिल्म में आमिर खान ने जो भूमिका निभाई है.. वह असलियत में सोनम वांगचुक ही है.. और इसी बात से आप लोगों को पता चल गया होगा कि.! कैसे सोनम वांगचुक को विदेशी डीप स्टेट द्वारा स्थापित किये जा रहे थे, ताकि उसका उपयोग भारत में अशांति फैलाया जा सके. 

खबर है कि, सोनम वांगचुक की 9 बैंक अकाउंट में से 8 अकाउंट फर्जी निकले हैं..! CBI ने इस तथाकथित कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित एक संस्था के द्वारा FCRA उल्लंघन की जांच शुरू की, अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है. वांगचुक द्वारा स्थापित संस्था के द्वारा FCRA कानून के उल्लंघनों की, CBI द्वारा जाँच शुरू करना इस बात पर प्रकाश डालता है कि, समाज में रह रहे उच्च-प्रोफ़ाइल कार्यकर्ता और शिक्षाविद् भी कानून से ऊपर नहीं हैं.. FCRA नियम विदेशी धन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हैं, और किसी भी उल्लंघन के, गंभीर राष्ट्रीय परिणाम हो सकते हैं. दुनिया भर के ये सभी तथाकथित कार्यकर्ता डीप स्टेट के पैसे वाले पिट्ठू हैं. उन्हें उन गतिविधियों के लिए पैसे मिलते हैं जिनकी वे योजना बनाते हैं और ये पिट्ठू टूल किट का पालन करते हैं. 

विदेशी और देसी डीप स्टेट द्वारा, लद्दाख में कैसे आग लगाई गई, चलिए उस पर थोड़ा चर्चा कर लेते हैं.. यह जो तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता, सोनम वांगचुक है, वह कई सालों से ही अंदरखाने भारतीय सरकार के खिलाफ काम कर रहा था.. जो देश की सेना और देश की विकास पे बाधा डाल रहा था. उस पे केन्द्र सरकार पिछले 2 सालों से बारीकियों से नजर रख रही थी एवं उसके हर गतिविधियों पर भी एजेंसियों का नज़र था. 

भारत का केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने एवं राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर विदेशी टुलकिट गैंग के तथाकथित स्वयंभू सामाजिक कार्यकर्ता... सोनम वांगचुक ने 35 दिनों के धरने का एलान किया था.! भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 24 सितंबर 2025 को लेह, लद्दाख में भड़की हिंसा को लेकर एक बयान जारी किया जिसमें सोनम वांगचुक को उत्पात भीड़ को उकसाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया.. सरकार के अनुसार, वांगचुक ने 10 सितंबर 2025 को लद्दाख को छठी अनुसूची में दर्जा और राज्य का दर्जा देने के #मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दी थी. 

केन्द्र सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि, केंद्र इन मुद्दों पे एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति, एक उ-समिति और कई अनौपचारिक बैठकों के माध्यम से और शीर्ष निकाय लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ सक्रिय बातचीत कर रहा है. सरकार ने कहा कि इस व्यवस्था से पहले ही अभूतपूर्व परिणाम सामने आए हैं, जिनमें लद्दाख में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% करना, परिषदों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण और भोटी व पुर्गी को आधिकारिक भाषा घोषित करना शामिल है. 1,800 पदों पर भर्ती भी शुरू हो चुकी है. हालांकि बयान में आरोप लगाया गया है कि "कुछ राजनीति से प्रेरित व्यक्ति" इस प्रगति से नाखुश हैं और बातचीत को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं. अगली उच्च स्तरीय समिति की बैठक 6 अक्टूबर को होगी, जबकि लद्दाखी नेताओं के साथ अतिरिक्त बैठकें 25 और 26 सितंबर को निर्धारित हैं. सरकार ने स्पष्ट किया कि वांगचुक द्वारा उठाई गई माँगें पहले से ही एचपीसी में चर्चा का हिस्सा थीं. सरकार ने कहा कि कई नेताओं द्वारा अनशन समाप्त करने की अपील के बावजूद भी वांगचुक ने अपना अनशन जारी रखा और अरब स्प्रिंग शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में GEN-Z विरोध प्रदर्शनों का भड़काऊ उल्लेख करके लोगों को गुमराह किया. 

