रविवार, 27 जनवरी 2013

!! सत्य सिर्फ सत्य होता है FB में दुष्प्रचार करने वालो से सावधान रहे !!

      कल रात में मेरे FB मित्र श्री मान अशोक पांडे  जी से किसी बिषय पर चर्चा हो रहे थे उस समय पर अशोक पण्डेजी ने मुझे एक संजीवनी बूटी दिया ..बस वही  हे से यह ब्लॉग लिखने की प्रेरणा  मिली  .धन्यवाद  श्री मान अशोक पांडे जी को !

नोट----.यह ब्लॉग उन लोगो को समर्पित है जो मेरे खिलाफ दिन भर FB में दुष्प्रचार करते रहते  है !


    जिस देश की संस्कृति में सीता सावित्री को आदर्श माना जाता है, दुर्गा लक्ष्मी की पूजा होती है उसी देश में महिलाओं पर सर्वाधिक अत्याचार हो रहे हैं. क्यों ?   

       शायद आजदी के पूर्व अंग्रेजों के राज में महिलाएं ज्यादा सुरक्षित थी, अंगे्रजों के राज में कानून का भय था, भ्रूण हत्या या दहेज पाप समझा जाता था और डाक्टरी पेशा सेवा का माध्यम था..पर आज ??

ज्यादा समय नहीं हुआ है, चालीस वर्ष पूर्व तक गांवों के लोग दूध, घी में मिलावट पाप समझते थे किन्तु आज खुलआम मिलावट कर रहे है क्यों ? 

 आज से कुछ साल पहले  पानी बेचने की तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.पर आज ?

आज का इंसान बदल गया है ...! प्रतिवर्ष लाखों कन्याएं जन्म लेने से ही पूर्व मार दी जाती है. दहेज दानव के कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों विवाहिता मौत को गले लगा रही है और डाक्टरी पेशे से दानवी रुप धारण करलिया है...!

 आज से पचपन वर्ष पूर्व पं. प्रदीप ने एक गीत लिखा था

""देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई, भगवान कितना बदल गया इंसान... चांद न बदला सूरज न बदला न बदला रे आसमान कितना बदल गया इंसान""

 भारत सरकार का प्रतीक चिन्ह सत्यमेव जयते..! याने सत्य की विजय.. सत्य के बारे में कहा जाता है कि ....

"सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं "

श्री  गोस्वामी तुलसीदासजी ने भी मानस में लिखा है कि ...

" धरम न दूसर सत्य समाना, आगाम निगम पुराण बखाना "

 शिर्डी के साईं  बाबा और गुरु नानक सहित सिखों के दसों गुरुओं ने सत श्री अकाल का नारा दिया... गीता, कुरान, बाइबल, गुरग्रंत साहिब सभी का सार है सत्य..! .बापू ने इसी सार को अपने जीवन का ध्येय बनाया...! और सत्य और अहिंसा के बल पर आजादी हांसिल की. अंग्रेज भी गांधीजी के सत्याग्रह से परेशान होकर देश छोड़ कर चले गए ? लेकिन इस देश में जो काले अंग्रेज  सत्तात में आए, उन्होंने सत्य और अहिंसा को छोड़ कर असत्य और हिंसा के बल पर राज किया और कर रहे हैं... सभी जानते हैं कि जितने भी राजनीतिक दल है वे सब सत्ता का सुख भोग चुके हैं, और सभी भ्रष्ट सिद्ध हुए हैं.. याने एक भी राजनेता सत्यवादी नही है...?
             
  हमारे आधुनिक प्रवचनकार जो अपने को संत कहलाने का विज्ञापन करते हैं वे भी अरबपति बन रहे हैं... उनके प्रवचनों के बाद देश में असत्य वातावरण बना, हिंसा बढ़ी और  ऩारी उत्पीड़ऩ.और बढ़ा क्यों ?

