मंगलवार, 29 जनवरी 2013

देश का युवा जाग गया है क्या ?

देश का युवा जाग गया है क्या ?
भारत देश संभावनाओं का देश है और युवा वर्ग उन संभावनाओं को चरितार्थ करने का एक सशक्त माध्यम ऐसी स्तिथि में ये एक दुसरे के पूरक हुए और राजनीती का अर्थ है राज यानी साशन करने की सोच और एक मजबूत इंसान ही राज कर सकता है एक प्रगतिशील देश के निर्माण का दायित्व युवाओं पर है “गर हम देश की हालत बताने लंगेंगे तो पत्थर भी आसूं बहाने लगेंगे इंसानियत तो खो गयी है हैवानियत में कहीं इसे ढूढने में अब ज़माने लगेंगे “ युवा वर्ग अपने हक़ के लिए लड़ने के लिए हमेशा तत्पर नजर आता है आप अगर इन्टरनेट पर भी देखे तो आपको इस वर्ग के लोग ही सबसे अधिक सजग और क्रन्तिकारी विचार प्रस्तुत करते हुए मिलेंगे पर अगर जमीनी हकीकत देखि जाये तो जहाँ वास्तव में इनकी जरूरत है और जहाँ ये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं वहां मूल रूप से इनकी भागीदारी में एक नकरात्मक सोच नजर आती है .राजनीती में युवाओं के नाम पर पूर्व और तात्कालिक मंत्रियों के बेटे और बेटियां ही नजर आते हैं .आप एक विद्यालय में या विश्वविद्यालय में जाएँ तो आप पाएंगे की राजनीती में सक्रिय भूमिका निभाने को कोई भी विद्यार्थी शायद ही तैयार हो.हम खुद अधिकार वाला स्थान नहीं पाना चाहते हैं और सोचते हैं की कोई और हमारी तकदीर बदल देगा पड़ोस में चोरी होती है तब भी हम चुप बैठ कर उस दिन का इन्तेजार करते है जब वो चोर हमारे घर को अपना निशाना बनायेंगे हम किसी भी हमले के बाद चार बार चिल्लाते हैं और अपने काम में लग जाते हैं .जो लोग सही तरीके से विरोध करने की समझ रखते हैं वो घर में बैठे रहते हैं और कुछ मुर्ख लोग सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचाकर अपना विरोध दर्ज करते हैं .किसी सामाचार चैनल में चल रहे कार्यक्रम के दौरान युवा वर्ग बहुत जोर शोर से अपनी बात रखता है पर वोट करने के समय अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती में लगा रहता है .विकास के लिए हमे आगे आना होगा अगर हमे ये मालूम हैं की चीजें कैसे बदल सकती हैं तो क्यों न हम आगे आयें और हम उसे बदले न की कुछ होने का इन्तेजार करें -“अगर हम समस्या का समाधान नहीं हैं तो हम भी समस्या का हिस्सा हैं “

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