काठमांडू के एक भीड़ भरे बाज़ार में दुकानों के ऊपर एक छोटे से फ़्लैट में हर सुबह चीनी भाषा सीखने के लिए लगभग 20-25 लड़के-लड़कियाँ इकट्ठा होते हैं. !
चीनी भाषा में ‘नी-हाव’ (क्या हाल हैं?) कहकर वो अपने अध्यापक का स्वागत करते हैं. ऐसे कई इंस्टीट्यूट नेपाल के कई हिस्सों में चल रहे हैं..!
यही नहीं चीन की सरकार ने नेपाल के लोगों को मुफ़्त में चीनी भाषा सिखाने के लिए बाक़ायदा अध्यापकों को चीन से काठमांडू भेजा है..! काठमांडू विश्वविद्यालय के कनफ़्यूशियस इंस्टीट्यूट और अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान में चीनी भाषा और संस्कृति के बारे में सिखाने की व्यवस्था की गई है.!
दशकों तक भारत के आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभामंडल में रहने के बाद अब नेपाल बाँहे फैलाकर हिमालय पार के अपने पड़ोसी देश चीन का स्वागत करने को तैयार है..! और आने वाले वर्षों में नेपाल में अपनी भूमिका बढ़ने की संभावना को पहचानते हुए चीन ने भी हर क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी ह..!
पर केंद्र में स्थित कांग्रेस सरकार को ये सब नहीं दिखाई दे रहा है की चीन किस तरह से घेर वंदी कर रहा है भारत का ..पकिस्तान तो पहले ही चीन की गोद में खेल रहा है .बांग्लादेश तो पक हुआ फल है जरा सा डाल हिलाया की चीन के गोद में गिर जायेगा ..श्री लंका की विसात ही क्या ? वर्मा (म्यामार) ,भूटान तो पहले से ही नतमस्तक है चीन के आगे ..दिखावे के लिए भारत के साथ है ..कुचल मिलकर मेरा यह कहना है इस पोस्ट के माध्यम से की आने वाले समय में भारत को सबसे अधिक ख़तरा है तो चीन से ..!
पर हमारे देश की जनता भी इस खतरे से अनभिग्य नहीं है ..पर मुगालते पाल रखा है की चीन को निपटा देगे ..अरे चीन कोई हलवा ,मॉल पुवा नहीं है जब चाहा " खा " लिया अभी भी वक्त है सम्हल जाये ...!
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