शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

मुस्लिम तुष्टिकरण और अल्पसंख्यक की राजनीति

780 सालों तक इस्लामिक शासन के बाद 1609 ई० में स्पेन आजाद हुअा...जिस दिन स्पेन को आजादी मिली उसी दिन स्पेन ने घोषणा की...कि जो मुसलमान स्पेन में बचे हैं या तो वो स्पेन की संस्कृति अपना लें...या फिर 03 दिनों के भीतर अपना बोरिया-बिस्तर बाँध लें और स्पेन से बाहर निकल जाएँ....स्पेन की इस सख्त घोषणा ने स्पेन में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का त्वरित समाधान कर दिया..।।
बीसवीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोप के 
अलग-अलग देशों से लोग आकर बसने लगे...अलग देशों की संस्कृति अलग-अलग थी...उनके मत और व्यवहार अलग अलग थे...जब औद्योगिक विकास में इन अलग-अलग देशों से आने वालों के कारण समस्या उत्पन्न हुई तब अमेरिका के सेक्रेट्री ऑफ़ स्टेट्स जान क्विंसी एडम्स ने कहा कि जिन लोगों की वजह से हमारा देश पिछड़ रहा है ऐसे लोगों को अपना यूरोपियन चोला
हमेशा-हमेशा के लिए उतार के फेक देना चाहिए और वो यदि ऐसा नहीं कर सकते वो ऐसे लोगों के लिए यूरोप जाने का रास्ता एटलान्टिक महासागर सदा खुला रहेगा...उनकी इस घोषणा का असर ये हुअा कि अमेरिका में रहने वाले यूरोपीय लोग आज खुद को गर्व के साथ अमेरिकी बताते हैं...।।
मंचूरिया के मंचुवो का चीन पर शासन था...चीन में जब साम्यवादी सत्ता स्थापित हुई तब पर्याप्त संख्या में चीनियों को मंचूरिया में बसा दिया गया...और आज मंचूरिया में ममंचू जो कि वहाँ के मूल निवासी थे...वो अल्पसंख्यक हो गए...इसी तरह चीन ने योजनाबद्ध तरीके से तिब्बत में चीनियों को बसाकर तिब्बतियों को वहाँ अल्पसंख्यक बना दिया...।।
पचास के दशक में इजराइल ने करीब 20 हज़ार से ज्यादा मुसलमानों को इजराइल से बाहर निकाल दिया...वो भी एक ही दिन में...और जो मुसलमान इजराइल में बच गए....उनकी जमीन जायदात को इजराइली सरकार ने यहूदियों में बाँट दिया...आज इजराइल दुनियाँ का एकलौता ऐसा देश है...जहाँ मुसलमानों के आतंकी कृत्यों को लेकर सरकार जीरो परसेंट टालरेंस नीति अपनाती है...यानी इजराइल में मुसलमान होना होना ही गुनाह है...इजराइल के इस एक कदम ने इजराइल में मुस्लिम तुष्टिकरण को जड़ से उखाड़ कर फेक दिया।।
अब भारत में आइये...यहाँ धर्म के नाम पर पहले आपके देश के तीन टुकड़े किये जाते हैं...इसके बाद मुसलमानों को योजनाबद्ध तरीके से भारत में बसाया जाता है...मुसलमानों को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं....चार शादी करने की अनुमति मिलती है...हज पे सब्सिडी मिलती है...मुस्लिम बाहुल्य काश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है...सेना पर पत्थर फेकने के लिए मुसलमानों को बाकायदा लाइसेंस मिलता है...गोहत्या करने की छूट मिलती है...जबरन धर्म-परिवर्तन कराने के लिए बाकायदा मदरसों का गठन किया जाता है...यहाँ मुसलमान जबरन मंदिरों पर कब्ज़ा करते हैं...हिन्दू औरतों को जबरन या बहला फुसलाकर धर्मांतरण कराया जाता है लेकिन भारत सरकार चुप रहती है..!!
.....और बड़े-बड़े मंच से मुस्लिम तुष्टिकरण खत्म करने की बात की जाती हैं...लेकिन सत्ता प्राप्ति के बाद इनके मुँह और हाथ में दही जम जाता है और मुसलमानों के खिलाफ कुछ बोल या ना कर पाने की अपनी नपुंसकता को ये संविधान के चोले से ढक लेते हैं और कहते हैं कि अब हम संवैधानिक पद पर हैं...ऐसे दोहरी मानसिकता और विचारधारा रखने वाले नेताओं को चीन..स्पेन..अमेरिका और इजराइली सरकार से बहुत कुछ सिखने की जरूरत है...ताकि इन्हें पता चले कि दुनियाँ में मुसलमनो को लेकर दूसरे देश क्या सोचते और करते हैं...।।।।