24 सितंबर 2025 को लगभग 11:30 बजे, वांगचुक के भाषणों से कथित रूप से उकसाई गई एक भीड़ ने अनशन स्थल छोड़ दिया और लेह में एक राजनीतिक दल के कार्यालय और मुख्य कार्यकारी पार्षद CEC के कार्यालय पर हमला कर दिया। बयान में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने इन कार्यालयों में आग लगा दी, एक पुलिस वाहन को आग लगा दी, सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया, जिसमें 30 से ज्यादा पुलिस एवं CRPF कर्मी घायल हो गए..! भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को भी नष्ट करना और सुरक्षा बलों पर हमला करना जारी रखा. पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए ऑपरेशन शुरू की, जिसमें कई लोग हताहत हुए. सरकार ने शाम 4 बजे तक स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया.. हिंसा के बीच, वांगचुक ने अपना अनशन तोड़ दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए बिना" एम्बुलेंस से अपने गाँव चला गया.. यह फुंगशुक वांगडू उर्फ रैंचो ने ही लद्दाख और उत्तराखंड में, हमारे #सेना के लिए जो स्ट्रक्चर बनाए जा रहे थे, #पर्यावरण के नाम पर उन सभी प्रोजेक्टों को लटकाने के लिए बहुत प्रयास किया था..! इसके पाकिस्तान दौरा भी CBI के जांच में है..

साभार वंदे मातरम

शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

Happy Birthday Namo जी ❤️

राम यज्ञ से पैदा हुए थे, आकाश पुत्र थे। उनकी पत्नी सीता भूमि से पैदा हुई थी, भूमिजा थी, वन्य कन्या थी। राम सारी उम्र अरण्य के पशुओं और ग्राम के मानवों को मॅनेज करने में लगे रहे, पशुओं को इंसान बनाते रहे। राम ग्राम वासी भी थे और वनवासी भी। राम शिव भक्त भी है इसलिए राम के फैसलो में, भाव में दिगम्बर परम्परा दिखती है। माँ के कहने पर राज्य त्याग दिया, आभूषण त्याग दिए, मुकुट त्याग दिया। धोबी के कहने पर रानी सीता त्याग दी। "जीवन पर्यन्त नियमों का पालन करते रहे, नियम सही हो या गलत उन्हें पालन करना ही था।"

इसके विपरीत कृष्ण कभी किसी बंधन में नहीं रहे। उनके ऊपर परिवार का सबसे बड़ा बेटा होने का भार नहीं था। वो छोटे थे इसलिए स्वतंत्र थे और चंचल भी। मर्यादा का भार नहीं था उनपर। उन्होंने अरण्य और ग्राम में बॅलेंन्स साधने की कोशिश कभी नहीं की। उन्होंने वन को ही मधुवन बना लिया। गलत नियम मानने को बाध्य नहीं थे कृष्ण। अतः उन्होंने नियमों को नहीं माना। राम वचन के पक्के थे, उन्होने अयोध्या वासियों को वचन दिया था कि चौदह वर्ष बाद लौट आऊँगा। समय से पहुँचने के लिए उन्होंने पुष्पक विमान का उपयोग किया। 

कृष्ण ने गोपियों को वचन दिया था, मथुरा से लौट कर जरुर आऊँगा, वो कभी नहीं लौटे। राम ने गलत सही हर नियम माना, कृष्ण ने गलत नियम तोड़े। राम के राज्य में एक मामूली व्यक्ति रानी पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नियम के तहत गॉसिप कर सकता था,  मगर कृष्ण को शिशुपाल भी सौ से ज्यादा गाली नहीं दे सकते थे। राम मदद तभी करते है जब आप खुद लड़ो। वो पीछे से मदद करेंगे। सुग्रीव को दो बार बाली से पिटना पड़ा तब राम ने बाण चलाया। कृष्ण स्वयं सारथी बन के आगे बैठते हैं।

