भारत लगभग एक हज़ार वर्ष विदेशियों का गुलाम रहा जिसमे मुस्लिम शासको ने लम्बी अवधि तक भारत पर शासन किया, क्या कारण था की भारत जो प्राचीन काल में वीरो की भूमि कहलाता था उनकी संताने इतनी आसानी से हार मान गयी थी? इसका मूल कारण बौध और जैन धर्म का अति अहिंसावादी होना था|
बौध और जैन धर्म मूल शिक्षा 'अहिंसा ' है , जैन धर...्म तो 'अहिंसा परमो धर्म ' मन गया है |
सम्राट अशोक के बौध धर्म अपनाने के बाद उसने युद्ध करना बिलकुल छोड़ दिया था और अहिंसा का प्रचार-प्रसार करने लगा था यहाँ तक की उसने शिकार खेलने तक पर रोक लगा दी थी| युद्ध न करने के कारण सैनिक कमजोर पड़ते गए और वो अपनी सैन्य कलाएं भूलते गए और इसी प्रकार से अहिंसा का प्रजा के बीच अधिक प्रचार करने से प्रजा भी अहिंसक हो गयी जो आसानी से किसी भी आक्रमणकारी का शिकार बन सकती थी|
यही कारण था की ७११ में जब मुहम्मद बिन कासिम ने मात्र ३००० सैनिको के साथ सिंध पर आक्रमण किया तो उसने आसानी से दाहिर को हरा दिया जो उस समय सिंध का राजा हुआ करता था क्यूँ की वहाँ बौधो की संख्या अधिक थी| उसके बाद गौरी-गजनवी आये और उन्होंने अफगानिस्तान जहाँ बौधो का शासन था उन्होंने वहा से बौधो का नामोनिशान मिटा दिया|
इसी तरह से जैन धर्म भी अति अहिंसा वादी होने के कारण विदेशी आक्रमणकारियों का मुकाबला नहीं कर सका चूँकि ये दोनों ही धर्म सनातन धर्म की शाखांए मानी जाती है और इनकी शिक्षाओं का प्रभाव हिंन्दुओ पर पड़ा और वो भी अहिंसक हो गए जिस कारण वो भी मुगलों का सामना नहीं कर पायें और गुलामी सही |
पर प्रशन यह भी उठाता है की जब लाडाकू जाती के हाथ में सता आ गयी फिर देश क्यों गुलाम हुआ ???
बौध और जैन धर्म मूल शिक्षा 'अहिंसा ' है , जैन धर...्म तो 'अहिंसा परमो धर्म ' मन गया है |
सम्राट अशोक के बौध धर्म अपनाने के बाद उसने युद्ध करना बिलकुल छोड़ दिया था और अहिंसा का प्रचार-प्रसार करने लगा था यहाँ तक की उसने शिकार खेलने तक पर रोक लगा दी थी| युद्ध न करने के कारण सैनिक कमजोर पड़ते गए और वो अपनी सैन्य कलाएं भूलते गए और इसी प्रकार से अहिंसा का प्रजा के बीच अधिक प्रचार करने से प्रजा भी अहिंसक हो गयी जो आसानी से किसी भी आक्रमणकारी का शिकार बन सकती थी|
यही कारण था की ७११ में जब मुहम्मद बिन कासिम ने मात्र ३००० सैनिको के साथ सिंध पर आक्रमण किया तो उसने आसानी से दाहिर को हरा दिया जो उस समय सिंध का राजा हुआ करता था क्यूँ की वहाँ बौधो की संख्या अधिक थी| उसके बाद गौरी-गजनवी आये और उन्होंने अफगानिस्तान जहाँ बौधो का शासन था उन्होंने वहा से बौधो का नामोनिशान मिटा दिया|
इसी तरह से जैन धर्म भी अति अहिंसा वादी होने के कारण विदेशी आक्रमणकारियों का मुकाबला नहीं कर सका चूँकि ये दोनों ही धर्म सनातन धर्म की शाखांए मानी जाती है और इनकी शिक्षाओं का प्रभाव हिंन्दुओ पर पड़ा और वो भी अहिंसक हो गए जिस कारण वो भी मुगलों का सामना नहीं कर पायें और गुलामी सही |
पर प्रशन यह भी उठाता है की जब लाडाकू जाती के हाथ में सता आ गयी फिर देश क्यों गुलाम हुआ ???
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