आजकल भारतीय राजनेताओं के सादगी की खूब चर्चा हो रही
है. केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी तथाकथित रूप से आम आदमी की तरह ही जिंदगी जी
रहे हैं. उन्होंने ना ही लाल बत्ती की गाड़ी ली और ना ही बंगलो (अब 180000 स्क़ूयवर फिट का दो मकान बँगला तो है नहीं ?) लेकिन ऐसा
पहली बार नहीं हो रहा है. नजर डालते हैं ऐसे कुछ नेताओं पर जो राजनीति में
अपनी गहरी पैठ बना चुके हैं लेकिन आज भी वे आम आदमी की तरह ही रोजमर्रा की
जिंदगी जीते
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार
चौथी बार सीएम बने मानिक सरकार अपनी सादगी और
ईमानदारी के लिए मशहूर हैं. मानिक सरकार अब भी दो कमरों के घर में रहते
हैं. ये घर भी तब पूरा हुआ जब उनकी पत्नी सरकारी नौकरी से रिटायर हुईं और
उनको रिटायरमेंट के पैसे मिले.
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साल के मानिक सरकार को 5000 रुपए महीने मिलते हैं. दरअसल मानिक सरकार हर
महीने बतौर सीएम मिलने वाली अपनी सैलरी और अलाउंस का सारा पैसा पार्टी को
दे देते हैं इसके बदले पार्टी उन्हें 5000 रुपए खर्च के लिए देती है. मानिक
सरकार के पास कोई कार नहीं है वो सुबह पैदल अगरतला में सचिवालय जाते हैं.
और जब सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो उस पर लाल बत्ती नहीं होती. वो
ट्रैफिक नियमों का पालन भी करते हैं. उनकी पत्नी भी बिना किसी सुरक्षा
गार्ड के रिक्शे से ही आती जाती हैं. चुनाव से पहले दाखिल किए एफिडेविट के
मुताबिक उनकी कुल संपत्ति 10,800 रुपए है. साल 1998 से मानिक सरकार
त्रिपुरा के सीएम है और आज तक कोई भी उन पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा
सका.
इन सभी के बीच
केजरीवाल भी अपनी तथाकथित सादगी की वजह से सुर्खियां बना रहे हैं ये अलग बात है कि
कुछ इस सादगी की मिसाल दे रहे हैं तो कुछ साजिश बता रहे हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सादगी
ममता
बनर्जी आज भी एस्बेस्टस से बने घर में रहती हैं. बिना लाल बत्ती वाली अपनी
अल्टो कार से सफर करती हैं और उनके घर आने वालों को झाल मूड़ी और चॉप
खिलाती हैं.
ममता बनर्जी बीस साल से भी नहीं बदली. ममता
हमेशा सूती धोती और पैरों में हवाई चप्पल पहने हुए ही नजर आती हैं. ममता
मुख्यमंत्री हैं लेकिन सुरक्षा काफिला जैसा कोई तामझाम उनके साथ नजर नहीं
आता. ममता की गाड़ी हर ट्रैफिक सिग्नल को मानती है. एक बार ममता एक चाय बागान के दौर पर निकलीं. ममता कभी चाय बागान पर काम कर
रही महिलाओं से उनका हाल चाल लेती हैं तो कभी खुद ही फसल की बुआई करने में
जुट जाती है, ममता अपनी आम आदमी की छवि को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ममता
स्कूल के वक्त से ही राजनीति में सक्रिय हो गई थीं. 58 साल की ममता बनर्जी
ने साल 2011 में पश्चिम बंगाल की सीएम की कुर्सी संभाली थी. लेकिन सीएम
बनने के बाद भी वो एक सामान्य महिला बनकर ही रहीं. ममता और केजरीवाल की
सादगी को आधार बनाकर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर मोदी पर
वार किया है.('गुजरात के
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सादगी और मानवता सीखनी चाहिए.
मोदी को 'नैनो कार' से चलना चाहिए. ममता बनर्जी 'आल्टो' से तो अरविंद
केजरीवाल 'वैगन आर' से सफर करते हैं.') क्योकि माननीय दिग्विजय सिंह जी '' मोदी '' से इतना घबराये हुए है कि कोई मोका हाथ से नहीं जाने देते है भले ही परिणाम 2013 के चार राज्यो कि बिधान सभा के चुनाव के कुछ भी परिणाम रहे ही ,माननीय दिग्विजय सिंह जी आप लगे रहे इस नेक कार्य में बीजेपी वाले आपके आभारी है '
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की सादगी
सोशल मीडिया पर मनोहर पर्रिकर बड़ी चर्चा में
आए थे जब वह एक स्कूटर के पीछे बैठे नजर आए. बीजेपी समर्थकों की तरफ से कहा
गया कि वो जहां जाते हैं अकेले जाते हैं.