नरेंद्र मोदी को देखिए। वो भी त्यागने की बात करते हैं। पुराने नोट त्याग दो, दो नम्बर का पैसा त्याग दो, गैस सब्सिडी त्याग दो। उनके सारे फैसले राज-धर्म, संविधान के अनुरूप ही होते है, भले ही संविधान का वो नियम सही हो या गलत। मोदी हमेशा अरण्य और ग्राम में बैलेंस साधने की कोशिश करते हैं। 'सबका साथ सबका विकास'। वो पशुओं को मानव बनाने का प्रयास करते हैं। 

अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम अपना पराया कोई भी उन्हें 24  घण्टे गाली दे सकता है। मोदी में दिगम्बर भाव है, सब त्याग बैठे हैं, अपमान सम्मान सब। आपकी गालियों से उन्हें ताकत मिलती है। विरोध के अधिकार के नाम पर आप उनकी नाक के नीचे सड़क जाम कर महीनों बैठ सकते हैं। वो देश के बड़े बेटे है, नियम अनुरूप ही आचरण करेंगे। भेदभाव करते हुए नहीं दिख सकते।

वहीं योगी आदित्यनाथ को देखिए। उसी अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर एक उन्हें एक गाली दे दीजिए, 24 घण्टे के अंदर आप पर मुकदमा होगा औऱ 48  घण्टे में जेल में होंगे। कनिका कपूर मुंबई, दिल्ली, लखनऊ कानपुर गई। कहीं मुकदमा दर्ज नहीं हुआ उस पर सिवाय यूपी के। "आपिये दिन रात फ़र्ज़ी खबरें शेयर करते हैं"  मोदी के विरोध मे। मोदी प्रतिक्रिया  नहीं देते। योगी आदित्यनाथ पर एक फ़र्ज़ी ट्वीट में ही राघव चड्ढा पर मुकदमा दर्ज हो जाता है। 

जिस विरोध के अधिकार के तहत दिल्ली में सौ दिन से ज्यादा प्रदर्शन होता रहा, उन्हीं नियमों के तहत यूपी में एक भी प्रदर्शन नहीं चल पाया। राजनीति का नियम है कि सरकार बदलने पर बदला नहीं लिया जाता लेकिन योगी जी ने आज़म खान के पूरे परिवार को जेल में सड़ा दिया। मोदी का भाव दिगम्बर है योगी का आचरण दिगम्बर है। मोदी तब मदद करेंगे जब आप खुद लड़ोगे। योगी शंखनाद होते ही रथ की लगाम थाम लेते हैं।

मोदी ट्रेंड फॉलो करते है.....          ..
योगी ट्रेंड सेट करते हैं.... क्रिएट करते हैं, 

यू हॅव राम इन त्रेता.... यू हैव कृष्ण इन द्वापर।
"यू हैव बोथ इन कलयुग"  

हैप्पी बर्थडे मोदी जी ( be later)
(जोया मंसूरी)

संविधान V/S कांग्रेस का संविधान..

भीम राव अंबेडकर  के संविधान में....
 (1)वक्फ बोर्ड नहीं था।
(2) मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड नहीं था।
(3) अल्पसंख्यक बोर्ड नहीं था।
(4) मदरसों को सरकारी पैसा नहीं था।
(5) मौलवी को सरकारी तनख्वाह नहीं थी।
(6)सभी पुरषों को समान अधिकार था।
(7) सभी महिलाओं को समान अधिकार था।

