गुरुवार, 24 जनवरी 2013

!! आतंकवाद एक संगठित विचारधारा है..!!

आतंकवाद एक संगठित विचारधारा है। एक निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किये गये हिंसात्मक तथा अनैतिक कार्यों द्वारा सरकार पर दबाव डालना अतंकवाद है। यह एक ऐसा सैद्धान्तिक तरीका है जिसके द्वारा कोई संगठित गिरोह अपने घोषित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसा का योजनाबध्द ढंग़ से इस्तेमाल करता है। आतंकवादी समूह समाज में डर एवं दहशत का माहौल पैदा कर सरकार से अपनी मांगे मनवाते हैं।
आतंकवाद आज अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। यह किसी एक देश से सम्बन्धित नहीं है। विश्व के लगभग 62 देश आतंकवाद से ग्रस्त हैं। लेकिन आतंकवाद की कीमत भारत को ही सबसे ज्यादा चुकानी पड़ी है। मोस्ट वांटेड आतंकी ओसामा बिन लादेन के मारे जाने पर पूरे विश्व के लोग राहत की सांस ले रहे हैं। लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। उसके मारे जाने मात्र से आतंकी गतिविधियों में कोई कमी आने वाली नहीं हैं। क्योंकि आतंकवाद कुछ लोगों का मिशन बन चुका है और इनका संगठनात्मक ढांचा आज भी मौजूद है इसलिए संगठनात्मक ढांचे को ध्वस्त किये बिना आतंकवाद पर लगाम लगाना सम्भव नहीं है। वे दारूल हरब को दारूल इस्लाम में परिवर्तित करना चाहते हैं। इसी उद्देश्य की पूर्ति में वे लगे हैं। आज एक लादेन मारा गया है और रोज सैकड़ों ओसामा पैदा हो रहे हैं तो इन लादेनों से निजात कैसे मिल सकती है। भारत में तो लादेनों की कमी नहीं है। हर गली एवं शहर में आपको एक लादेन मिल जायेगा। इसके लिए जरूरी है कि इसके मूल में जाना होगा और आतंकवादी विचारधारा को खत्म करना होगा। अन्यथा जब तक इस विचारधारा पर चोट नहीं की जायेगी तब तक ओसामा बिन लादेन जैसे ख्रूखांर आतंकवादी पैदा होकर विश्व समुदाय के समक्ष एक चुनौती के रूप में सामने आते रहेंगे। इसके खात्मे के लिए पूरे विश्व को एक साथ खुलेमन से पहल करनी होगी। अमेरिका को भी अपना रवैया स्पष्ट करना होगा। वह पूरे विश्व में केवल अपनी दादागीरी चलाना चाहता है। वह दूसरे देशों को अस्त्र, शस्त्र एवं कठोर कानून निर्माण एवं प्रयोग से रोकता है और शान्ति का पाठ पढ़ता है उल्टे वह इसके विपरीत आचरण करता है। वह जानता है कि अमेरिका से दी जाने वाली रकम पाक आतंकी गतिविधियों को रोकने के बजाए उसको बढ़ाने में मद्द करता है, लेकिन फिर भी अमेरिका इस को रोकने के बजाए इसमें इजाफा ही करता जा रहा है। वैसे ओसामा के मारे जाने से उसको दी जाने वाली सहायता राशि रोकने की बातें उसके ही देश में उठने लगी हैं।