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

क्या सिन्धु' से शब्द 'हिन्दू' शब्द की उत्पत्ति हुई ??


(आखिरी लाइन तक पढ़ेंगे तभी सच पता चलेगा) । 
सवाल यह कि 'हिन्दू' शब्द 'सिन्धु' से कैसे बना ? भारत में बहती थी एक नदी जिसे सिन्धु कहा जाता है। भारत विभाजन के बाद अब वह पाकिस्तान का हिस्सा है। ऋग्वेद में सप्त सिन्धु का उल्लेख मिलता है। वह भूमि जहां आर्य रहते थे। भाषाविदों के अनुसार हिन्द-आर्य भाषाओं की 'स्' ध्वनि (संस्कृत का व्यंजन 'स्') ईरानी भाषाओं की 'ह्' ध्वनि में बदल जाती है इसलिए सप्त सिन्धु अवेस्तन भाषा (पारसियों की धर्मभाषा) में जाकर हफ्त हिन्दू में परिवर्तित हो गया (अवेस्ता : वेंदीदाद, फर्गर्द 1.18)। इसके बाद ईरानियों ने सिन्धु नदी के पूर्व में रहने वालों को 'हिन्दू' नाम दिया। ईरान के पतन के बाद जब अरब से मुस्लिम हमलावर भारत में आए तो उन्होंने भारत के मूल धर्मावलंबियों को हिन्दू कहना शुरू कर दिया। इस तरह हिन्दुओं को 'हिन्दू' शब्द मिला।


लेकिन क्या यह सही है कि हिन्दुओं को हिन्दू नाम दिया ईरानियों और अरबों ने?

पारसी धर्म की स्थापना आर्यों की एक शाखा ने 700 ईसा पूर्व की थी। मात्र 700 ईसापूर्व? बाद में इस धर्म को संगठित रूप दिया जरथुस्त्र ने। इस धर्म के संस्थापक थे अत्रि कुल के लोग। यदि पारसियों को 'स्' के उच्चारण में दिक्कत होती तो वे सिन्धु नदी को भी हिन्दू नदी ही कहते और पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भी हिन्द कहते और सि‍न्धियों को भी हिन्दू कहते। आज भी सिन्धु है और सिन्धी भी। दूसरी बात यह कि उनके अनुसार फिर तो संस्कृत का नाम भी हंस्कृत होना चाहिए। सबसे बड़ा प्रमाण यह कि 'हिन्दू' शब्द का जिक्र पारसियों की किताब से पूर्व की किताबों में भी मिलता है। उस किताब का नाम है  विशालाक्ष शिव द्वारा लिखित बार्हस्पत्य शास्त्र जिसका संक्षेप बृहस्पतिजी ने किया। बाद में
वराहमिहिर रचित 'बृहत्संहिता' में भी इसका उल्लेख मिलता है। बृहस्पति आगम ने भी इसका उल्लेख किया।

इन्दु से बना हिन्दू : चीनी यात्री ह्वेनसांग के समय में 'हिन्दू' शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि 'हिन्दू' शब्द 'इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है, से बना है। चीन में भी 'इन्दु' को 'इंतु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष चन्द्रमा को बहुत महत्व देता है। राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इंतु' या 'हिन्दू' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही 'हिन्दू' शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम पारसियों या मुसलमानों की देन नहीं है।
 

हिमालय से हिन्दू, अगले पन्ने पर, जानिए...

