शनिवार, 28 नवंबर 2015

26/11 का असली नायक सब इन्स्पेक्टर तुकाराम ओम्बले

26/11 को असिस्टेंट सब इन्स्पेक्टर तुकाराम ओम्बले साहब की नाइट ड्यूटी थी जो रात के 12 बजे ख़त्म हो रही थी ! रात के 12:30 बजे उनकी पत्नी का फोन आया की ''जल्दी घर आ जाओ'' क्योकि पत्नी को पता चल गया था की मुंबई में आतंकी हमला हुआ है ! उसी समय तुकाराम जी के वायरलेस फोन पर सीनियर अधिकारी का संदेश आया ''एक आतंकवादी मरीन ड्राइव की तरफ भागा है पोजीसन लो'' तुकाराम जी के पास उस समय मात्र एक डंडा था पर ओ हिम्मत करके सचेत हो गए की 12:45 पर वायरलेस सेट पर फिर संदेश आया '' दो आतंकवादियों ने स्कोडा कार को कब्जे में लिया है और वे कार की खिड़की से गोलिया बरसाते हुए मरीन ड्राइव की तरफ बढ़ रहे है'' संदेश ख़त्म नही हुआ की वही कार तुकाराम जी के बगल से निकली तो तुकाराम जी अपनी बाइक से कार का पीछा किया व कार को ओवर टेक किया और कार ड्राइवर का कालर पकड़ कर खींचा तो कार डिवाइडर पर चढ़ गई और आतंकी कार से उतर कर अधाधुंध गोली चलने लगे अपनी जान की परवाह किये बिना निहत्थे तुकाराम जी AK 47 से लैस ''कसाब'' से भिड़ गए और धर दबोचा और तब तक कसाब ने कई गोलिया तुकराम जी के पेट में उतार दिया पर लहूलुहान तुकाराम जी ने कसाब को पटक कर पकड़ लिया और तब तक नहीं छोड़ा जब तक और पुलिस कर्मी नहीं आ गए ! अन्य पुलिस कर्मी आते ही कसाब को दबोच लिया पर तुकाराम जी शहीद हो गए ! जिस स्थान पर कसाब पकड़ा गया था वहां अब उनकी मूर्ति लगाई गई है ! तुकाराम ओम्बले जी को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया !
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तुकाराम जी चाहते तो अपनी बाइक से भागकर अपने घर चले जाते पर उन्होंने ऐसा नहीं किया ! पूरी सत्य कहानी लिखते लिखते रोंगटे खड़े हो गए ! सीना 56 इंच का हो गया पर आँखों से आंसू भी छलक पड़े ! कौन कहता है की हम हिन्दू कमजोर-कायर है ? ये तो भाड़ सेकुलरों की नापाक चाल है जो आज़ादी के बाद से ही हमें सत्य इतिहास नहीं पढ़ाया गया और हमे कायर कमजोर बताया गया ! तुकाराम जी को सादर नमन करता हूँ !



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