गुरुवार, 24 मई 2012

!! 42 का पेट्रोल हमें 74 में बेच रही सरकार ?

मनमोहन जी आम जनता को जला रहे है
आज जब कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत अगस्त 2008 की कीमत से भी कम है, फिर किस तर्क पर सरकार ने इसके मूल्य में साढ़े सात रुपए की बढ़ोतरी कर दी, यह समझ से परे है। कैलकुलेशन के अनुसार, फिलहाल पेट्रोल का बेसिक प्राइस 42 रुपए निकलता है जिसके ब...ाद केंद्र और राज्य सरकारें उसमें अपने 35-40 रुपए टैक्स और ड्यूटीज जोड़ती हैं, जिसके कारण दाम 77-81 रुपए हो जाता है.......

आज कच्‍चा तेल ...100 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से मिल रहा है... एक डॉलर 56 रुपए के बराबर ...है तो एक बैरल का दाम हुआ 5600 रुपए हुआ..! यह अगस्त 2008 की तुलना में 6 प्रतिशत सस्ता है!उस समय यह 5900 रुपए प्रति बैरल मिल रहा था! इसके बावजूद सरकार ने तेल कंपनियों को 7.5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने से रोका नहीं...
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एक बैरल में लगभग 150 लीटर कच्चा तेल आता है। इस एक बैरल तेल को रिफाइन कर पेट्रोल में बदलने का कुल खर्च 672 रुपए निकलता है., इस तरह से पेट्रोल का दाम 42 रुपए प्रति लीटर से भी कम हुआ,,(5600+672/150= 41.81).....

इसका दाम बढ़कर 77-81 रुपए हो जाता है क्योंकि इसमें बेसिक एक्साइज ड्यूटीज सहित अन्य ड्यूटीज और सेस के साथ स्टेट सेल्स टैक्स भी जोड़ा जाता है ! इससे 42 रुपए में 35-40 रुपए और जुड़कर इसका दाम उतना हो जाता है। इस तरह से केंद्र और राज्य दोनों मिलकर आम जनता की भलाई के नाम पर पैसा उगाहने के लिए उन्हीं के जेब पर बोझ बढ़ाते हैं.....
पेट्रोल का दाम बढ़ाने के जो तर्क दिए जाते रहे हैं, उसकी हकीकत भी समझिए...

!!मृत्यु चिंतन-विन्दु है!!


मृत्यु क्या है?
जन्म से मृतु तक का
समय है - 'जीवन यात्रा'.
परन्तु मृत्यु तक सीमित
नहीं है - यह जीवन.

मृत्यु है -
जीवन का विश्राम स्थल;
कुछ क्षण रुक कर...,
भूत को टटोलने और,
भविष्यत् के गंतव्य को,
कृतकर्म के मंतव्य को,
पुनर्जन्म के माध्यम से,
निर्दिष्ट लक्ष्य संधान का,
पुनीत द्वार है - यह.

मृत्यु; विनाश नहीं, सृजन है.
मृत्यु; अवकाश नहीं, दायित्व है.
मृत्यु; नवजीवन का द्वार है.
मृत्यु; अमरत्व का अवसर है.

मृत्यु; विलाप का नहीं,
समीक्षा का विन्दु है.
जिसके आगे अमरत्व का
लहराता हुआ सिन्धु है.
लक्ष्य का स्वागत द्वार है और,
पारलौकिक जीवन का प्रारम्भ विन्दु है.
मृतु डरने की नहीं, चिंतन की विन्दु है.