मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

आरक्षण ?

देखिये किस तरह अयोग्य शिक्षको का चयन होता है जातिगत आरक्षण के कारण :

जयपुर. प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा में मात्र 6 फीसदी अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी भी सेकंडरी स्कूलों केहैडमास्टर बन गए। जबकि 61 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी इससे बाहरहो गए।
अंकों की न्यूनतम सीमा का प्रावधान नहीं होने से इस भर्ती में बेहद खराब प्रदर्शन करनेवाले भी राजपत्रित अधिकारी बन गए हैं। मेरिट में 2072वां स्थान हासिल करने वाली एक अभ्यर्थी 34.07 (6%) अंक हासिल कर हैडमास्टर बनी हैं।इस परीक्षा में करीब 60 फीसदी से ज्यादा तृतीय श्रेणी के शिक्षक हैडमास्टर बने हैं।

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माध्यमिक शिक्षा में प्रधानाध्यापकों की भर्ती परीक्षा इस साल मई में हुई थी। पिछले दिनों आए परिणाम ने उन अभ्यर्थियों को हतप्रभ कर दिया जो 366 अंक हासिल करके भी मेरिट में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सके। दूसरी तरफ एसटी, विधवा कोटे का कट ऑफ 34.07 अंक रहा और इस सीमा में आने वाले अभ्यर्थी हैडमास्टर बन गए।

'संविधान प्रदत्त आरक्षण का प्रावधानजरूर होना चाहिए, लेकिन शिक्षा जैसे पेशे में एक कट ऑफ लाइन होना भी निहायत जरूरी है। यदि न्यूनतम अंकों की कोई सीमा तय नहींहोगी तो शिक्षा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जाएगी। इस तरह की भर्ती परीक्षाओं के लिए श्रेणीवार न्यूनतम अंक सीमा का प्रावधान तय किया जाए। ऐसा होने से एकसीमा के नीचे अंक लाने वाले स्वत: ही बाहर हो जाएंगे।'
-के.एल. कमल, पूर्व कुलपति, राजस्थान विवि

'नियमों में न्यूनतम अंक सीमा का प्रावधान नहीं होने से यह परेशानी पैदा हो रही है। इसीकारण काफी कम अंकों वाले अभ्यर्थी चयनित हो गए।'
-के.के. पाठक, सचिव, राज्य लोक सेवा आयोग

सामान्य ज्ञान में 300 में से 3 अंक :
प्रधानाध्यापक भर्ती में 300-300 अंक के दो पेपर हुए थे। एसटी विडो कोटे में कट ऑफ सीमा पर चयनितहुईं चांद के सामान्य ज्ञान के पहले पेपर में मात्र 3.47 अंक हैं। शिक्षा एवं शिक्षा प्रशासन की जानकारीवाले दूसरे पेपर में 30.6 अंक हैं। उनके कुल अंक 34.07 हैं और ऑवर ऑल मेरिटक्रमांक 2072 है।

जातिगत आरक्षण के कारण और चयन के कोई न्यूनतम मापदण्ड न होने के कारण अयोग्य शिक्षको का चयन हो जाता है इसी वहज से सरकारी शिक्षण व्यवस्था बदहाल है …
प्रत्यक्ष आरक्षण से अपनी सीटे भरने के बाद रोस्टर से भी आरक्षित वर्ग के अयोग्य अभ्यर्थी इतनी सीटो पर चयनित हो जाते है कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी योग्य होते हुये भी चयनित नही हो पाते ,
देखिये किस तरह अयोग्य शिक्षको का चयन होता है जातिगत आरक्षण के कारण
 :

जयपुर. प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा में मात्र 6 फीसदी अंक हासिल करने वाले
 अभ्यर्थी भी सेकंडरी स्कूलों केहैडमास्टर बन गए। जबकि 61 फीसदी अंक 
प्राप्त करने वाले सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी इससे बाहरहो गए।
अंकों की न्यूनतम सीमा का प्रावधान नहीं होने से इस भर्ती में बेहद खराब 
प्रदर्शन करनेवाले भी राजपत्रित अधिकारी बन गए हैं। मेरिट में 2072वां 
स्थान हासिल करने वाली एक अभ्यर्थी 34.07 (6%) अंक हासिल कर  हैडमास्टर बनी
 हैं।इस परीक्षा में करीब 60 फीसदी से ज्यादा तृतीय श्रेणी के शिक्षक 
हैडमास्टर बने हैं।

माध्यमिक शिक्षा में प्रधानाध्यापकों की भर्ती परीक्षा इस साल मई में हुई 
थी। पिछले दिनों आए परिणाम ने उन अभ्यर्थियों को हतप्रभ कर दिया जो 366 अंक
 हासिल करके भी मेरिट में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सके। दूसरी तरफ 
एसटी, विधवा कोटे का कट ऑफ 34.07 अंक रहा और इस सीमा में आने वाले अभ्यर्थी
 हैडमास्टर बन गए।

'संविधान प्रदत्त आरक्षण का प्रावधानजरूर होना चाहिए, लेकिन शिक्षा जैसे 
पेशे में एक कट ऑफ लाइन होना भी निहायत जरूरी है। यदि न्यूनतम अंकों की कोई
 सीमा तय नहींहोगी तो शिक्षा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जाएगी। इस तरह की 
भर्ती परीक्षाओं के लिए श्रेणीवार न्यूनतम अंक सीमा का प्रावधान तय किया 
जाए। ऐसा होने से एकसीमा के नीचे अंक लाने वाले स्वत: ही बाहर हो जाएंगे।'
-के.एल. कमल, पूर्व कुलपति, राजस्थान विवि

'नियमों में न्यूनतम अंक सीमा का प्रावधान नहीं होने से यह परेशानी पैदा हो
 रही है। इसीकारण काफी कम अंकों वाले अभ्यर्थी चयनित हो गए।'
-के.के. पाठक, सचिव, राज्य लोक सेवा आयोग

सामान्य ज्ञान में 300 में से 3 अंक :
प्रधानाध्यापक भर्ती में 300-300 अंक के दो पेपर हुए थे। एसटी विडो कोटे 
में कट ऑफ सीमा पर चयनितहुईं चांद के सामान्य ज्ञान के पहले पेपर में मात्र
 3.47 अंक हैं। शिक्षा एवं शिक्षा प्रशासन की जानकारीवाले दूसरे पेपर में 
30.6 अंक हैं। उनके कुल अंक 34.07 हैं और ऑवर ऑल मेरिटक्रमांक 2072 है।

जातिगत आरक्षण के कारण और चयन के कोई न्यूनतम मापदण्ड न होने के कारण 
अयोग्य शिक्षको का चयन हो जाता है इसी वहज से सरकारी शिक्षण व्यवस्था बदहाल
 है …
प्रत्यक्ष आरक्षण से अपनी सीटे भरने के बाद रोस्टर से भी आरक्षित वर्ग के 
अयोग्य अभ्यर्थी इतनी सीटो पर चयनित हो जाते है कि सामान्य वर्ग के 
अभ्यर्थी योग्य होते हुये भी चयनित नही हो पाते ,

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