ओसामा बिन लादेन पाक की मिलिट्री अकादमी की नाक के नीचे मारे जाने से उसका सच एक बार फिर सामने आ गया है। वैसे भारत बार-बार अमेरिका से यह बात उठाता रहा है कि पाक अपने यहाँ आतंकी कैम्पों को बन्द नहीं कर रहा है और अमेरिका से प्राप्त धनराशि को भारत के खिलाफ प्रयोग करता है लेकिन अमेरिका इस बात हमेशा को नजरन्दाज करता रहा है। इस समय पाक किंकर्तव्‍यविमूढ़ की स्थित में है। एक तरफ उसको मुस्लिम कट्टरपंथियों का दबाव झेलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर विश्व समुदाय का आक्रोश। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. और पाकिस्तानी सेना का आतंकवादियों से सांठगांठ जगजाहिर है। 1947 में पाकिस्तान ने नारा लगााया था कि ‘कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है’ एवं हंस के लिया है पाकिस्तान लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान’। इस मंसूबे को अंजाम देने के लिए उसने 1947 में कबाइलियों के वेश में भारत पर हमला कर दिया। लेकिन उनको शिकस्त खानी पड़ी। फिर भी अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान भारत की 80 हजार वर्ग कि.मी. भूमि पर जिसे आज पाक अधिकृत कश्मीर कहते हैं। जो कि जम्मू कश्मीर की कुल भूमि का 40 प्रतिशत बनता है। कब्जा करने में सफल रहा। 1965 में फिर पाकिस्तान ने हमला किया लेकिन उस समय भी हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान को लाहौर तक खदेड़ दिया था। 1971 में फिर पाकिस्तान ने प्रयास किया, भारत ने पाकिस्तान को तोड़ कर बंग्लादेश बना दिया। उस युध्द में पाकिस्तान की 93000 हजार सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा था। तब पाक के ध्यान में आया कि प्रत्यक्ष युद्व मे भारत को हराना संभव नहीं है। तब पाकिस्तान के तत्कालीन अध्यक्ष जनरल जिया और विश्व के अनेक नेता तथा अनेक कट्टरपंथी मूवमेंट के नेता एकत्रित हुए और उन्होंने आई.एस.आई. चीफ के नेतृत्व में ‘आपरेशन टोपेक’ को जन्म दिया। जिसको प्रारम्भ में प्राक्सीवार कहा गया। भारत के सन्दर्भ में इसके दो स्लोगन थे। एक था कश्मीर तो बहाना है लाल किला निशाना है’ और दूसरा था ‘Let India should be braken to piece.’ आई.एस. आई. चीफ ने कहा हम भारत में इस प्रकार के आतंक की खेती करेंगे कि पूरा भारत हजारों से अधिक स्थानों से एक साथ रक्तस्राव कर रहा होगा। भयग्रस्त होगा, किंकर्तव्‍यविमूढ़ होगा और आपस में लड़ रहा होगा। इसलिए आपरेशन टोपेक के अन्तर्गत 1972 में इस आतंकवाद को उसने नाम दिया जिहादी आतंकवाद और इसके लिए उसने विभिन्न नामों से आतंकी संगठन खड़े किये गये। आज देश में जिहादी आतंकवाद के 90 गिरोह काम कर रहे हैं। इनका उद्देश्य किसी न किसी तरीके से भारत को कमजोर करना, दिशाहीन करना प्रमुख है।
जेहादी आतंकवाद से आज पूरा विश्व ग्रसित है। इस्लाम का पूरा इतिहास रक्तरंजित है। मुसलमानों ने विशष रूप से जो आक्रामक युध्द क्षमता प्राप्त की उसे जेहाद कहा गया। जब तक जमात ए इस्लामी जिहाद को गैर इस्लामी घोषित नहीं करती तब तक इस्लाम की तुलना आतंक के पर्याय के रूप में की जाती रहेगी। अल्लाह के नाम पर लडाई लडने को जिहाद कहते हैं। मदरसों में जिहाद एवं युद्व की शिक्षा दी जाती है। इस विचारधारा का उदय ही घृणा, हिंसा और छल कपट के लिए ही हुआ है। शाब्दिक अर्थ में जिहाद का अर्थ है- प्रयास इस्लाम ने जिहाद की अवधारणा को अल्लाह के उद्देश्य की पूर्ति के लिए मुस्लिमों