कांग्रेस पार्टी का संविधान

(1) वक्फ बोर्ड है।
(2)मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड है।
(3) अल्पसंख्यक बोर्ड हैं।
(4) मदरसों को सरकारी पैसा है।
(5)मौलवियों को सरकारी तनख्वाह है।
(6) सभी महिलाओं को समान अधिकार नहीं है। मुस्लिम महिलाओं को तलाक के बाद गुजारा भत्ता तक नहीं है।
(7) सभी पुरषों को समान अधिकार नहीं है,हिन्दू 1 शादी करेगा तो मुस्लिम 4 शादी कर सकता है।

कांग्रेस पार्टी का सेकुलरवाद एवं धर्म निरपेक्षता।

(1) मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड हो सकता है हिन्दू पर्सनल बोर्ड नहीं।
(2) मुस्लिम वक्फ बोर्ड हो सकता है हिन्दू वक्फ बोर्ड नहीं।
(3) मुस्लिम 4 शादी कर सकता है हिन्दू नहीं।
(4)मदरसों में धार्मिक शिक्षा देने के लिए भारत सरकार पैसा देगी हिन्दू अपनी धार्मिक शिक्षा नहीं दे सकता है।
(5) मस्जिद का पैसा मस्जिद कमेटी लेगी हिन्दू मंदिरों का पैसा सरकार लेगी।
(6)मुस्लिम भारत में दूसरे स्थान पर है फिर भी अल्पसंख्यक है। हिन्दू 8 राज्य मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम , लक्षद्वीप, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पंजाब, और जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक है फिर भी उन्हें बहुसंख्यक बताया गया।

समाज मे ऐसे दोहरे चरित्र से क्या असर पड़ेगा लोग एक दूसरे से नफरत करने लगते है नफरत का बीज बोया गया और आज नफरत शुरू हो गई तो बोलते है हिन्दू मुस्लिम हो रहा है ।

 हिन्दू मुस्लिम के बीच नफरत की दीवार कॉंग्रेस पार्टी ने ही खड़ी कर दी। आज लोग बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी के संविधान के अनुसार अपना अधिकार मांग रहे है बस सबको समान अधिकार चाहिए जब हिन्दू अपने ही देश मे अपना अधिकार मांग रहा है तो कॉंग्रेस बोलती है हिन्दू मुस्लिम हो रहा है।।
2014 के पहले सिर्फ मुस्लिम मुस्लिम होता था।।🔥🔥🔥

सोमवार, 15 सितंबर 2025

भगवा क्रांति कब ??

कुछ दिन पहले भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा :- 

"अगर इस देश में धार्मिक हिंसा भड़काने के लिए कोई जिम्मेदार है, तो वह सुप्रीम कोर्ट और उसके जज हैं!"

उनके इस बयान से बड़ा विवाद खड़ा हो गया और विपक्षी दलों ने उनकी कड़ी आलोचना की। हालांकि, जाने-माने वैज्ञानिक, लेखक और वक्ता आनंद रंगनाथन ने दुबे का पूरा समर्थन करते हुए एक वीडियो बयान जारी किया। 

धाराप्रवाह अंग्रेजी में रंगनाथन ने सुप्रीम कोर्ट से 9 शक्तिशाली सवाल पूछे। ये सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं।इसका नीचे एक संक्षिप्त सारांश दिया गया है :-

आनंद रंगनाथन के सुप्रीम कोर्ट से 9 सवाल:

1. 'कश्मीर मुद्दे पर दोहरे मापदंड:' सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ विपक्षी दलों की याचिकाओं पर तुरंत विचार किया। लेकिन जब 1990 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ़ अत्याचारों के बारे में याचिकाएँ दायर की गईं - जैसे जबरन विस्थापन, घरों पर कब्ज़ा, मंदिरों को तोड़ना, हत्याएँ, बलात्कार और सामूहिक पलायन - तो उन्हें कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि, "यह बहुत पहले हुआ था।"

क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है ? 
क्या इससे हिंदुओं में गुस्सा नहीं पैदा होता? 
क्या यह धार्मिक संघर्ष का कारण नहीं बनता ?*

