tag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post7388477617852075472..comments2024-02-10T23:28:54.528+05:30Comments on आप हम और देश: !! जोधा बाई अकबर की पत्नी नहीं थी !!Unknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-9634095206120491492013-06-29T08:07:20.417+05:302013-06-29T08:07:20.417+05:30धन्यवाद ..अनुज धन्यवाद ..अनुज Nageshwar Singh Baghelhttps://www.blogger.com/profile/02450600826489836822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-68445121553821171182013-06-08T12:18:27.157+05:302013-06-08T12:18:27.157+05:30आपकी जानकारी सार्थक ओर सत्ये है अग्रेजों ने राजपूत...आपकी जानकारी सार्थक ओर सत्ये है अग्रेजों ने राजपूत इतिहास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/17729953336343233403noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8434570114300206761.post-47270043255679820012013-05-06T08:28:22.146+05:302013-05-06T08:28:22.146+05:30एक मत के अनुसार ------- इस सच को हमेशा दबाया गय...एक मत के अनुसार ------- इस सच को हमेशा दबाया गया और कुछ अन्ज्रेज इतिहासकार ने हमेशा राजपूत को नीचा दखाने क कोशश काल्पनिक ऐतिहासिक तथ्यों का सहारा लिया . .. हमारे गौरवमयी इतिहास को कलंकिते करने का भरसक प्रयास किया गया गया लेकिन " सच को कभी आंच नहीं " .... सूय-वंश का 240वाँ औरश्री राम जी का 180 वाँ वंशधर 240 . राजा उदयकण----- (1366-1388) { राजा उदयकण जी का ववाह ( खंडेला के चौहान राजकुमार जसका नारयल युवराज बरिसंह जी के िलए आया था उसके साथ वयं युवराज ने करवा दया और चौहान क शत के मुताबत आमेर राय छोड़ दया | इसके बाद वहा (आमेर ) म उनके छोटे भाई राजा नरिसंह देव 1388 म नाबािलग ह ग पर बठाये गए , किन्तु उनके राव बरिसंह जी के पु राव मेराज जी को मोजमाबाद का राय दया ) हुआ } 241. राव बरिसंह देव, मोजमाबाद (Mozamabad) नका उप कबीले के पूवज थे , अलवर, Uniara, Lawa JAWALI, और BASETH, आद के शासक 242. राव मेराज देव जी,. 243. राव न देव जी , ( नका के संथापक ) 244. राव दासाजी , (दसावत खांप के मूल पूवज ) राव दासजी ने अपने पताजी और दादाजी के साथ आमेर राय के ारा अभता के यवहार के कारण आंबेर को अपने ४ भाईय के साथ िमलकर छन िलया था और पंच भाईय ने अपना पचरंगा वज बना कर फहरा दया .. महाराणा कुंभा के बच बचाव के बाद संिध हुयी और लावा, लदाना का के जागीर दए गए नतु , के आमेर के राजा पृवी राज ने राव दासाजी को धोखे से जहर दे दया जससे उनक मौत आमेर म ह होगई थी | 245. राव चंदन दासजी ,दासा जी के उरािधकार हुए और उनके दोन बेटे लदाना और लावा के क राजा हुए | 246. राव करम चदजी , मोज़माबाद का राय लेने म सफल हुए | 1525 में उहने आमेर ग पर फर एक बर आमण कर हिथयाने का एक प्रयास किया था लेकन उनकी भी ह्त्या धोखे से करवाई गयी थी | इस करण के बाद आमेर के कछवाहा नरेश और राव नाजी के वंशजो म गृह युद्ध हो गया इस युद्ध और नाजी के वंशजो को दबाने के लिए राजा भारमल ने अकबर से संधि कर ली ( बस इसी संधि के मुताबक भारमल के बेटे भगवानदास और उसके बाद पोता मान सिंह जी अकबर के सेनापित होगये , न की कोई वैवाहक सबध स्थापित करने की संधि हुई जैसा की काल्पनिक कहानीलिखने वाले कुछ संकीर्ण मानिसक रोगी इतिहासकार बताते है ) और अपने धर्म को निभाने के मानसिंह जी को महाराणा प्रताप जी के खिलाफ अकबर की सेना का सेनापित बनाना पड़ा ... यह एक राजपूती धर्म है जिस कारन अपने वचन का पालन करना... नोट - जोधाबाई आमेर के राजा भारमल की पुत्री ( जो जोधपुर क राजकुमार थी ) के साथ आई एक दासी की पुत्री थी जो राजा भारमल के ववाह के समय दहेज़ में अपनी माता ( जो जोधपुर क राजकुमार क दासी थी ) के साथ आई थी , जिसे आमेर के राजा भारमल जी ने अकबर के साथ विवाह करवाया था ! वह एक परिसयन यानी पारसी की लड़की थी ! उसका जीवन बेकार न हो इस कारन राजा भारमल ने उसका कन्यादान किया था इस नाते वह उनकी धर्म पुत्री थी ,, न क वह कोई कछवाहा राजकुमारी नहीं थी ! Nageshwar Singh Baghelhttps://www.blogger.com/profile/02450600826489836822noreply@blogger.com