सोमवार, 14 अप्रैल 2025

अहीर और मुस्लिम से विवाह संबंध..

 लालमणि गोंड़ संवाददाता शु'द्र  अहीर (ग्वाला) और मुगल वैवाहिक संबंध 🫣👇

(1). सन् (1299) 2 जनवरी को दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने रेवाड़ी के दास अहिर की बड़ी बेटी नीरा से विवाह किया

(2). सन् (1688) 15 जून को नूरशाह ने रीति अहिर से विवाह किया ने

 (3). सन् (1405) 30 जनवरी को फर्रुखसियार ने मजनी अहिर से विवाह किया

 (4). सन् (1509) 31 अक्टूबर को अहमदशाह ने चेऊरी अहिर से विवाह किया

(5). सन् (1630) 18 सितंबर को अहमदशाह खान ने रीतु अहिर से विवाह किया

 (6). सन् (1909) 19 अगस्त को महमूदशाह खान ने झरूखी अहिर से विवाह किया

 (7). सन् (1206) 30 दिसंबर को तुर्क मुरखाद खा ने मयूरी अहिर से विवाह किया था

(8). सन् (1923) 16 मार्च को असरूला खा ने लाल अहीर की दो पुत्रियों से विवाह किया था

 (9). सन् (1796) 23 अप्रैल को आदिलशाह ने चित्रा अहिर से विवाह किया

(10). सन् (1866) 9 नवंबर को रूप दुल्लाशाह खा ने चिंतामणि अहिर से विवाह किया

(11). सन् (1931) 13 फरवरी को सुरलाल अहिर की पुत्री कयुमी अहिर का विवाह हैदराबाद के नवाब गुरुफ्फा खां से

 (12). सन् (1616) 29 जुलाई को सलीमुल्लाह जहां का विवाह जंनवी अहिर से हुआ!

सोमवार, 24 मार्च 2025

राणा सांगा ने बाबर को आमंत्रण दिया क्या ?

अहमद यादगार एक अफगानी इतिहासकार थे जिसने एक किताब लिखी है - तारीख ऐ सलतनत ऐ अफ़ग़ान। इस किताब के एक अंश पर निगाह फेरनी जरुरी है। 

कालखंड - 
बाबर काबुल में मौजूद है और अपने लड़के कामरान के निकाह की तैयारी में मशरूफ है। 

देहली में सुल्तान इब्राहिम लोधी सत्ताशीन है - उसका चाचा दौलत खान लोदी पंजाब का सूबेदार है. सुल्तान ने अपने चाचा को देहली बुलवाया और चाचा ने खुद ना जाकर अपने लड़के दिलावर खान को भेज दिया। सुल्तान इब्राहिम लोदी अपनी हुक्मउदूली देख नाखुश हुआ और उसने अपने चचाजाद को पकड़ने का हुक्म दिया। दिलावर वहां से जान बचा कर भगा और लाहौर आ अपने बाप को इतिल्ला दी। बाप - दौलत खान लोदी की पेशानी पर चिंता साफ़ थी - सुल्तान उसे ना बख्शेगा - अब सुल्तान को देहली की गद्दी से पृथक करने में ही उसकी और उसके लड़के की जान बच सकेगी। दौलत खान लोदी ने तुरंत दिलावर खान और आलम खान को काबुल रवाना किया जहाँ बाबर शाह मौजूद था। 

काबुल में पहुंच दिलावर ने चार बाग़ में बाबर से मुलाकात की। बाबर ने उस से पुछा- तुम ने सुल्तान इब्राहिम का नमक खाया है तो ये गद्दारी क्यों ?

दौलत खान लोदी के लड़के ने उत्तर दिया - लोदी कुनबे ने चालीस साल तक सत्ता संभाली है किन्तु सुल्तान इब्राहिम ने सब अमीरो के साथ बदसलूकी की है - पच्चीस अमीरों को मौत के घाट उतार दिया है किसी को फांसी पर लटका कर , किसी को जला कर। उसकी खुद की जान के वांदे है - और उसे अनेक अमीरों ने बाबर से मदद मांगने भेजा है। 

निकाह में मशरूफ बाबर ने एक रात को मोहलत मांगी और चार बाग़ में इबादत की - आए मौला , मुझे राह दें - कुछ हिंट दे कि हिन्द पर हमला कर सकूँ। बाबर ने दुआ में कहा - यदि हिन्द में होने वाले आम और पान यदि उसे तोहफे में दिए जाएंगे तो वो मान लेगा कि खोदा चाहता है कि वो हिन्द पर आक्रमण करें। 

अगले दिन - दौलत खान के दूतों ने उसे अधपके आम जो शहद में डूबे हुए थे- पेश किये। 
 
ये देख बाबर उठ खड़ा हुआ - आम की टोकरी देख वो सजदे में झुक गया और अपने सिपहसालारों को हिन्द पर कूच करने का हुक्म दिया. 

ये है कहानी बाबर को न्योता देने की - दौलत खान लोदी द्वारा - अपने बेटे की जान बचाने हेतु. 

इस कहानी का रिफरेन्स दो किताबों से आप देख सकते है -

१- annette बेवरिज की अनुवादित बाबरनामा से - इस किताब से वो पन्ना भी पोस्ट में सगंलग्न देखिये. 
२- एलियट एंड डॉब्सन की किताब हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया वॉल्यूम पांच में इसी अफगानी इतिहासकार का सन्दर्भ बिलकुल यही है।

अब भी इस साक्ष में किंतु परंतु अगर मगर , अरे ऐसा नहीं है, घंट पिंट पचास बहाने पेश करने वाले भी मिल जाएँगे- लेकिन सत्य तो यही है- कि बाबर आम देख हिन्द पे हमले करने को लालायित हो गया था। 

आम- ही वो अभियुक्त है जिसने बाबर को ललचाया।