 


बृहस्पति आगम : विशालाक्ष शिव द्वारा रचित राजनीति के महान शास्त्र का संक्षित महर्षि बृहस्पतिजी ने बार्हस्पत्य शात्र नाम से किया। फिर वराहमिहिर ने एक शास्त्र लिखा जिसका नाम बृहत्संहिता है। इसके बाद बृहस्पति-आगम की रचना हुई। 'बृहस्पति आगम' सहित अन्य आगम ईरानी या अरबी सभ्यताओं से बहुत प्राचीनकाल में लिखा जा चुके थे। अतः उसमें 'हिन्दुस्थान' का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि हिन्दू (या हिन्दुस्थान) नाम प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया था न कि अरबों/ईरानियों द्वारा। यह नाम बाद में अरबों/ईरानियों द्वारा प्रयुक्त होने लगा।   हालांकि इस आगम को आधुनिक काल में लिखा गया माना जाता है।

इसके एक श्लोक में कहा गया है:-
ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय:
गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:।
हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:।

' ॐकार' जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है तथा हिंसा की जो निंदा करता है, वह हिन्दू है।

श्लोक : 'हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥'- (बृहस्पति आगम)

अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।

हिमालय से हिन्दू : एक अन्य विचार के अनुसार हिमालय के प्रथम अक्षर 'हि' एवं 'इन्दु' का अंतिम अक्षर 'न्दु'। इन दोनों अक्षरों को मिलाकर शब्द बना 'हिन्दू' और यह भू-भाग हिन्दुस्थान कहलाया। 'हिन्दू' शब्द उस समय धर्म की बजाय राष्ट्रीयता के रूप में प्रयुक्त होता था। चूंकि उस समय भारत में केवल वैदिक धर्म को ही मानने वाले लोग थे और तब तक अन्य किसी धर्म का उदय नहीं हुआ था इसलिए 'हिन्दू' शब्द सभी भारतीयों के लिए प्रयुक्त होता था। भारत में हिन्दुओं के बसने के कारण कालांतर में विदेशियों ने इस शब्द को धर्म के संदर्भ में प्रयोग करना शुरू कर दिया।

दरअसल, 'हिन्दू' नाम तुर्क, फारसी, अरबों आदि के प्रभाव काल के दौर से भी पहले से चला आ रहा है जिसका एक उदाहरण हिन्दूकुश पर्वतमाला का इतिहास है। इस शब्द के संस्कृत व लौकिक साहित्य में व्यापक प्रमाण मिलते हैं। वस्तुतः यह नाम हमें विदेशियों ने नहीं दिया है। हिन्दू नाम पूर्णतया भारतीय है और हर भारतीय को इस पर गर्व होना चाहिए।

' हिन्दू' शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रंथों में विद्यमान है। उपनिषदों के काल के प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं मध्यकालीन साहित्य में 'हिन्दू' शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अनेक विद्वानों का मत है कि 'हिन्दू' शब्द प्राचीनकाल से सामान्यजनों की व्यावहारिक भाषा में प्रयुक्त होता रहा है।

जब प्राकृत एवं अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में होने लगा, उस समय सर्वत्र प्रचलित 'हिन्दू' शब्द का प्रयोग संस्कृत ग्रंथों में होने लगा। ब्राहिस्पत्य, कालिका पुराण, कवि कोश, राम कोश, कोश, मेदिनी कोश, शब्द कल्पद्रुम, मेरूतंत्र, पारिजात हरण नाटक, भविष्य पुराण, अग्निपुराण और वायु पुराणादि संस्कृत ग्रंथों में 'हिन्दू' शब्द जाति अर्थ में सुस्पष्ट मिलता है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि इन संस्कृत ग्रंथों के रचना काल से पहले भी 'हिन्दू' शब्द का जन समुदाय में प्रयोग होता था।