गुरुवार, 3 जनवरी 2013

!! सावित्री बाई फुले जी के जन्म दिन पर विशेष !!



ओह सावित्री बा फुले .जी का आज जन्म दिन है सच में ये सही  मायने में हकदार है शिक्षक दिवस के लिए राष्ट्रनिर्माता सावित्री बाई फुले
३ जनवरी, १८३१ को सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ था। भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक को नमन।

एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन १८४८ में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद हम २०११ में नहीं कर सकेंगे । लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी । सावित्री बाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे कूढ़मगज शहर में ।

वे स्कूल जाती थीं, तो लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे । आज से १६० साल पहले बालिकाओ के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम मन जाता था कितना सामाजिक अपमान झेलकर खोला गया होगा देश में एक अकेला बालिका विद्यालय ।

इतिहास लिखने वालों ने इस असली राष्ट्रनायिका के साथ न्याय नहीं किया। इतिहास का पुनर्लेखन एक अनिवार्य कार्यभार है । स्कूल तो क्या कॉलेज तक में विद्यार्थियों को बताते ही नहीं है कि कोई सावित्रीबाई फुले भी थीं, जिन्होंने देश का पहला बालिका विद्यालय खोला था । सावित्रीबाई फुले के स्कूल में हर धर्म और जातियों की बालिकाएँ पढ़ती थीं । उन्होंने ब्राह्मण विधवा काशीबाई के बच्चे को गोद लिया था ।

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं । हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया । जब सावित्री बाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उनपर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्री बाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं । अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

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