मयूर
पंख बाल्यकाल में जब बलराम और श्री कृष्ण को मुकुट पहनाया जा रहा था तो
भगवान् कृष्ण मुकुट पहन ही नहीं रहे थे.अंतत: जब नन्द बाबा नें मोर पंख
वाला मुकुट पहनाया तो उसे ही भगवान कृष्ण नें सर पर सुशोभित किया.इससे मोर
पंख का महत्त्व सामने आता है.असुर कुल में संध्या नाम का प्रतापी दैत्य
उत्त्पन्न हुआ.वो परम शिव भक्त था.उसने विन्द्यांचल पर्वत पर कठोर तप कर
शिवजी को प्रसन्न किया.ब्रह्मा जी भी उसके घोर तप से प्रसन्न हुए..बर
प्राप्त करने के बाद वो हर एक घर में अपना एक रूप बना कर विष्णु भक्तों को
प्रताड़ित करने लगा.देवताओं पर आक्रमण कर उसने अलकापुरी जीत ली.देवताओं को
बंदी बना वो शिव आराधना में फिर लीन हो गया.उसकी भक्ति के कारण भगवान्
विष्णु भी उसका व्ध करने में समर्थ नहीं थे. तो सभी देव देवताओं ने मिल कर
एक रण नीति तैयार कि जब शिवजी महासमाधि में लीन थे ; उस समय संध्या दैत्य
सागर के तट पर अपनी रानी के साथ विहार कर रहा था ; तो देवताओं ने योगमाया
को सहायता के लिए पुकारा. सभी मात्तृ शक्तियों के तेज से व नव ग्रहों सहित
देवताओं के तेज से एक पक्षी पैदा हुया जो मोर कहलाया . उस दिव्य मोर के
पंखों में सभी देवी देवता छुप गए और शक्ति बढ़ाने लगे. अति विशाल मोर को
आक्रमण करने आया देख संध्या दैत्य उससे युद्ध करने लगा लेकिन योगमाया
भगवान् विष्णु सहित नव ग्रहों एवं देवताओं कि शक्ति से लड़ रही थी तो इसी
कारण संध्या नाम का दैत्य युद्द में वीरगति को प्राप्त हुया. तभी से मोर के
पंखों में नव ग्रहों देवी देवताओं सहित अन्य शक्तियों के अंश समाहित हो
गए. इस लिए पक्षी शास्त्र में मोर , गरुड़ और उल्लूक के पंखों का महत्त्व
हो गया. किन्तु केवल वहीँ पंख इन गुणों को संजोता हैं जो स्वभावतय: पक्षी
त्याग देता है. गणेशजी को भी मोरपंख प्रिय है . शास्त्रों में एकाध जगह
उल्लेख किया है की राम जी ने भी वनवास के समय मोरपंख धारण किया था . यह घर
की सजावट में तो काम आता ही है साथ ही इसका वास्तु शास्त्र में बहुत
महत्त्व है ----- - मोर पंख सांपों को हमारे घर से दूर रखता है।सांप मोर
पंख से डरते हैं क्योंकि मोर ही इसे मार कर खा जाता है। अत: सांप उस
क्षेत्र में जाता है ही नहीं है जहां मोर या मोर पंख दिखाई देता है। - इसे
घर में रखने से वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और
सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है। इससे हमारी सोच पर भी सकारात्मक
प्रभाव पड़ते हैं। - शास्त्रों में शिव-पार्वती के बड़े पुत्र भगवान
कार्तिकेय के वाहन मोर की महिमा बताई गई है। - मोर सरस्वती देवी का भी वाहन
है इसलिए विद्यार्थी इस पंख को अपनी पाठ.पुस्तकों के मध्य भी प्राचीन काल
से रखते आ रहें है - आयुर्वेद में भी मोर के पंख से टीद्बी टीबी,
फालिज,दमा, नजला तथा बांझपन जैसे रोगों का सफलतापूर्वक उपचार संभव होता है.
- घर के दक्षिण.पूर्व कोण में लगाने से बरकत बढती है व अचानक कष्ट नहीं
आता है - यदि मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधा.कृष्ण कि मूर्ती के
मुकुट में ४० दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन मक्खन.मिश्री काभोग सांयकाल
को लगाए ४१ वें दिन उसी मोर के पंख को मंदिर से दक्षिणा भोग दे कर घर लाकर
अपने खजाने या लाकर्स में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि
धन-सुख.शान्ति कि वृद्धि हो रही है सी रुके कार्य भी इस प्रयोग के कारण
बनते जा रहे है - काल.सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में
अद्भुत क्षमता है काल.सर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खौल के अंदर ७
मोर के पंख सोमवार रात्री काल में डालें तथा प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग
करे और अपने बैड रूम की पश्चिम दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमे कम से कम
११ मोर के पंख तो हों लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती
है - बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा
चलने पर मोर के पंखो की हवा बच्चे को लगे धीरे.धीरे हव जिद्द कम होती
जायेगी - मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर. पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व
डायरी में रखा हो तो राहू का दोष की भी नहीं परेशान करता है तथा घर में
सर्प मच्छर बिच्छू आदि विषेलें जंतुओं का य नहीं रहता है - नवजात बालक के
सिर की तरफ दिन.रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक
डरता नहीं है तथा कोईभी नजर दोष और अला.बला से बचा रहता है - यदि शत्रु
अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से
मंगलवार या शनिवार रात्री में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात र
रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए चलते पानी मेंभी देने से शत्रुए
शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है - घर का द्वार यदि वास्तु
के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें , मंत्र से
अभिमंत्रित कर पंख के नीचे गणपति भगवान का चित्र या छोटी प्रतिमा स्थापित
करनी चाहिए - यदि पूजा का स्थान वास्तु के विपरीत है तो पूजा स्थान को
इच्छानुसार मोर पंखों से सजाएँ, सभी मोर पंखो को कुमकुम का तिलक करें व
शिवलिं की स्थापना करें पूजा घर का दोष मिट जाएगा, - यदि रसोईघर वास्तु के
अनुसार न बना हो तो दो मोर पंख रसोईघर में स्थापित करें, ध्यान रखें की
भोजन बनाने वाले स्थान से दूर हो, दोनों पंखों के नीचे मौली बाँध लेँ, और
गंगाजल से अभिमंत्रित करें - हिंदुओं में मोर के पंख को लेकर यह विश्र्वास
हें कि मोर के पंख के प्रयोग से अमंगल टल जाता है विशेष रूप से दुरात्माएतो
पास ही नहीं आती है,......
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