बाबा साहब अम्बेडकर और बसपा के संस्थापक काशीराम जी की मूर्तियों की स्थापना तो समझ में आती है, मगर जनता के पैसे को गरीबों पर खर्च करने के बजाये खुद मायावती की और चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों पर अनाप सनाप खर्च करना तो, उन मतदाताओं से भी धोका है जिन्होने मायावती को मत दिया था।मुझे आज तक किसी राज्य के मुख्यमंत्री का नाम नहीं सुनाई दिया की ओ अपने जीते जी खुद की मूर्ति बनवा दिया और चौराहों में लगवा दिया और खुद के चुनाव चिन्ह की भी मुर्तिया बनवा बनवाकर करोडो रुपये खर्च कर दिया मायावती जी की यह कदम मेरे समझ से परे है ,यह समझ नहीं आ रहा है की उत्तर प्रदेश में राजतन्त्र है या प्रजातंत्र है ?
उत्तर प्रदेश में चुनाव तक राज्य की मुख्यमंत्री मायावती और हाथियों की मूर्तियों को पर्दे में रखने के चुनाव आयोग के निर्णय की बसपा ने आलोचना की है. बसपा ने कहा है कि चुनाव आयोग का यह निर्णय तर्कसंगत नहीं है.
शनिवार ०७/०१/२०१२ को देश के मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव तक बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की तमाम मूर्तियों को ढकने का आदेश दिया है. चुनाव आयोग का तर्क है कि पार्कों में लगी मूर्तियां और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी प्रचार का एक तरीका है. चुनाव आयोग के अनुसार ये मूर्तियां फरवरी तक ढके रहेंगी.
मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी का कहना था कि हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव निशान है और मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा से राजनीतिक संदेश जाता है, इसलिए इन दोनों का ढका जाना जरुरी है. हालांकि दूसरी प्रतिमाओं के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को छोड़कर दूसरी तमाम प्रतिमाओं को लेकर समीक्षा की जाएगी.
गौरतलब है लखनऊ में मायावती की डेढ़ करोड़ रुपये की लागत वाली 24 फीट की मूर्ति प्रतिबिंब स्थल में, वहीं की गैलरी में 47.25 लाख रुपये की लागत से 18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, परिवर्तन स्थल में ही 20.25 लाख रुपये की लागत से 12 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, नौ लाख की लागत वाली सात फीट उंची प्रतीमा, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल पर 47 लाख की लागत वाली 18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, डॉ. बी आर अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर पौन करोड़ की लागत वाली तीन प्रतिमायें, कानपुर रोड योजना में 47.25 लाख रुपये की लागत से 15 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा लगी हुई हैं. राज्य के अलग-अलग इलाकों में मायावती की मूर्तियों की संख्या हजारों में है.
जहा तक मेरा ब्याक्तिगत बिचार है कि मूर्तियों को ढ़कने का आदेश तर्कसंगत नहीं जान पड़ता. क्योकि कि हाथी की मूर्ति तो नॉर्थ ब्लाक और सउथ ब्लॉक में भी लगी है, क्या उसे भी ढ़का जाएगा. मेरा सोचना है इस प्रकार के निर्णय लेने से पहले बहुजन समाज पार्टी का पक्ष तक नहीं लिया गया.यह गलत है चुनाव आयोग को बहुजन समाज पार्टी का पक्ष लेना था
क्या चुनाव आयोग साइकिल के चलने पर रोक लगाएगी ? क्या चुनाव आयोग राज्य के सरोवरों के कमल के फूल और लोगों के पंजों को भी ढ़ंकने की बात करेगी. बसपा ने चुनाव आयोग से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है.! पर मायावती जी ने सरकारी खजाने का गलत उपयोग करके मूर्ति का अनावरण और चुनाव चिन्ह का अनावरण किया है इस कारण यह निर्णय कुछ हद तक टीक भी लगता है .....
शनिवार ०७/०१/२०१२ को देश के मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव तक बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की तमाम मूर्तियों को ढकने का आदेश दिया है. चुनाव आयोग का तर्क है कि पार्कों में लगी मूर्तियां और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी प्रचार का एक तरीका है. चुनाव आयोग के अनुसार ये मूर्तियां फरवरी तक ढके रहेंगी.
मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी का कहना था कि हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव निशान है और मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा से राजनीतिक संदेश जाता है, इसलिए इन दोनों का ढका जाना जरुरी है. हालांकि दूसरी प्रतिमाओं के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को छोड़कर दूसरी तमाम प्रतिमाओं को लेकर समीक्षा की जाएगी.
गौरतलब है लखनऊ में मायावती की डेढ़ करोड़ रुपये की लागत वाली 24 फीट की मूर्ति प्रतिबिंब स्थल में, वहीं की गैलरी में 47.25 लाख रुपये की लागत से 18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, परिवर्तन स्थल में ही 20.25 लाख रुपये की लागत से 12 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, नौ लाख की लागत वाली सात फीट उंची प्रतीमा, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल पर 47 लाख की लागत वाली 18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, डॉ. बी आर अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर पौन करोड़ की लागत वाली तीन प्रतिमायें, कानपुर रोड योजना में 47.25 लाख रुपये की लागत से 15 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा लगी हुई हैं. राज्य के अलग-अलग इलाकों में मायावती की मूर्तियों की संख्या हजारों में है.
जहा तक मेरा ब्याक्तिगत बिचार है कि मूर्तियों को ढ़कने का आदेश तर्कसंगत नहीं जान पड़ता. क्योकि कि हाथी की मूर्ति तो नॉर्थ ब्लाक और सउथ ब्लॉक में भी लगी है, क्या उसे भी ढ़का जाएगा. मेरा सोचना है इस प्रकार के निर्णय लेने से पहले बहुजन समाज पार्टी का पक्ष तक नहीं लिया गया.यह गलत है चुनाव आयोग को बहुजन समाज पार्टी का पक्ष लेना था
क्या चुनाव आयोग साइकिल के चलने पर रोक लगाएगी ? क्या चुनाव आयोग राज्य के सरोवरों के कमल के फूल और लोगों के पंजों को भी ढ़ंकने की बात करेगी. बसपा ने चुनाव आयोग से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है.! पर मायावती जी ने सरकारी खजाने का गलत उपयोग करके मूर्ति का अनावरण और चुनाव चिन्ह का अनावरण किया है इस कारण यह निर्णय कुछ हद तक टीक भी लगता है .....
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