  फिर राजनेताओं और इन तथाकथित धर्म के ठेकेदारों में अंतर क्या है ?
     आखिर यह कब तक चलेगा, कब तक झूठ, फरेब और ब्याभिचार  के बल पर सत्ता प्राप्त की जाती रहेगी.. और जिस देश में नारी को पूजा जाता है उस देश में नारी के साथ कब तक अत्याचार होते रहेंगे...कब तक ..?
             यह जो समाज का पतन हो रहा है उसके लिए सरकार कम समाज ज्यादा दोषी है, हम हर काम के लिए सरकार को दोषी बताते हैं... बलात्कार व्यक्ति करता है बदनाम पुलिस होती है, उसका मतलब यह नहीं कि पुलिस वाले सत्यवादी राजा हरिशचंद के वंशज है, सवाल यह उठता है कि हर समाज चाहे तो वह इसे रोक सकता है, जैसा कि साठ वर्ष पूर्व तक था, कि समाज में बुरा काम करने वाले का बहिक्षार होता था, आज क्यों नहीं होता ? हम चाहे कितनी तरक्की कर लें, कितना धन कमा लें, बड़े बड़े आलीशन भवन बना लें और लक्झरी कारों में घूमे..! लेकिन जब तक व्यक्ति का आचरण नहीं  बदलेगा, तब तक यह नकली तरक्की बेकार है, इसका कोई मूल्य नहीं... हर क्षेत्र में मूल्यों में गिरावट आ रही है, इस गिरावट को रोकने के लिए कोई गांधी, विवेकानंद, राजाराम मोहनराय पैदा नहीं होंगे.. यदि आज मैं या आप  समाज को आइना दिखा रहे हैं तो हमें समझना होगा कि डाक्टरी पेशा एक पवित्र पेशा है, डाक्टर को हम भगवान के बाद दूसरा व्यक्ति मानते हैं... इस पवित्र पेशे को अपवित्रत करने वालों का बहिषकार होना चाहिए और बहिषकार होना चाहिए उन जनप्रतिनिधियों का जो झूठे और मक्कार है...बहिषकार होना चाहिए नारी पर अत्याचार करने वालों का.. यह काम सरकार से ज्यादा समाज का है, क्योंकि समाज ही सरकार को चुनती है, जिस दिन समाज यह काम करने लगेगा उसी दिन सत्या की जीत होगी...!
          और बहिस्कार  उन  लोगो  का  भी  होना  चाहिए  जो  समाज   में किसी  भी  तरह  का  दुष्प्रचार  करते  है किसी  के बारे  में झूठा प्रचार करते है .किसी के भी चरित्र हनन की नापाक कोशिश करते है.!

                 आज भी देश की 90 प्रतिशत जनता बुराई को पसपंद नहीं करती, लेकिन बुराई के खिलाफ एक जुट भी नहीं होती क्यों इस बिषय पर गहन चिंतन की जरुरत है जिस दिन बुराई से लड़ऩे वाले एकजुट हो जाएंगे, उसी दिन बुराई समाप्त हो जाएगी.. रावण को मारा तो श्रीराम जी ने था, लेकिन उनके पीछे थी असंख्य वानर सेना...गांधी या जयप्रकाश के आंदोलन में जितने भी लोग शामिल हुए वे सभी अराजनीतिक थे..उन सभी का ध्येय था बुराई के खिलाफ एकजुट होने का.! तो आइये ऐसे लोगो का बहिस्कार  करे जो सामाज  में किसी भी तह का अपराध करते है ..अपराध छोटा हो बाद .अपराध होता है ...यदि हम अपराध को आरम्भ  में ही रोक ले तो ना तो अपराध बढे  ,,और न ही अपराधी बढे !


       अंत में उन लोगो को मेरा यहे कहना है की "सत्य परेसान हो सकता है पराजित नहीं " बंधू जितना मन चाहे जोर लगा लो ..मुझे परेसान तो कर सकते है ..पर मुझे मेरे रस्ते से भटका नहीं सकते है ...