गुरुवार, 24 जनवरी 2013

!! हाथी और कुत्ते !!

भाई साहब आप सभी को प्रणाम .सुप्रभात ..जय हिन्द ..जय भारत ..जय जय श्री राम......

..आप सभी को दैनिक जीवन में एक बिशेष बात देखने को मिली होगी ..और ओ बनात ये है की ..जब हाथी कही से भी निकलता है तो उसके डील डौल को देखर डर के मारे कुत्ते भोकना सुरु कर देते है झुण्ड बनाकर ..पर हाथी अपने मस्ती भरी चाल में चलता रहता है ...हाथी उन कुत्तो के भोकने की अहमियत नहीं देता है .....वही हाल कुछ इस समय मेरे साथ हो रहा है .FB में ! मैं कुत्तो के भोकने के फिकर बिल्कुल भी नहीं करता हु ..जिसे भोकना है भोके ..और अपनी उर्जा खराब करे ..मेरे सुभ कामनाये भोकने वालो के साथ है .‘यदि हाथी कुत्तों के पीछे दौड़ता है, तब उनका (कुत्तों) का महत्व बढ़ता है.. इस वजह से हाथी पीछे नहीं मुड़ता बल्कि आगे ही बढ़ता जाता है... वे वह कह सकते हैं जो उन्हें पसंद है..मैं ध्यान नहीं देता हूं.. मैं अब भी कहना चाहूंगा कि मुझे क्यों कुत्तों के पीछे भागना चाहिए.’’! मैं मानता हूं कि शैतान को भी ईश्वरीय अस्तित्व को चुनौती देने का अधिकार है... मूर्खो को भी अवसर मिलना चाहिए कि वे सज्जन पुरशो की लानत-मलामत कर सकें भगवान् उन्हें लम्बी उम्र और अच्छी से अच्छी उर्जा देता रहे जिससे ओ कुत्ते अपने स्वभाव के अनुसार भोकते रहे ..और मुहल्ले वालो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते रहे ........जिससे की लोग इन कुत्तो को भूल नहीं जाये ....

यदि सिंह अहिंसक हो जाए, गीदड़ भी शौर्य दिखाते हैं!
यदि गरुड़ संत सन्यासी हो, बस सर्प पनपते जाते हैं !!
इस शांति अहिंसा के द्वारा अपना विनाश आरंभ हुआ !
जब से अशोक ने शस्त्र त्यागे, भारत विघटन प्रारंभ हुआ!!
सोचा था धर्म रक्षण को श्री कृष्णकहीं से पैदा हो जाएगे !
लेकिन पराजित मन के भीतर श्री कृष्ण कहाँ से आयेंगे !!


नोट --यह ब्लॉग उन लोगो को समर्पित है जो दिन रात मेरे खिलाफ ब्लागरो की दुनिया और फेसबुक की दुनिया में दुष्प्रचार करते रहते है !

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