2. 'वक्फ बोर्ड के दुरुपयोग पर चुप्पी:` सुप्रीम कोर्ट अब वक्फ बोर्ड के सुधारों को लेकर चिंतित है। लेकिन पिछले 30 वर्षों में, वक्फ बोर्ड ने अवैध रूप से संपत्ति जब्त की, करों taxes से परहेज किया और एक समानांतर न्यायिक प्रणाली संचालित की - फिर भी कोर्ट चुप रहा। यदि सुधारों को इस्लाम के लिए खतरा माना जाता है, तो हिंदू भूमि पर मस्जिद और दरगाह बनाना कैसे स्वीकार्य था? 

वक्फ बोर्ड ने 2 मिलियन से अधिक हिंदुओं की संपत्ति जब्त की। सुप्रीम कोर्ट चुप रहा। अगर यह धार्मिक पक्षपात नहीं है, तो क्या है ?

3. `मंदिरों का धन कहीं और खर्च किया जाता है, हिंदुओं पर प्रतिबंध:` हिंदू मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है। उनकी आय का उपयोग मदरसों, हज यात्राओं, वक्फ बोर्ड, इफ्तार दावतों और ऋणों के लिए किया जाता है। लेकिन हिंदू धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध हैं। हिंदू अधिकारों से संबंधित याचिकाएँ अक्सर खारिज कर दी जाती हैं। अल्पसंख्यकों को हमेशा विशेष प्राथमिकता दी जाती है। 

क्या यह उचित है ? या यह हिंदुओं के गुस्से को भड़काने का एक तरीका है ?

4. `हिंदुओं के खिलाफ शिक्षा में भेदभाव:` शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत, हिंदू स्कूलों को अल्पसंख्यकों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी पड़ती है । लेकिन मुस्लिम और ईसाई संस्थानों को इस नियम से छूट दी गई है। हजारों हिंदू स्कूलों को बंद करना पड़ा, और हिंदू बच्चे अब गैर-हिंदू संस्थानों में पढ़ते हैं।

क्या यह धर्म परिवर्तन को बढ़ावा नहीं दे रहा है ? 
सुप्रीम कोर्ट इस एकतरफा नियम को क्यों नहीं देखता ?

5. `स्वतंत्र भाषण का पाखंड:` जब हिंदू बोलते हैं, तो इसे “घृणास्पद भाषण” कहा जाता है। जब दूसरे बोलते हैं, तो इसे "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" कहा जाता है। नुपुर शर्मा ने केवल हदीस से उद्धरण दिया, और न्यायालय ने इसे घृणास्पद भाषण कहा। लेकिन जब स्टालिन और अन्य नेताओं ने सनातन धर्म को "बीमारी" कहा, तो न्यायालय चुप रहा। 

क्या यह न्याय है ?

6. `हिंदू परंपराओं पर पक्षपातपूर्ण प्रतिबंध:` सर्वोच्च न्यायालय ने दशहरा पशु बलि जैसी हिंदू प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन ईद के दौरान सामूहिक हलाल पशु वध के बारे में कोई सवाल नहीं उठाया गया। जन्माष्टमी के दौरान, दही हांडी समारोह में ऊंचाई प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है। लेकिन मुहर्रम से संबंधित हिंसा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। दिवाली के पटाखों को पर्यावरण के लिए हानिकारक कहा जाता है, लेकिन क्रिसमस की आतिशबाजी की कोई आलोचना नहीं होती।

क्या यह भेदभाव नहीं है?

7. `पूजा स्थल अधिनियम हिंदू पुनर्स्थापना को रोकता है:` 1991 के पूजा स्थल अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि 15 अगस्त, 1947 तक के स्थानों के धार्मिक चरित्र को नहीं बदला जाना चाहिए। यह कानून हिंदुओं को उन प्राचीन मंदिरों को पुनः प्राप्त करने से रोकता है जिन्हें मुस्लिमों शासकों ने नष्ट कर दिया था या परिवर्तित कर दिया था। राम मंदिर के लिए कई दशकों तक लड़ाई लड़नी पड़ी। कई अन्य मंदिरों पर अतिक्रमण जारी है। 

क्या यह ऐतिहासिक अन्याय नहीं है?

