tag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post8564708712512883570..comments2024-02-10T23:28:54.528+05:30Comments on आप हम और देश: !!खजुराहो के मंदिरों में नग्न मुर्तिया क्यों ?Unknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-2987333551564682652014-03-22T15:35:58.129+05:302014-03-22T15:35:58.129+05:30दुनिया मे आशावादी और निराशावादी दो तरह के लोग होतै...दुनिया मे आशावादी और निराशावादी दो तरह के लोग होतै हैं| हमारे लिये अपने पूर्वजो के द्वारा बिकसित की गयी हर विधा को एक आशावादी की दृष्टि से ही देखना श्रेयस्कर होगा| भले ही हमे आज तक खजुराहो की कला के विकसित होने के कारणो की सही जानकारी प्राप्त नही हो पाई है| हमे इस कला मे बुरे पक्ष की अपेक्षा अच्छे पक्ष को ही खोजना चाहिये | यह विचारधारा आज के विकृत होते हुये समाज को वापस अच्छाई की ओर लाने मे सहायक हो सकती है |<br />धन्यवादAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01746574749942549718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-23462906561158889732013-05-05T09:59:54.802+05:302013-05-05T09:59:54.802+05:30dhanyvad is jankari ke liye
dhanyvad is jankari ke liye<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07310065614845099158noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-54585351291898774532013-05-04T09:42:45.416+05:302013-05-04T09:42:45.416+05:30स्वागत है भाई ....हौसला अफजाई के लिए आपको बहुत बह...स्वागत है भाई ....हौसला अफजाई के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद !Nageshwar Singh Baghelhttps://www.blogger.com/profile/02450600826489836822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-37802002446574412782012-12-26T08:14:36.103+05:302012-12-26T08:14:36.103+05:30.
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मैं भी एक बार खजुराहो गया तब मंदिरों के साथ-सा....<br />.<br />मैं भी एक बार खजुराहो गया तब मंदिरों के साथ-साथ आसपास के गावों में जाकर ग्राम-वासियों से संपर्क किया और जानकारी चाहि कि इस प्रकार के मंदिर बनवाने के पीछे क्या उद्देश्य रहा था .. तब ज्ञात हुआ कि एक समय खजुराहो में सात्विकता का प्रभाव इतना बढ़ गया था कि पति-पत्नी भी बहन-भाइयों की तरह से व्यवहार करने लग गए थे .. तब राजा प्रजा के इस प्रकार के बेराग से चिन्ति हुआ और उसने इस प्रकार के मंदिर बनवाये..<br />.<br />बुराई में आंकना छोड़ और अच्छाई में झांकना प्रारम्भ करना श्रेष्ठकर है.. प्राचीन दर्शन के पीछे सकारात्मक तार्किक कारण रहे है.. केवल कपोलकल्पना से मिथ्या को नहीं घडा गया था..<br />.<br />आपका अच्छा प्रस्तुतिकरण है धन्यवाद ..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00436233321350565032noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-19444295022495584312012-12-13T18:03:41.231+05:302012-12-13T18:03:41.231+05:30ThanksThanksNageshwar Singh Baghelhttps://www.blogger.com/profile/02450600826489836822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-65055137028664420452012-12-04T13:07:56.520+05:302012-12-04T13:07:56.520+05:30100 % Agree !! 100 % Agree !! Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03542768385050291051noreply@blogger.com