के बीच धर्मयुद्व के रुप में प्रस्तुत किया। जिहाद का वास्तविक अर्थ कुरान के शब्दों में इस प्रकार हैर् उनसे युद्व करो जो अल्लाह और कयामत के दिन में विश्वास नही करते जो उस पन्थ को स्वीकार नही करते जो सच का पन्थ है और जो उन लोगों का पन्थ है जिन्हें कुरान दी गई है और तब तक युद्व करो जब तक वह उपहार न दे दें और दीनहीन न बना दिये जायें पूर्णता झुका न दिये जायें’। सूरा 9 आयत 5 , गैर मुस्लिमों के विरुद्व युद्व ही जिहाद है। इस्लाम के अनुसार जिहाद अल्लाह की सेवा के लिए लडा जाता है। इस्लामी शब्दकोश में मुहम्मद साहब के उपदेश में जिनका विश्वास नही है उनके विरुद्व धर्मयुद्व ही जिहाद है। सूरा -2 आयत 193 में कुरान कहता है ‘उनके विरुद्व तब तक युद्ध करो जब तक मूर्ति पूजा पूर्णता: बन्द न हो जाय और अल्लाह के पंथ की विजय सर्वसम्पन्न न हो जाय।
पाकिस्तान हमारी एक तिहाई भूमि पर अवैद्य कब्जा किये हुए है और उसी भूमि पर आतंकी शिविर लगा कर उन्हें जिहाद का प्रशिक्षण देकर भारत के खिलाब प्रयोग करता है। यह सब भारत सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति का अभाव एवं आतंक के खिलाफ ढ़िलाई को प्रदर्शित करता है। अन्यथा देश मे इतने बडे- बडे हमले हुए फिर भी भारत सरकार चेतावनी एवं अल्टीमेटम के सिवा कुछ नहीं कर पाई। जब भी भारत में कोई भी बड़ा हमला होता है तो भारत हमेशा अमेरिका की तरफ ताकता है। अमेरिका हमें न्याय दिलायेगा? प्रधानमंत्री विरोध जताते हैं, वार्ता नहीं करेंगे ढोंग करते हैं उल्टे फिर वार्ता की पेशकश करते हैं। यह भारतीय प्रधानमंत्री की कमजोरी ही कही जायेगी। भारत सरकार को तो पाक से स्पष्ट रूप से कह देना चाहिए कि अगर वार्ता होगी तो सिर्फ गुलाम कश्मीर पर इससे कम कुछ भी मान्य नहीं है। यही उचित समय है पाक के ऊपर दबाव बनाने का। ‘जग नहीं सुनता कभी दुर्बल जनों का शान्ति प्रवचन’ यह नियति की रीति है कि दुर्बल हमेशा सताये जाते हैं। नियम कानून उन पर लागू नहीं होते हैं। इसलिए अगर शान्ति की ही चर्चा करते रहोगे तो शेष बचा कश्मीर भी हमारे हाथ से निकल जायेगा और भारत का भविष्य भी अधर में पड़ जायेगा। जैये 1962 में हमारे प्रधानमंत्री पंडित नेहरू पंचशाील के सिद्धान्त और हिन्दी चीनी भाई- भाई का राग अलापते रहे और चीन ने भारत पर आक्रमण कर हजारों वर्ग कि.मी. भूमि पर कब्जा कर लिया। संसद भवन, अक्षरधाम वाराणसी में संकटमोचन हनुमान मंदिर अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर हमला एवं मुम्बई के ताज होटल पर हमला हुआ लेकिन भारत लगातार वार्ता प्रक्रिया को बढ़ा रहा है। अमेरिका से निवेदन कर रहा है। पाक को सबूतों एवं आतंकियों की सूची थमा रहा है फिर भी पाक मानने को तैयार नहीं हो रहा है। भारत को इसके लिए निर्णायक युद्व छेड़ने की आवश्यकता है। पाक से साफ- साफ कहना चाहिए कि गुलाम कश्मीर खाली करो, सारे आतंकवादियों को भारत के हवाले करो अन्यथा हम अपनी शक्ति के बल पर जो भी आवश्यक होगा वह सब करने के लिए बाध्य होंगे।
साभार--बृजनन्दन यादव 