8. `केवल हिंदू परंपराओं को निशाना बनाना:` सबरीमाला मामले में, न्यायालय ने हिंदू भावनाओं को ठेस पहुँचाई। कुछ हिंदू मंदिरों में केवल पुरुषों या केवल महिलाओं के रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। लेकिन न्यायालय ने केवल हिंदू परंपराओं पर सवाल उठाया। इस्लाम में, महिलाएँ मस्जिदों में प्रवेश नहीं कर सकती हैं या कुछ खास परिस्थितियों में कुरान नहीं पढ़ सकती हैं। ईसाई धर्म में, महिलाएँ पुजारी नहीं बन सकती हैं। 

न्यायालय ने उन धर्मों पर सवाल क्यों नहीं उठाया?

9. `सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान निष्क्रियता:` शाहीन बाग़ विरोध और सीएए विरोधी दंगों के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक सड़कें जाम कर दीं, लेकिन न्यायालय ने इसे नहीं रोका।

क्या यह कानून का मज़ाक नहीं है? क्या इससे भी हिंदुओं का गुस्सा नहीं बढ़ा ?

यह शक्तिशाली संदेश सभी तक पहुँचना चाहिए।

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

अहीर और मुस्लिम से विवाह संबंध..

 लालमणि गोंड़ संवाददाता शु'द्र  अहीर (ग्वाला) और मुगल वैवाहिक संबंध 🫣👇

(1). सन् (1299) 2 जनवरी को दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने रेवाड़ी के दास अहिर की बड़ी बेटी नीरा से विवाह किया

(2). सन् (1688) 15 जून को नूरशाह ने रीति अहिर से विवाह किया ने

 (3). सन् (1405) 30 जनवरी को फर्रुखसियार ने मजनी अहिर से विवाह किया

 (4). सन् (1509) 31 अक्टूबर को अहमदशाह ने चेऊरी अहिर से विवाह किया

(5). सन् (1630) 18 सितंबर को अहमदशाह खान ने रीतु अहिर से विवाह किया

 (6). सन् (1909) 19 अगस्त को महमूदशाह खान ने झरूखी अहिर से विवाह किया

 (7). सन् (1206) 30 दिसंबर को तुर्क मुरखाद खा ने मयूरी अहिर से विवाह किया था

(8). सन् (1923) 16 मार्च को असरूला खा ने लाल अहीर की दो पुत्रियों से विवाह किया था

 (9). सन् (1796) 23 अप्रैल को आदिलशाह ने चित्रा अहिर से विवाह किया

(10). सन् (1866) 9 नवंबर को रूप दुल्लाशाह खा ने चिंतामणि अहिर से विवाह किया

(11). सन् (1931) 13 फरवरी को सुरलाल अहिर की पुत्री कयुमी अहिर का विवाह हैदराबाद के नवाब गुरुफ्फा खां से

 (12). सन् (1616) 29 जुलाई को सलीमुल्लाह जहां का विवाह जंनवी अहिर से हुआ!

सोमवार, 24 मार्च 2025

राणा सांगा ने बाबर को आमंत्रण दिया क्या ?

अहमद यादगार एक अफगानी इतिहासकार थे जिसने एक किताब लिखी है - तारीख ऐ सलतनत ऐ अफ़ग़ान। इस किताब के एक अंश पर निगाह फेरनी जरुरी है। 

कालखंड - 
बाबर काबुल में मौजूद है और अपने लड़के कामरान के निकाह की तैयारी में मशरूफ है। 

