मंगलवार, 12 मार्च 2013

!! अब लैपटाप घोटाला ?

2011 की जनगणना और टाइम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी में 18% मुस्लिम ऐसे हैं जिन्होंने इंटर की परीक्षा पास की है, यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार की लैपटाप योजना के अंतर्गत 40% मुस्लिमों को लैपटाप वितरित किये जा रहे है, जब सिर्फ 18% मुस्लिमों ने ही इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की है तो 40% लोगों को लैपटाप कहां से बंट रहे है ??


सीधा सा जवाब है बाकी 22% लैपटाप के पैसे का घोटाला हो रहा है, इसकी भी जांच होनी चाहिए ....!


              मुझे लैपटाप के वितरण को लेकर कोई आपत्ति नहीं है बहुत ही सराहनीय कार्य किया है अखिलेश जी ने लेकिन लैपटाप की स्क्रीन और बैग पर मुलायम जी को जगह क्यों दी गई है ?? मुख्यमंत्री के चित्र की बात तो समझ में आती है लेकिन मुलायम का चित्र दिया जाना गलत है...! मुलायम सिंह जी न तो सरकार में शामिल हैं और न ही उन्हें सरकार में कोई संवैधानिक पद दिया गया है....! फिर उनकी तस्वीर क्यों दिखाई जा रही है..? यह सरासर गलत है.. .सपा सरकारी धन का उपयोग निजी फायदे के लिए कर रही है..ये भी घोटाला की श्रेणी में ही आता है .!
           लैपटाप आपूर्ति का ठेका लेने वाली एचपी कम्पनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वितरित होने वाले लैपटापों में इस तरह का साफ्टवेयर लगाया गया है कि इसमें इन्टरनेट जुड़ते ही समाजवादी सरकार व पार्टी की उपलब्धियों का स्क्रोल चलने लगेगा...! उन्होंने बताया कि स्क्रीन पर मुलायम सिंह जी यादव और अखिलेश जी यादव के चित्र दिखाई देने के साथ ही "पूरे होते वादे" लिखकर आ जाएगा....! इसमें इस तरह के साफ्टवेयर लगाए गए हैं जिससे सपा के चित्र और "लोगो" नहीं हटेगा...! ये सब क्या है ? ये भी तो एक घोटाला है .....! 

!! राजपुताना की जय आपकी कलम से होगा !!


मेरे बहुत से मित्र है ओ FB में  क्या करते है ..की कोई भी पोस्ट हो और उस पोस्ट पर आते है और सिर्फ " जय राजपुताना " लिख कर गायब हो जाते है ..ये गलत है आपको समझ है तो आप पोस्ट पर कुछ लिखे ..सिर्फ जय राजपुताना लिख देने से कुछ नहीं होगा ....राजपुताना की जय आपके विचारों से होगा ..आपकी कलम से होगा ......!

     तो मित्रो यदि आप राजपुताना की जय करना चाहते है तो आप कलम के सिपाही बनिए ..अब इस लोकतंत्र में आपकी तलवार की ताकत की कोई मूल्य नहीं पहचानता है ..क्योकि ..अब तो एक अनाडी को भी तलवार (अश्त्र-सस्त्र) पकड़ा देगे तो ओ भी आपकी बराबरी करने की छमता रखता है ....फिर आप अपने पुरखो के इतिहास पर कब तक इतरायेगे ?


नोट ---राजपूत भाइयोआप इतिहास को पढ़कर कर कुछ सीख लीजिये ...अब इतराने के दिन लद गए है ...अच्छा है कलम के धनी बने और अपने बच्चो को समाज को कलम का धनी बनाए ..तभी सही मायने में राजपुताना की जय होगी ...!

जय हिन्द जय भारत ..जय जय श्री राम.....

जय राजपुताना ....जय महारानाप्रताप जी ...की ...!

महत्वपूर्ण -----अब देखना कुछ लोग मेरे को राजपूत नहीं होने का प्रमाणपत्र बितरित करेगे ..!

UP के CM अखिलेश जी जनता का धन लूट रहे है या लुटा रहे है ?

