पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी की भारत यात्रा का नया शगूफा
अजमेर की यात्रा और ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह पर जाकर मन्नत मांगना. इस
यात्रा के दो मुख्य पहलु हैं एक राजनैतिक जो इस लेख का विषय नहीं हैं दूसरा
धार्मिक जिसमें विशेष रूप से अजमेर की यात्रा हैं. यह ख्वाजा मुइनुद्दीन
चिस्ती जिन्हें गरीब नवाज़ भी कहा जाता हैं कौन थे? यह इतने प्रसिद्ध कैसे
हो गए? क्या उनकी दरगाह पर जाकर मन्नत मांगने से हिंदुयों का भला होता हैं?
क्या उनकी दरगाह पर मन्नत मांगने वालो की सभी मन्नते पूरी होती हैं?
कहाँ से आये थे? इन्होने हिंदुस्तान में क्या किया और इनकी कब्र पर चादर
चदाने से हमे सफलता कैसे प्राप्त होती हैं? गरीब नवाज़ का जन्म ११४१ में
अफगानिस्तान में हुआ था .गरीब नवाज़ भारत में लूटपाट करने वाले , हिन्दू
मंदिरों का विध्वंश करने वाले ,भारत के अंतिम हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान
को हराने वाले व जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने वाले मुहम्मद गौरी के साथ
भारत में शांति का पैगाम? लेकर आये थे.पहले वे दिल्ली के पास आकर रुके फिर
अजमेर जाते हुए उन्होंने करीब ७०० हिन्दुओ को इस्लाम में दीक्षित किया(Ref-
page 117 vol. 1 a history of Sufism in India –Saiyid Athar Abbas
Rizvi). अजमेर में वे जिस स्थान पर रुके उस स्थान पर तत्कालीन हिन्दू राजा
पृथ्वी राज चौहान का राज्य था. ख्वाजा के बारे में चमत्कारों की अनेको
कहानियां प्रसिद्ध हैं की जब राजा पृथ्वी राज के सैनिको ने ख्वाजा के वहां
पर रुकने का विरोध किया क्योंकि वह स्थान राज्य सेना के ऊँटो को रखने का था
तो पहले तो ख्वाजा ने मना कर दिया फिर क्रोधित होकर शाप दे दिया की जाओ
तुम्हारा कोई भी ऊंट वापिस उठ नहीं सकेगा. जब राजा के कर्मचारियों नें देखा
की वास्तव में ऊंट उठ नहीं पा रहे हैं तो वे ख्वाजा से माफ़ी मांगने आये और
फिर कहीं जाकर ख्वाजा ने ऊँटो को दुरुस्त कर दिया. दूसरी कहानी अजमेर
स्थित आनासागर झील की हैं. ख्वाजा अपने खादिमो के साथ वहां पहुंचे और
उन्होंने एक गाय को मारकर उसका कबाब बनाकर खाया.कुछ खादिम पनसिला झील पर
चले गए कुछ आनासागर झील पर ही रह गए .उस समय दोनों झीलों के किनारे करीब
१००० हिन्दू मंदिर थे, हिन्दू ब्राह्मणों ने मुसलमानों के वहां पर आने का
विरोध किया और ख्वाजा से शिकायत करी.ख्वाजा ने तब एक खादिम को सुराही भरकर
पानी लाने को बोला.जैसे ही सुराही को पानी में डाला तभी दोनों झीलों का
सारा पानी सुख गया. ख्वाजा फिर झील के पास गए और वहां स्थित मूर्ति को सजीव
कर उससे कलमा पढवाया और उसका नाम सादी रख दिया.ख्वाजा के इस चमत्कार की
सारे नगर में चर्चा फैल गयी. पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधान मंत्री जयपाल
को ख्वाजा को काबू करने के लिए भेजा. मंत्री जयपाल ने अपनी सारी कोशिश कर
डाली पर असफल रहा और ख्वाजा नें उसकी सारी शक्तिओ को खत्म कर दिया. राजा
पृथ्वीराज चौहान सहित सभी लोग ख्वाजा से क्षमा मांगने आये. काफी लोगो नें
इस्लाम कबूल किया पर पृथ्वीराज चौहान ने इस्लाम कबूलने इंकार कर दिया. तब
ख्वाजा नें भविष्यवाणी करी की पृथ्वी राज को जल्द ही बंदी बना कर इस्लामिक
सेना के हवाले कर दिया जायेगा..(Ref- ali asghar chisti- jawahir-I faridi ,
Lahore 1884, pp.155-160 ) .बुद्धिमान पाठकगन स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं
की इस प्रकार के करिश्मो को सुनकर कोई मुर्ख ही इन बातों पर विश्वास ला
सकता हैं
निजामुद्दीन औलिया जिसकी दरगाह दिल्ली में स्थित हैं ने भी ख्वाजा का
स्मरण करते हुए कुछ ऐसा ही लिखा हैं. उनका लिखना हैं की न चाहते हुए भी
ख्वाजा की चमत्कारी शक्तियों के कारण पृथ्वीराज चौहान को ख्वाजा का अजमेर
में रहना स्वीकार करना पड़ा. ख्वाजा का एक खादिम जो की मुस्लिम था से
पृथ्वीराज किसी कारण से असंतुष्ट हो गया. तब ख्वाजा ने पृथ्वीराज को उस पर
कृपा दृष्टि बनाये रखने के लिए कहा जिसे पृथ्वीराज ने मना कर दिया. इस पर
ख्वाजा ने भविष्यवाणी कही की कुछ ही समय में पृथ्वीराज को पकड़ कर इस्लाम कि
सेना के हवाले कर दिया जायेगा और कुछ समय बाद मुआम्मद गोरी ने आक्रमण कर
पृथ्वीराज के राज्य का अंत कर दिया.(Ref- amir khwurd, siyaru’l – auliya,
delhi,1885,pp.45-47)
भारत से सदा सदा के लिए हिन्दू वैदिक धर्म का राज्य मिताने वाले ख्वाजा
गरीब नवाज़ कि दरगाह पर जाकर मन्नत मांगने वालों से , पूरे देश में स्थान
स्थान पर बनी कब्रों पर हर वीरवार को जाकर मन्नत करने वालों से मेरे कुछ
प्रश्न हैं-
१.क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि हैं वो किसी की मनोकामना पूरी कर सकती हैं?
२. सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए
थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं
हैं जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दियें
थे?
३. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा ३३ करोड़ देवी देवता शक्तिहीन हो
चुकें हैं जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक हैं?
४. जब गीता में श्री कृष्ण जी महाराज ने कहाँ हैं की कर्म करने से ही
सफलता प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा?
५. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा
आदि वीरो की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं तो भला
हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते हैं?
६. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता हैं?
७. हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की
पूजा कर प्राप्त कर रहीं हैं जो वेदों- उपनिषदों में कहीं नहीं गयीं हैं?
८. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओ को अँधेरे में रखना नहीं तो क्या हैं ?
आशा हैं इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा . अगर आप
आर्य राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण
अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में बता कर उनका अंध
विश्वास दूर करे.........
डॉ विवेक आर्य
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