मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

2030 तक भारत दुनिया की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बन सकता है??

मनमोहन जी क्या है ये ?
2030 तक भारत दुनिया की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बन सकता है। अमेरिकी खुफिया विभाग ने यह भविष्यवाणी की है। पड़ोसी मुल्कों के मुकाबले उस समय हमारी अर्थव्यवस्था का आकर काफी बड़ा हो जाएगा। इतना ही नहीं चीन की मौजूदा आर्थिक विकास दर भी उस समय केवल यादों में रह जाएगी....
नेशनल इंटेलिजेंस काउंसिल (एनआईसी) ने वैश्विक रुझानों और 2030 के दुनिया की कल्पना कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट की 5वीं किस्त में भारत की महाशक्ति बनने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत 2030 में उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बन सकता है। उसका वही कद होगा जो आज चीन का है। चीन की आर्थिक वृद्धि आज 8 से 10 प्रतिशत है। 2030 तक यह यह केवल बीते कल की बात हो जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में चीन, भारत से आगे बना रहेगा। लेकिन, यह अंतर 2030 तक कम हो सकता है। इन सालों में भारत की आर्थिक वृद्धि जहां एक तरफ बढऩे की संभावना है, वहीं चीन की घटेगी। रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कामकाजी आबादी 2016 में अपने चरम पर 99.4 करोड़ होगी जो 2030 में घटकर 96.1 करोड़ रह जाएगी। भारत की कामकाजी आबादी 2050 से पहले अपनी चरम स्थिति तक शायद नहीं पहुंचेगी।
पाकिस्‍तान होगा काफी पीछे----------

रिपोर्ट के अनुसार शक्ति के मामले में भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान से आगे बना रहेगा। भारत की अर्थव्यवस्था अभी पाकिस्तान के मुकाबले करीब आठ गुना बड़ी है। 2030 तक यह अनुपात 161 से अधिक हो सकता है।
एनआईसी का आकलन------------

रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर 2030 तक महत्वपूर्ण बदलाव की भविष्यवाणी की गई है।


1. उत्तरी अमेरिका और यूरोप के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद से एशिया आगे होगा।


2. 2030 से कुछ साल पहले ही अमेरिका को पछाड़कर चीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा।


3. भारत 2025 तक उभरती अर्थव्यवस्था वृद्धि केंद्र के तौर पर चीन के करीब होगा।


4. अगले 15 से 20 साल मेंवैश्विक आर्थिक वृद्धि में भारत का योगदान अमेरिका को छोड़कर किसी भी अन्य विकसित देश से अधिक

होगा।

5. 2025 तक अमेरिका और यूरो क्षेत्र का वैश्विक आर्थिक वृद्धि में जितना योगदान होगा उसका करीब दोगुना चीन और भारत की तरफ से होगा।


6. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं में पश्चिमी देशों की पकड़ कमजोर होगी।


समस्याएं भी
है ----------

एनआईसी ने रिपोर्ट में कहा है कि इन सालों में भारत और चीन के साथ कई तरह की समस्याएं भी जड़ी रहेंगी। इनमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बड़ी असमानता प्रमुख है। खाद्यान्न और पानी की कमी से भी दोनों देशों को जूझना पड़ सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अधिक निवेश की जरूरत होगी......

लगता है ये सपने से कम नहीं है ..पर कोई बात नहीं सपने अच्छे है ......
 

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