UP के CM अखिलेश जी जनता का धन लूट रहे है या लुटा रहे है ? 
जब अखिलेश जी UP के CM  बने तब UP की जनता ने बहुत आशा लगा रखा था पर ओ आशाये अब धूमिल होती नजर आ रही है .....
      जिस समय मायावती मूर्तियों पर पानी की तरह पैसा बहा रही थीं, उस समय विपक्ष में बैठी समाजवादी पार्टी जमकर उनकी आलोचना करती थी....। उन पर जनता के धन का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया जाता था...। पिछले साल मार्च में जब अखिलेश सरकार बनीं तो लगा कि जनता के दिन फिर जाएंगे, लेकिन नतीजा शून्य रहा...। सपा सरकार की अगुवाई कर रहे अखिलेश पर करोड़ों पैसे बर्बाद करने का आरोप लगा है...। उन पर सरकारी समारोहों, अनावश्यक योजनाओं, विज्ञापनों और मुआवजे में करोड़ों रुपए बांटने का आरोप है....। 
हाल ही में आरटीआई द्वारा यह खुलासा हुआ है कि बेरोजगारी भत्ता योजना के लाभार्थियों के बीच बांटी गई राशि से कहीं ज्यादा पैसा वितरण कार्यक्रमों पर खर्च हुआ है....। सूचना का अधिकार कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की ओर से दाखिल आवेदन के जवाब में प्रशिक्षण एवं रोजगार निदेशालय ने विभिन्न जगहों पर हुए कार्यक्रमों पर 12.29 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही है। इसके विपरीत, नवंबर 2012 तक सरकार ने बेरोजगार युवाओं के बीच 8.54 करोड़ रुपये वितरित किया है...। रोजगार निदेशालय का कहना है कि 15 मार्च से 14 नवंबर 2012 के बीच 8.54 करोड़ रुपये का वितरण किया गया, लेकिन 234,240 बेरोजगारों के बीच बांटे गए 192 करोड़ रुपये का आधिकारिक ब्योरा जारी होना अभी बाकी है....। आधिकारिक ब्योरा क्या होगा पता नहीं ...

आरटीआई के जरिए कुछ दिन पहले खुलासा हुआ था कि अखिलेश सरकार ने ब्रांडिग के मामले में मायावती सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है। बीते आठ महीने के कार्यकाल में अखिलेश सरकार ने प्रचार-प्रसार के नाम पर मायावती के बीते आठ महीने के कार्यकाल की तुलना में चार गुना अधिक धनराशि खर्च की है....। सरकार के ब्रांडिग, सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार और लोगों को बीच लोकसभा चुनाव को लेकर दिया जा संदेश कितना महंगा पड़ रह है इसे आरटीआई खुलासे से समझा जा सकता है....। टीवी चैनलों पर विज्ञापन के लिए सपा सरकार ने शुरू के आठ महीनों में 2,75,00,000 रुपए के सरकारी विज्ञापन ज़ारी किये तो मायावती ने सरकार ने साल 2007-2008 के दौरान महज 69,14.043 रुपए के सरकारी विज्ञापन दिये.....। अखबारों में सरकारी योजनाओं पर जहां मायावती की सरकार ने 5,67,13,139 रुपए खर्च किये तो अखिलेश यादव ने ये रकम पांच गुना ज्यादा खर्च की, ये आंकड़ा पच्चीस करोड़ तक जा पहुंचा.....।
यूपी सरकार मुआवजों पर ज्यादा मेहरबान है, पहले किसी प्राकृतिक या अप्रत्याशित घटनाओं पर 1 लाख से पांच लाख तक मुआवजा दिया जाता था, पर अखिलेश सरकार ने मुआवजा को मानों सरकारी प्रसाद बना दिया, कहीं भी घटना हो उस पर बड़ी रकम बतौर मुआवजा घोषित कर दिया जाता है....। हाल ही में महाकुंभ में हुए हादसे में पहले घोषित की गई मुआवजे की राशि बाद में कई गुनी कर दी गई....। इसी तरह डीएसपी मर्डर केस में अखिलेश ने पीड़ित डीएसपी परिवार को करीब 50 लाख और ग्राम प्रधान के परिवार को करीब 40 लाख बतौर मुआवजा दिया...। इस तरह सरकारी खजाने में अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है....। जहां सरकारी कर्मचारियों की कई महीने की सैलरी नहीं मिल पाती, वहां खुले हाथों से धन लुटाने का क्या तुक है ?
            मैं तो आलोचक  हु आलोचना करना मेरा काम है ....पर इन बातो का जबाब है क्या सपाइयो के पास ?