सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

१० सालों में UPA (कांग्रेश ) की उपलब्धिया ?

प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार शपथ लेने के कुछ दिनों बाद जून, 2004 में एक राष्ट्रीय टीवी प्रसारण में डॉ. मनमोहन सिंह ने विकास को अंतिम लक्ष्य करार न देते हुए कहा था कि  "विकास रोजगार के मौके मुहैया कराने, गरीबी, भूखमरी दूर करने, बेघरों को घर दिलाने और आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने का UPA एक जरिया है । पर यह जरिया १० सालो  में कितना  कामयाब हुआ आप  सभी को पता है । 

प्रधानमंत्री जी की इन नाकामियों  पर एक नजर  ------:

भ्रष्टाचार 
 
देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जब प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने शपथ ली थी, तब उनकी छवि अर्थव्यवस्था के बड़े जानकार, ईमानदार नेता की थी । लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल के अंत के करीब खड़े मनमोहन सिंह आजकल कोयला घोटाले में सीबीआई से पूछताछ के लिए तैयार होने की बात कह रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री पर सरकार के बड़े ओहदे पर रहे पूर्व कोयला सचिव खुलेआम सवाल खड़े कर रहे हैं। यह मिसाल इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि यूपीए सरकार ईमानदारी के मोर्चे पर कितनी खरी है। 1.86 लाख करोड़ रुपए के कोयला घोटाले, 1.76 लाख करोड़ रुपए के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले और  कॉमनवेल्थ घोटाले तो बानगी भर हैं। यूपीए सरकार खासकर इसके दूसरे कार्यकाल में घोटालों की बाढ़ सी आ गई। जैसे-जैसे घोटाले सामने आते गए लोगों का भरोसा इस सरकार से उठता गया। मनरेगा जैसी योजनाएं भी भ्रष्टाचार का शिकार हुई हैं। 2009 में यूपीए को दोबारा सत्ता में लौटाने में इस योजना को बहुत अहम माना जाता है ।  

महंगाई 
 
मई, 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने देश से वादा किया था कि उनकी सरकार 100 दिनों के अंदर महंगाई को काबू में ले आएगी। लेकिन आज करीब साढ़े चार बाद देश में हालत यह है कि प्याज 100 रुपए किलो बिक रहा है। अन्य सब्जियों का भी हाल बुरा है। आज हालत यह है कि कोई भी दिल्ली जैसे शहरों में सब्जी 35-40 रुपए किलो से कम नहीं बिक रही है। दूध भी 40-50 रुपए किलो बिक रहा है। देश के ज्यादातर शहरों में पेट्रोल की कीमत 75 रुपए या उससे ऊपर है। यही हालत आटा, दाल, चावल, मसालों, तेल वगैरह का है। देश महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रहा है, लेकिन सरकार सिर्फ तमाशबीन बनकर देख रही है।  


 
बेरोजगारी 
 
यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान यूपीए सरकार ने मनरेगा योजना को बड़े जोर शोर से लागू किया था। सरकार ने इसका बहुत ढिंढोरा पीटा। लेकिन यह योजना न सिर्फ भ्रष्टाचार की शिकार हुई बल्कि इससे देश के पढ़े-लिखे और हुनरमंद युवाओं को कोई खास फायदा नहीं हुआ। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान और श्रीलंका जैसे छोटे-छोटे देश इस मामले में भारत से बेहतर हैं। भारत में बेरोजगारी दर इन सभी देशों से ज्यादा है। बेरोजगारी दर के मामले में भारत दुनिया के 25 शीर्ष देशों में 24 वें स्थान पर है। आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर 9.9 फीसदी है। 
 

 
विकास दर घटी 
 
एक आर्थिक विशेषज्ञ के लंबे समय से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहने के बावजूद देश की आर्थिक सेहत गिरती जा रही है। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यूपीए सरकार की अगुवाई में देश ने पिछले एक दशक का सबसे निचला विकास दर (5 फीसदी) बीते जून में हासिल किया था। निर्माण और खनन जैसे क्षेत्रों में विकास की धीमी रफ्तार ने जीडीपी की हवा निकाल दी है।
 यूपीए सरकार: 10 साल, 10 नाकामियां
मानव विकास सूचकांक में अब भी पिछड़े 
 
मानव विकास सूचकांक में दुनिया के 185 देशों में भारत की रैंकिंग 134 वीं है। समोआ, सूरीनाम, गाबोन, मंगोलिया और इराक जैसे देश इस मामले में हमसे बेहतर हैं। 
 
       आंकड़ों के मुताबिक पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के मामले में भारत का रिकॉर्ड बहुत खराब है। हमारे देश के पांच साल से कम उम्र के करीब 44 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। हमसे बेहतर रिकॉर्ड इथोपिया, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान और बुरूंडी जैसे देशों का है। औसत स्कूल जाने के साल के मामले में भारत का स्कोर महज 4.4 साल है। जबकि समोआ 10.3 साल, टोंगा 10 साल, फिजी 10.7 साल जैसे देश में बच्चे भारतीय बच्चों की तुलना में ज्यादा समय स्कूल में बिताते हैं। प्रसव या गर्भ धारण के समय मां की मौत के मामले में भारत का रिकॉर्ड खराब है। यहां हर एक लाख प्रसव के दौरान करीब 230 मांएं मौत के मुंह में समा जाती हैं। जबकि श्रीलंका में यह आंकड़ा 39, चीन में 38, सूरीनाम में 100 है।  
 

 
अपनी ही जमीन पर सुरक्षित नहीं ?
 