देहली में सुल्तान इब्राहिम लोधी सत्ताशीन है - उसका चाचा दौलत खान लोदी पंजाब का सूबेदार है. सुल्तान ने अपने चाचा को देहली बुलवाया और चाचा ने खुद ना जाकर अपने लड़के दिलावर खान को भेज दिया। सुल्तान इब्राहिम लोदी अपनी हुक्मउदूली देख नाखुश हुआ और उसने अपने चचाजाद को पकड़ने का हुक्म दिया। दिलावर वहां से जान बचा कर भगा और लाहौर आ अपने बाप को इतिल्ला दी। बाप - दौलत खान लोदी की पेशानी पर चिंता साफ़ थी - सुल्तान उसे ना बख्शेगा - अब सुल्तान को देहली की गद्दी से पृथक करने में ही उसकी और उसके लड़के की जान बच सकेगी। दौलत खान लोदी ने तुरंत दिलावर खान और आलम खान को काबुल रवाना किया जहाँ बाबर शाह मौजूद था। 

काबुल में पहुंच दिलावर ने चार बाग़ में बाबर से मुलाकात की। बाबर ने उस से पुछा- तुम ने सुल्तान इब्राहिम का नमक खाया है तो ये गद्दारी क्यों ?

दौलत खान लोदी के लड़के ने उत्तर दिया - लोदी कुनबे ने चालीस साल तक सत्ता संभाली है किन्तु सुल्तान इब्राहिम ने सब अमीरो के साथ बदसलूकी की है - पच्चीस अमीरों को मौत के घाट उतार दिया है किसी को फांसी पर लटका कर , किसी को जला कर। उसकी खुद की जान के वांदे है - और उसे अनेक अमीरों ने बाबर से मदद मांगने भेजा है। 

निकाह में मशरूफ बाबर ने एक रात को मोहलत मांगी और चार बाग़ में इबादत की - आए मौला , मुझे राह दें - कुछ हिंट दे कि हिन्द पर हमला कर सकूँ। बाबर ने दुआ में कहा - यदि हिन्द में होने वाले आम और पान यदि उसे तोहफे में दिए जाएंगे तो वो मान लेगा कि खोदा चाहता है कि वो हिन्द पर आक्रमण करें। 

अगले दिन - दौलत खान के दूतों ने उसे अधपके आम जो शहद में डूबे हुए थे- पेश किये। 
 
ये देख बाबर उठ खड़ा हुआ - आम की टोकरी देख वो सजदे में झुक गया और अपने सिपहसालारों को हिन्द पर कूच करने का हुक्म दिया. 

ये है कहानी बाबर को न्योता देने की - दौलत खान लोदी द्वारा - अपने बेटे की जान बचाने हेतु. 

इस कहानी का रिफरेन्स दो किताबों से आप देख सकते है -

१- annette बेवरिज की अनुवादित बाबरनामा से - इस किताब से वो पन्ना भी पोस्ट में सगंलग्न देखिये. 
२- एलियट एंड डॉब्सन की किताब हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया वॉल्यूम पांच में इसी अफगानी इतिहासकार का सन्दर्भ बिलकुल यही है।

अब भी इस साक्ष में किंतु परंतु अगर मगर , अरे ऐसा नहीं है, घंट पिंट पचास बहाने पेश करने वाले भी मिल जाएँगे- लेकिन सत्य तो यही है- कि बाबर आम देख हिन्द पे हमले करने को लालायित हो गया था। 