मुख्यमंत्री
परिकर के साथ भी सुरक्षा का कोई तामझाम नहीं दिखता. सुरक्षा के नाम पर
सिर्फ उनके साथ एक गार्ड होता है. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के तौर पर
यह जरूरी है बाकि सुरक्षा की जरूरत नहीं. मनोहर पर्रिकर के मुताबिक कई बार
सुरक्षा और नियम कायदे मानने से काम करने में आसानी होती है. रूतबा बढ़ाने
के लिए पर क्षमता बढ़ाने के लिए इन सुविधाओं का लाभ लेना चाहिए.
मुख्यमंत्री
परिकर प्लेन का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन इकोनॉमी क्लास से. शनिवार हो,
रविवार हो या छुट्टी का दिन पर्रिकर फाइलों का निपटारा करते हैं. इसी तरह
वो सरकारी बंगले में नहीं रहते. निजी जीवन में पर्रिकर भी नेताओं की
वेशभूषा से अलग ही नजर आते हैँ. आईआईटी-मुंबई से इंजीनियरिंग करने वाले
पार्रिकर तक पहुंचना मुश्किल नहीं है. वे जनता से एक आधिकारिक ई-मेल आईडी
द्वारा सीधा संवाद करते हैं. इस ई-मेल आईडी को वे खुद ऑपरेट करते हैं.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह
रमन सिंह जनता
दर्शन के दौरान. हर हफ्ते गुरुवार के दिन रमन सिंह जनता दर्शन करते हैं.
हालांकि कहने वाले इसे सीएम का दरबार भी कहते हैं जहां जनता आकर अपना
दुखदर्द सुनाती है. पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के लिए ये जनता
से संबंध बनाने का नायाब मौका है. रमन सिंह के मुताबिक सत्ता में आने के
बाद भी सादगी छोड़नी नहीं चाहिए. छत्तीसगढ़ में पिछले सात साल से रमन सिंह
लाल बत्ती नहीं ले रहे हैं. साथ ही उनका सरल स्वभाव और शांत छवि भी जनता
में लोकप्रिय है और यही वजह है कि वो तीसरी बार राज्य में मुख्यमंत्री बने
हैं. नक्सल प्रभावित राज्य होने के कारण रमन सिंह एनएसजी सुरक्षा में रहते
हैं पर इसके बाद भी कहा जाता है कि रमन सिंह से मिलना बेहद आसान है.
अरविंद केजरीवाल
ना
खादी कुर्ता-पजामा ना सफेद कपड़े, शर्ट के ऊपर स्वेटर और फिर गले में लपटा
हुआ मफलर. ये ड्रेस किसी पारंपरिक नेता की तो नजर नहीं आती पर खाँसते हुए एक मरीज जरुर नजर आते है , कपड़ों की तरह
केजरीवाल ने अपने फैसलों से वीआईपी कल्चर को खत्म करने का संदेश दिया.
विधानसभा में विश्वास मत हासिल करते समय इसी कल्चर पर केजरीवाल ने हमला
किया. उन्होंने कहा 'मैं रोज बिना लाल बत्ती की गाड़ी से आता हूं, रेड लाइट
पर भी रूकता हूं. मेरा समय तो खराब नहीं हुआ. इसके साथ ही केजरीवाल ने
सुरक्षा के सवाल पर कहा कि भगवान जिसके साथ है उसको कोई मार नहीं सकता
लेकिन जिसकी लिखी होती है उसे बॉडीगार्ड रखकर भी कोई बचा नहीं सकता.' जबकि हकीकत में केजरीवाल कि सुरक्षा में 10 गुना ज्यादा पुलिश वाले तैनात है तीन लेयर वाली सुरक्षा दे जा रही है वर्त्तमान में
नोट----: काफी दिनों से इस तरह के ब्लॉग कि जरुरत थी जो आज मिल ही गया सभी पाठको के लिए ।
सुन्दर विश्लेषण, प्रतियोगिता सादगी के लिये होनी चाहिये।
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