#बिकाऊ #मिडिया
विश्वविद्यालयों के जरिए सरकार का तख्ता पलटने की तैयारी थी!
JNU देशद्रोह मामले में जो लोग टीवी स्टूडियो में बैठे हैं या जो रात-दिन न्यूज चैनल देखकर
ही अपनी समझ बनाते हैं, वो बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं! जेएनयू के कर्मचारियों से लेकर जेएनयू के आसपास के रिहायशी इलाके, प्रोफेशनल्स, गृहणियों, अॉटो, रिक्शा, फल बेचने वाले, आम दुकानदारों, मेट्रो व बसों में चलने वालों, ग्रामीणों, घर में काम करने वाली बाई आदि से बात करके देखिए, या चुपचाप उनकी बातें सुनिए-- आपको पता चलेगा कि लाल सलाम का यह आखिरी गढ़ किस तरह से कोमा में पहुंच चुका है!
ऐसे ही राहुलगांधी, अरविन्द केजरीवाल, राजदीप सरदेसाई आदि अपनी देशभक्ति की दुहाई देने के लिए बयानबाजी नहीं कर रहे, बल्कि जनता का मूड पूरी तरह से इनके खिलाफ चला गया है।
आजाद हिंद फौज से लेकर 1962 में चीन से युद्ध के समय अपने गहने उतार कर देश के लिए देने वाली महिलाएं व उनका परिवार, 'भारत की बर्बादी और भारत के सौ टुकड़े' करने वालों के साथ खड़ी होंगी- कोई मूर्ख और पागल ही ऐसा सोच सकता है!
कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप साबित हो या न हो, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के कारण खुलेआम भारत की बर्बादी और कश्मीर की आजादी का नारा लगाने वाले #उमरखालिद व उसके साथियों के पक्ष में बोलने वाले राहुल, केजरीवाल, कम्युनिस्ट पार्टी व पत्रकारों के नये टोन सुनिए, वो फंस गए हैं! यही कन्हैया की जगह पहले उमर या कोई दलित छात्र गिरफ्तार होता तो अभी तक सेक्यूलरिज्म और दलितवाद का नारा व उत्पीड़न का नारा बुलंद हो चुका होता! देश के विश्व विद्यालयों के जरिए मोदी सरकार के खिलाफ मिश्र की तरह असंतोष पैदा करने के बड़े षड्यंत्र पर काम चल रहा था। हैदराबाद विश्व विद्यालय के रोहित वेमुला मामले के बाद देश के 18 विवि में इसका रिहर्सल होना था, लेकिन जेएनयू के देशद्रोही घटना ने कांग्रेसी+वामी+मिशनरी षड्यंत्र की पूरी हवा निकाल दी!
तथाकथित दलित चिंतकों का पोस्ट व ट्वीट देखिए कि वो रोहित मुद्दे के विचलन व जेएनयू विवाद से कितने दुखी हैं! 9 फरवरी के नारों के वीडियो सामने आने केे बाद ही इन्हें डैमेज का अंदाजा हो गया था, इसलिए कवर-अप के उद्देश्य से कन्हैया व उसके साथियों से अगले दिन मनुवाद आदि सेे आजादी का नारा लगवाया गया, ताकि 'लाल पत्रकार' इसे कवर कर सकें! लेकिन इनका सारा षड्यंत्र अनजाने ही #जीन्यूज और अर्णव गोस्वामी के कारण विफल हो गया! पत्रकारिता सर्किल में आज अर्णव गोस्वामी और जी न्यूज के खिलाफ राजदीप, बरखा और पूरा लाल गैंग उतरा हुआ है! जमकर गाली-गलौच हो रही है!
आपको क्या लगता है, हर केन्द्रीय विवि में तिरंगा लगाने के सरकारी निर्णय का विरोध अभी तक लाल-सलाम वाले पुरजोर तरीके से कर चुके होते, लेकिन देश भर के जनाक्रोश को देखते हुए ये चुप हैं! याद रखिए, अजादी की लड़ाई में भी कम्युनिस्ट पार्टी ने तिरंगे का विरोध किया था और विचारों से इनके निकटस्थ नेहरू ने भगवा की जगह लाल रंग लगाने का सुझाव तक दे डाला था, लेकिन राजेन्द्र प्रसाद, पटेल आदि के विरोध और लाल रंग लगाने पर कुछ देशों के झंडे से समानता को देखते हुए नेहरू को कदम पीछे हटाना पड़ा था!
इसलिए मेरा इतना ही कहना है कि सभी राष्ट्रवादी सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक अपनी एकजुटता बनाए रखिए। हाथ-पैर की जगह कलम, की-बोर्ड और सभ्य जुबान का इस्तेमाल कीजिए। लाल लंगूरों का आखिरी गढ़ और लाल लंगूरों के सभी समर्थक जनता की नजर में बेनकाब हो चुके हैं! और हां, चिंता मत कीजिए, उमर व उसके साथियों के खिलाफ कन्हैया का बयान ही काम आने वाला है और शायद पुलिस इन देशद्रोहियों के काफी नजदीक भी पहुंच चुकी है! थोड़ा इंतजार कीजिए।
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