शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

कुल मिलकर बजट 2014 में सुविधाएं सस्ती, शौक महंगा हुआ

मैं तो समझता हू की मोदी जी को इस धारणा पर काम करना चाहिए ।
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"काम" पहचान बनें मेरी तो बेहतर है, चेहरे का क्या है,
वो मेरे साथ ही एक दिन चला जाएगा "
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मोदी सरकार का पहला बजट आम आदमी के "अच्छे दिन" का सपना पूरा करेगा या नहीं, अभी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन महंगाई, वित्तीय घाटे व चालू घाटे को कम करके आर्थिक विकास दर में तेजी लाने का जो लक्ष्य रखा है वह आर्थिक हालात को सुधारने के लिए सबसे बड़ी जरूरत है। बजट किसी भी सरकार के एक साल के आर्थिक खाके से कहीं अधिक उसकी सोच को परिलक्षित करता है और इस लिहाज से नई सरकार ने सब्सिडी घटाने के साथ विदेशी निवेश को बढ़ावा देने का संकेत जरूर दिया है लेकिन बेहतर होता कि सरकार घाटे को कम करने के उपायों का भी खुलासा करती। आम आदमी, खासकर नौकरीपेशा की बात की जाए तो आयकर छूट सीमा बढ़ाने, घर के लिए लोन की छूट सीमा डेढ़ लाख तक बढ़ाने और निवेश पर कर छूट सीमा बढ़ाकर डेढ़ लाख करना महंगाई से पिसते आम आदमी को सुकून दे सकती है।

महंगाई पर काबू पाने के लिए किसी भी सरकार की इच्छाशक्ति से ज्यादा जरूरी 500 करोड़ का महंगाई फंड कैसे है, यह भी बताना होगा। कर्मचारी भविष्य निधि कोष्ा के तहत पेंशन पाने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन एक हजार होना भी राहत की खबर हो सकती है।विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग योजनाएं देना सामान्य हिस्सा हो सकता है। राजस्थान के लिए एक और कृçष्ा विश्वविद्यालय, आईआईएम की स्थापना और मेगा सोलर प्रोजेक्ट सौगात के रूप में देखे जा सकते हैं लेकिन दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरीडोर के बारे में बजट में कोई उल्लेख नहीं होना राज्य के लिए चिंता की बात है क्योंकि कॉरीडोर का चालीस फीसदी हिस्सा राजस्थान से गुजरता है।

सिगरेट, तंबाकू, गुटखा और सिगार का महंगा होना व्यसन पर लगाम लगाने का कदम है तो तेल, साबुन, कम्प्यूटर उपकरण, मोबाइल फोन, एलसीडी और एलईडी टीवी का सस्ता होना आम लोगों को लुभाने वाला। इसी तरह रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ बिजली, पानी, सड़क, स्कूल और अस्पतालों के लिए जूझती जनता को प्रतिमा और स्मारकों पर होने वाले सैकड़ों करोड़ के खर्च का औचित्य समझाना भी बड़ी चुनौती है। बजट घोष्ाणाओं का पिटारा होता है इस लिहाज से बहुत सी योजनाओं का ऎलान जरूर किया गया है लेकिन उनमें से अधिकांश योजनाओं का उल्लेख पहले कभी ना कभी हो चुका है ।
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''कुल मिलकर बजट में सुविधाएं सस्ती, शौक महंगा हुआ ''


आमजन ने बजट को लाइक ज्यादा और अनलाइक कम दिया हैं इससे ए साबित होता  हैं कई बज़ट आम जन को पसंद आया है ।