बुधवार, 26 दिसंबर 2012

बैराग्य के भाव

मेरे मन में कभी कभी बैराग्य के भाव उत्पन्न होते है ....और ये भाव उस समय ज्यादा उत्पन्न होता है जब मैं किसी न किसी कारन बहुत परेसान होता हु ....उस समय ऐसा लगता है की छोड़ दो सब कुछ और कही चले जाओ एकान्त में ..और सब कुछ भूल जाओ ....धन ,दौलत ,सुख ,पत्नी ,बच्चे ,,अपना ब्यवसाय ......
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सच में क्या करना चाहिए ..ऐसे समय में ..इस प्रकार के भाव मन से किस तरह से हटाना चाहिए ...या फिर मन जो कहे उसे कर देना चाहिए ...............

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