स्वतंत्रता संग्राम के दो कैदी में से एक ''तथाकथित'' कैदी के किताब लिखने की इच्छा पर अंग्रेजो ने कॉपी,पेन स्याही,प्रकाश की ब्यवस्था कर दिया ओ कैदी था जवाहरलाल नेहरू और दूसरे कैदी के क्रांतिकारी लेखन को दबाने के लिए काल कोठरी में डाल दिया तो उस कैदी ने अपने नाखुनो को कलम और जेल की दीवाल को कॉपी बना दिया और लेखन किया ओ कैदी थे विनायक दामोदर सावरकर !
असल में विनायक दामोदर सावरकर नेहरु की आँखों में किसी रेत की कण की तरह चुभते थे क्योकि सावरकर जी को ''हिन्दू राष्ट्रवाद'' पसंद था जिसे ओ आगे बढ़ाना चाहते थे ! जबकि नेहरू अपने वंसजों का मजहब मुस्लिम राष्ट्रवाद (इस्लामिक कटटरवाद)' बहुत पसंद थे जिसे नेहरू आगे बढ़ाना चाहता था ! सावरकर जी Ka ''हिन्दू राष्ट्रवाद'' नेहरू ( इलाहबाद के मीरगंज में नाहर वाली कोठी में जन्म लेने से ''उपनाम नेहरू'' मिला, आपको बता दें की मीरगंज क्षेत्र प्रसिद्ध वेश्याओ का कोठ था और आज भी है) को बिलकुल भी पसंद नहीं था इसलिए नेहरु के इशारे पर कांग्रेस सावरकर जी को बदनाम करती आ रही है !
सावरकर जी को अंडमान की सेलुलर जेल में दो जन्म काले पानी की सजा मिली थी जो इतिहास में पहली बार है ! अंग्रेज उन्हें फांसी से भी भयानक सजा देना चाहते थे इसलिए उन्हें दो जन्मो की कालेपानी की सजा दी थी उन्हें दस किलो तेल भी निकलना होता था ! बैल की जगह खुद सावरकर जी अपने हाथो से कोल्हू चालाकर रोज 10 किलो तेल निकालते थे !
जब सावरकर जी की धर्मपत्नी बेहद गम्भीर बीमार थी तब उन्होंने पेरोल के लिए आवेदन दिया ! अंग्रेजी कानून के मुताबिक जब भी कोई सेनानी पेरोल के लिए आवेदन देता था तो उसे अपने अच्छे चाल चलन की गारंटी देनी होती थी ये प्रथा आज भी है ! लेकिन धूर्त इतिहासकार सिर्फ उनके पेरोल आवेदन को ही दिखाकर कहते है की सावरकर डर गये थे जबकि सच्चाई ये है की जब जेलर ने उन्हें कहा की मजिस्ट्रेट के सामने यूनियन जैक [अंग्रेजी झंडा] के सामने शपथ लेनी होगी ..सावरकर जी ने साफ़ मना कर दिया और कहा की भले ही मै अपनी मरती पत्नी को न देख सकूं ..लेकिन मै अंग्रेजी झंडे की शपथ नही ले सकता और पेरोल का आवेदन वापस ले लिया !
जेल में सावरकर जी ने दिवालो पर नाख़ून और कोयले से कई किताबे लिखी जो देश आजाद होने के बाद छापी गयी !
ये सावरकर जी ही थे जिन्होंने लन्दन के इण्डिया हाउस में अंग्रेजो के नाक के नीचे ही सेनानियों को तैयार करते थे ''मदन लाल धिगरा'' जैसे शहीदों को उन्होंने ही तैयार किया था .! लन्दन में जब अंग्रेजो ने ऊन्हे गिरफ्तार किया तब वो शीप (पानी वाले जहाज) से कूदकर फरार हो गये और कई दिनों तक समुद्र में तैरने के बाद फ्रांस पहुंच गये !
आप भारत का स्वतंत्रता संग्राम पढिये आपको यकीन हो जायेगा की नेहरु और गाँधी असल में सेनानी नही बल्कि अंग्रेजो के दलाल थे एक तरफ अंगेरजी सरकार सेनानियों को फांसी से लेकर कालेपानी की सजा देती थी ..लेकिन इन दोनों दलालों को कभी तीन सालो से ज्यादा जेल में नही रखा .. गाँधी को तो अंग्रेज जेल में नही बल्कि पुणे के आलिशान आगा खान के पैलेस में रखते थे जहाँ वो सूरा सुन्दरी का जमकर मजा ले सकते थे !
आगा ख़ाँ पैलेस मैंने देखा है ! इस पैलेश का वाथरूम ही 10 बाय 10 फिट में बेहतरीन संगमरमर लगे पथ्थरों से निर्मित है जो आज भी है !कांग्रेस की ऑफिसियल ट्वीटर अकॉउंट से सव्रक्कर जी को एक आतंकी बताया गया है ! यही कांग्रेस भगत सिंह जी को की किताबों में आतंकी बताया है ! अब बताये इस कांग्रेस और इनकी इटालियन राजमाता को गाली नहीं दू तो क्या करू ?!
#भारत_माता_की_जय !
भाई नमस्कार , ब्लॉग लिखते है अहिरौली बघेल जनपद देवरिया यूपी का इतिहास लिख दीजिये ----सामग्री रीवा और सोहावल से मिल जायेगी ,खासकर संग्राम सिंह वाघेल का इतिहास , बहियारी बघेल पिपरा बघेल दो अन्य गाँव भी है ९ किमी की दुरी पर इनके बीच के रियाया गर्व से अपने को बघेल के नजदीकी जोडती है ,अभी कुछ् रोज पहले गाँव के यादव दिल्ली में की मेरे गाँव का दायरा २०-२२ किमी में है मेरे पहुचते की बाबु साहेब बतायेगे , सोहावल वाले मुकदमा भी लड़ रहे है प्रॉपर्टी का ,,अभी कुछ लड़के उदयपुर गए थे जहा अरविन्द सिंह जी ने गाड़ी भेजी थी भोज दिया था तथा वघेलो का उनके हर युद्ध में सहभागिता बताया हल्दीघाटी में ५००० वघेलो ने अपनी आहुति दी थी ................वैसे पुष्पराज सिंह एक मुस्लिम रिजवान से पोर्टल बनवाए है लेकिन आप से उम्मीद है ....बिहार में सोनपुर में हाथी घोड़े के मेला लगता है जहा बुजुर्ग जाते थे और जहा मुस्लिम उत्पात होता था उसको शांत भी किये कुछ लोग धर्मयुद्ध में गए वही रह गए .....सुलभ वाले बिदेश्वरी पाठक के गाँव का नाम भी रामपुर बघेल है ..................सादर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआप जानकारी दीजिये जरूर लिखना कुछ सामग्री स्वेम जुटाऊंगा !
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