आम- ही वो अभियुक्त है जिसने बाबर को ललचाया।

शनिवार, 11 जनवरी 2025

मुस्लिम लड़कियों के हिंदू पति

सुनील दत्त - नर्गिस
संजय दत्त - दिलनवाज शैख़ (मान्यता)
ऋतिक रोशन - सुजेन खान
अतुल अग्निहोत्री - अलविरा खान
रोहित राजपाल - लैला खान
किशन चंदर - सलमा सिद्दीकी
नाना चुडास्मा - मुनिरा जसदानवाला
अजय अरोरा - सिमोन खान
आदित्य पंचोली - ज़रीना वहाब
अजीत आगरकर - फातिमा घन्दिल्ली
सुनील शेट्टी - माना कादरी
सचिन पायलेट - उमर अब्दुलल्ला की बहन
अरुण आहूजा (गोविंदा के पिताजी ) - नजीम
शिरीष कुंदर - फरहा खान
सुंदर c - खुशबू
अरुण गवली - आयशा
मनोज वाजपेयी - शबाना रजा
पंकज कपूर - नीलिमा अज़ीम
गुंडू दिनेश राव - तबस्सुम
अनिल धारकर - इम्तिआज़ गुल
शशि रेखी - वहीदा रहमान
राज बब्बर - नादिरा ज़हीर
कर्नल सोढ़ी - नफीसा अली
मयूर वाधवानी - मुमताज़
रंधावा - मलिका खान
विष्णु भागवत - निलोफर
किशोर कुमार - मधुबाला (मुमताज़ बेगम)
v s नाइपाल - नादिया
कबीर सुमन - सबीना यास्मिन
राजीव राय - सोनम (बख्तावर)
बी आर इशारा - रेहाना सुल्तान
समीर नेरुकर - तसनीम शैख़
अनुराग मोदी - शमीम
कमलेश्वर नाथ सहगल - जोहरा खान
विक्रम मेहता - तसनीम
सौमिल पटेल - अनीता अय्यूब
भारत चन्द्र नारा - जहा आरा चौधरी
टीनू आनंद - शहनाज
एम एस सथ्यु - शमा जैदी
रवि शंकर - रोशन आरा
प्रदीप चेरियन - फौजिया फातिमा
पंकज उधास - फरीदा
के एन सहाय - जाहिदा हुसैन
ब्रिज सदाना - सईदा खानम
निर्मल पांडे - कौसर मुनीर
विजय गोविल - तबस्सुम
अमित मोइत्रा - नाहिद करीमभॉय
रूप के शोरी - खुर्शीद जहाँ
हंसलाल मेहता - सफीना हुसैन
कुमुद मिश्रा - आयशा रजा
रणजीत बेदी - नाजनीन
मनोज प्रभाकर - फरहीन
रोहित रामकृष्णनन - शबनम मिलवाला
गनपत लाल भट्टी - शमशाद बेगम
आर के पूरी - शहनाज़ हुसैन
टी के सप्रू - ताजोर सुल्ताना
रमेश भगवे - जैनब
महेश कौल - चाँद उस्मानी
किशोर शर्मा - मलिका बानो
चमन लाल गुप्ता - असगरी बाई
राजा बहाद्दुर शिवेंद्र सिंह - यमन खान
हेमंत भोंसले - साजिदा
विवेक नारायण - सोनिया जहाँ
सारनाथ बेनर्जी - बेनी आबिदी
अशोक काक - जबीं जलील
सुमेध राजेंद्रन - मासूमाँ सय्यद
धीरज सिंह - सहर जहाँ
गौरव करण - फातिमा मेहंदी
मनीष तिवारी - नाजनीन शिफा
शिरीष गोडबोले - ज़रीना मोइदु
इन्द्रजीत गुप्ता - सुरैया
सीताराम येचुरी - सीमा चिश्ती
नरसिंह ज्ञान बहाद्दुर - जुबैदा बेगम
सुमित सहगल - शाहीन
अर्जुन प्रसाद - परनिया कुरैशी
बालगन्धर्व - गोहर जान कर्नाटकी
रणजीत मल्होत्रा - रुबीना बक्षी
गजेन्द्र चौहान - हबीबा रहमान
राजीव राव - सोनिया फतह
संजय भौमिक - सबा नकवी
पी जी सतीश - शकीला
मलिन गज्जर - उमैमा बंदूकवाला
सचिन उपाध्याय - नाजिया युसूफ
राजिव सिंह - सनोबर कबीर
रितेश पंड्या - रोही मिर्ज़ा
विन्दु - फरहा नाज़
अनिल विश्वास मेहरुन्निसा
कुणाल खेमू - सोहा अली खान