संस्कार और सभ्यता क्या है ??

वर्तमान में विकासवादी भोगप्रधान युग में व्यक्ति प्राय: अपनी व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं की परिधि में सिमटता चला जा रहा है। आर्थिक प्रवाह, संचार क्रान्ति तथा वैज्ञानिक प्रगति, व धर्म संस्कृति सभ्यता तथा चेतना के मूल स्वरूप से युवा पीढ़ी को ही नहीं अपितु वृद्ध एवं किशोरों को स्वेच्छाचारी जीवन जीने की मृगतृश्णा में दौड़ने को जाने- अनजाने में विवश कर रही है। तथा कथित धार्मिक धृतराश्ट्र धर्म को युग धर्म के अनुसार नई परिभाशाओं को मक्कड़ जाल में ही अपनी बुद्धि कौशल समझते हैं। और विभिन्न समुदायों की उपासना पद्धति को ही धर्म समझा जाने लगा है।धर्म वह कवच है जिससे सम्पूर्ण मानव समाज को आधि-व्याधि से सुरक्षित करते हुए Þसर्वभूतेहितेरताß की भावना को प्राणि मात्र के कल्याण की कामना को पुश्ट करते हुए आध्यात्मक तथा आत्मीयता के पर्यावरण की संरचना समय रहते की जा सकती है। आत्मा के बिना शरीर, धर्म के बिना समाज मृतवत् है।
धर्मराज-द्रौपदी तथा सत्यवान-सावित्री का दर्शन आने वाली पीढ़ी के लिए काल्पनिक कथाओं के अतिरिक्त कुछ नहीं रहेगा।
संस्कृति संस्कारों के अभाव में संस्कृति की चर्चा करना आत्मवचना के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं संस्कारों के वैज्ञानिक रहस्य से अपरिचित वर्तमान के तथाकथित समाज सुधारक संस्कारों की उपेक्षा ही नहीं अपितु उपहास करने में आत्म गौरव समझ रहे है। दुर्भाग्य है कि प्रशासन तथासिक्षा इसमें सह सिक्षा एवं समान अधिकारों को आग लगाकर उदण्डता, अनुशासनहीन, आचरणविहीन युवा पीढ़ी की फसल तैयार करने में प्राण-प्रज्ञा से सिक्षा के उच्च व्यवसायीकरण में जुटे है।
संस्कृत तथा संस्कृति नामक ग्रन्थ डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद जी ने अपने राश्ट्रव्यापी वैिश्वकचिन्तन परक विचार विस्तार से व्यक्त किए है। वर्तमान के िशक्षाविदों को उसे अवश्य पढ़ना चाहिए।
राम-कृश्ण के देश में जन्म लेने वाले धर्म तथा संस्कार विहीन पशुवत जीवन जीने वालों के पद चिन्हों पर चलकर अर्थात पिश्चम के योगवाद से अनुप्राणित तथा कथित िशक्षित राजनैतिक वर्ग ही जातिहीन, धर्मविहीन, अनुशासनहीन सामाजिक एवं राश्ट्रीय विकास का पक्षधर है।
भारतवशZ के अतिरिक्त किसी भी देश में संस्कृति एवं चरित्र को प्राथमिकता नहीं दी जाती यह विश्वविदित कटु सत्य है। संस्कृति से ही मानवीय मूल्यों की गुणवत्ता का आंकलन होता है संस्कारों के प्रति दैनिक तथा व्यक्तिगत जीवन में अन्तरनिश्ठा ही संस्कृति संरक्षण का साश्वत् आधार है।
सभ्यता समाज के पारिवारिक, अनुवांिशक, ऐतिहासिक, धार्मिक, भौगोलिक जीवनशैली की संवाहिका है। वर्तमान के पढ़े लिखे सभ्य कहलाने वाले आधूनिक समाज की दृिश्ट में सभ्यता का प्रतीक जीवन स्तर है। जीवन के महत्व से अनभिज्ञ युवापीढ़ी वास्तविक सभ्यजनों को अिशक्षित मानती है। सभ्यता िशक्षा से ही नहीं, सभ्यता पूर्वजों के सामाजिक, एकान्तिक तथा व्यावहारिक जीवन से परम्परागत अधिकार के रूप में सहज प्राप्त होती है। जल्दी सोना, जल्दी जागना प्रकृतिप्रदत्त समाज की पहली पहचान है। वर्तमान में रात में देर तक जागना, देर से उठना भारतीय भौगोलिक दृिश्ट से भारतीय सभ्यता के प्रतिकूल है। Þउठ जाग मुसाफिर भोर भयों अबेरैन कहां जो सोवत हैß
प्रात: काल जागरण भगवद् स्मरण, धार्मिक साहित्य स्वाध्याय अभिवादन देव, द्विज गुरू तथा माता-पिता तथा वृद्धों को प्रणाम करना हमारी सभ्यता है। आज हम स्वयं इसका और आने वाली पीढ़ी को कितना पालन करते है यहीं हमारी सभ्यता का मानदण्ड है।
चेतना के विशय जानने के पूर्व हमें स्पश्ट रूप से ज्ञान होना चाहिए, चेतन, अथचेतन तथा अचेतन में क्या अन्तर है। चेतना के वास्तविक परिज्ञान के समाज सुधारक, मनोवैज्ञानिक, राजनैतिक, धार्मिक, जनप्रतिनिधि, सामाजिक तथा व्ौयक्तिक चेतना के विकारण के विशय में योजनाएं बनाने लगते हैं परन्तु उनकी अपनी चेतना का क्या स्तर है इस पर गम्भीरता से बुद्धिजीवियों को विचार करना चाहिए। िशक्षाविदों को सम्मेलन इस प्रकार एक सकारात्मक कदम उठाए तभी राश्ट्रीय सामुहिक, सामाजिक चेतना का वास्तविक लाभ सभी को मिल सकेगा। हशZ का विशय है कि िशक्षाविद् धर्म सभ्यता संस्कृति चेतना के विशय में सामुहिक चिन्तन के लिए एकत्रित हो रहे है।