कुछ साल पहले एक भाषण में देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नक्सलवाद को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था। लेकिन इस बयान के बावजूद नक्सलवाद पर काबू नहीं पाया जा सका है। मनमोहन सिंह की ही पार्टी कांग्रेस की छत्तीसगढ़ ईकाई के कई नामी गिरामी नेताओं को इसी साल मई में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ की दरभा घाटी में घात लगाकर हमले का शिकार बनाया था। नक्सलवाद के अलावा देश में बढ़ती आतंकी वारदातें भी यूपीए सरकार की नाकामियां गिनाने के लिए काफी हैं। मुंबई में 26 11, लोकल ट्रेन में सीरियल बम विस्फोट, समझौता एक्सप्रेस में आग, यूपी के कई शहरों, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, मालेगांव, पुणे में कई बम धमाके भारत में आतंकवादियों के बढ़ते हौसले का सुबूत हैं। लेकिन यूपीए सरकार इन खतरों से नहीं निपट पाई है।     
 भूख और गरीबी से नहीं लड़ सकी सरकार 
 
खाद्य सुरक्षा कानून पास करवाते समय यूपीए सरकार ने कहा था कि आज भी देश में एक बड़ी आबादी भूखे पेट सोती है। सरकार ने देश की आधे से अधिक आबादी को इस कानून के दायरे में लाकर उन्हें भोजन की गारंटी दे रही है। मतलब, इस देश में आधी से अधिक आबादी के पास भरपेट भोजन नहीं है? दुनिया के 79 सबसे भूखे देशों की लिस्ट में भारत की रैंकिंग 65 वीं है। शर्मनाक बात यह है कि मलावी, माली यूगांडा, बेनिन और घाना जैसे अफ्रीकी देश भारत से बेहतर रैंकिंग लिए हुए हैं। यहां तक कि नाकाम राष्ट्र बनते जा रहे पाकिस्तान की रैंकिंग भी भारत से अच्छी है। यही हाल श्रीलंका का भी है। 
 

यूपीए सरकार: 10 साल, 10 नाकामियां
 
दुनिया से खराब हुए रिश्ते 
 
पाकिस्तान और चीन ही नहीं भारत अपने अन्य पड़ोसी देशों के अलावा दुनिया के कई देशों से रिश्ता खराब हुआ है। इन देशों में नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव शामिल हैं। अब ये देश भारत को आंखें तरेरते हैं। इसके अलावा इटली ने अपने दो सैनिकों के मामले में भारतीय न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ाने का कोशिश की। म्यांमार को लेकर भारत की नीति स्पष्ट नहीं है। भारत ने वहां की नेता आंग सान सू ची का खुलकर समर्थन नहीं किया। इससे भारत के लोकतंत्र में विश्वास को लेकर अमेरिका जैसे देशों ने सवाल उठाए। भारत ईरान से तेल खरीदने के मामले में भी अमेरिका के दबाव में दिखा। मिस्र में हुई क्रांति के पक्ष या विपक्ष में भारत ने खुलकर नहीं बोला। इन मामलों संबंधित देशों से भारत के राजनयिक रिश्ते खराब हुए हैं।  
 
 
 
पाकिस्तान से रिश्ता 
 
यूपीए सरकार की बड़ी नाकामियों में से एक पाकिस्तान से उसका रिश्ता रहा है। 2003 में हुए युद्धविराम समझौता का हाल के सालों में बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है। पाकिस्तान ने बीते एक साल में करीब 200 से ज्यादा बार एलओसी पर सीजफायर तोड़ा है। हालत यह है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से सितंबर में मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने सीमा पर गोलीबारी और बम फेंकने की नापाक हरकत तेज कर दी है। वह अब सीमा के नजदीक भारत के गांवों को भी निशाना बना रहा है। लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार पाकिस्तान को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। भारत सरकार को 9/11 के हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद, मोस्ट वॉन्टेड डॉन दाऊद इब्राहिम को पकड़ने या भारत लाने में कोई कामयाबी नहीं मिली है। उलटे 2009 में शर्म अल शेख में प्रधानमंत्री ने उस दस्तावेज पर दस्तखत कर दिए थे, जिसमें पाकिस्तान ने भारत पर बलूचिस्तान में बगावत को हवा देने की बात कही थी। 
 

 
चीन से संबंध  
 
भारत और चीन का रिश्ता 1962 की जंग के बाद कभी भी सामान्य नहीं रहा। दोनों देश एक दूसरे को शक की निगाह से देखते हैं। लेकिन हाल के कुछ सालों में यह मतभेद और गहरे हुए हैं। इस साल कई बार चीनी सैनिक भारत की सीमा के 20-20 किलोमीटर भीतर घुस आए। 15 से ज्यादा बैठकों के बावजूद दोनों देशों में सीमा विवाद का अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है। चीन अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को नत्थी कर वीजा देता है। वहीं, उसने जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना के बड़े अफसर को वीजा देने से इनकार कर दिया था। यही नहीं, वियतनाम से मिलकर दक्षिणी चीन सागर में भारत की तेल की खोज पर भी चीन को भारी आपत्ति है। लेकिन इन सभी मोर्चों पर भारत सरकार नाकाम दिख रही है।