!! हाथी और कुत्ते !!

भाई साहब आप सभी को प्रणाम .सुप्रभात ..जय हिन्द ..जय भारत ..जय जय श्री राम......

..आप सभी को दैनिक जीवन में एक बिशेष बात देखने को मिली होगी ..और ओ बनात ये है की ..जब हाथी कही से भी निकलता है तो उसके डील डौल को देखर डर के मारे कुत्ते भोकना सुरु कर देते है झुण्ड बनाकर ..पर हाथी अपने मस्ती भरी चाल में चलता रहता है ...हाथी उन कुत्तो के भोकने की अहमियत नहीं देता है .....वही हाल कुछ इस समय मेरे साथ हो रहा है .FB में ! मैं कुत्तो के भोकने के फिकर बिल्कुल भी नहीं करता हु ..जिसे भोकना है भोके ..और अपनी उर्जा खराब करे ..मेरे सुभ कामनाये भोकने वालो के साथ है .‘यदि हाथी कुत्तों के पीछे दौड़ता है, तब उनका (कुत्तों) का महत्व बढ़ता है.. इस वजह से हाथी पीछे नहीं मुड़ता बल्कि आगे ही बढ़ता जाता है... वे वह कह सकते हैं जो उन्हें पसंद है..मैं ध्यान नहीं देता हूं.. मैं अब भी कहना चाहूंगा कि मुझे क्यों कुत्तों के पीछे भागना चाहिए.’’! मैं मानता हूं कि शैतान को भी ईश्वरीय अस्तित्व को चुनौती देने का अधिकार है... मूर्खो को भी अवसर मिलना चाहिए कि वे सज्जन पुरशो की लानत-मलामत कर सकें भगवान् उन्हें लम्बी उम्र और अच्छी से अच्छी उर्जा देता रहे जिससे ओ कुत्ते अपने स्वभाव के अनुसार भोकते रहे ..और मुहल्ले वालो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते रहे ........जिससे की लोग इन कुत्तो को भूल नहीं जाये ....

यदि सिंह अहिंसक हो जाए, गीदड़ भी शौर्य दिखाते हैं!
यदि गरुड़ संत सन्यासी हो, बस सर्प पनपते जाते हैं !!
इस शांति अहिंसा के द्वारा अपना विनाश आरंभ हुआ !
जब से अशोक ने शस्त्र त्यागे, भारत विघटन प्रारंभ हुआ!!
सोचा था धर्म रक्षण को श्री कृष्णकहीं से पैदा हो जाएगे !
लेकिन पराजित मन के भीतर श्री कृष्ण कहाँ से आयेंगे !!


नोट --यह ब्लॉग उन लोगो को समर्पित है जो दिन रात मेरे खिलाफ ब्लागरो की दुनिया और फेसबुक की दुनिया में दुष्प्रचार करते रहते है !