गुरुवार, 20 सितंबर 2012

धर्म के नाम पर बहने वाले खून का हर कतरा हमारा है..

हम सभी  एक धरमनिरपेक्ष देश मेंरहते है  जहाँ किसी धर्म कि कदर है कि नहीं मुझे नहीं पता पर इतना पता है कि कोई न कोई प्रतिदिन धर्म कि बलि पर किसी न किसी को चढाया जाता है . ऑस्ट्रेलिया में भेदभाव होता है तो भारत में उसकी प्रतिक्रिया होती या देश कि सम्पति को नुकसान पहुँचाया जाता है और सरकारें तथा कानून नग्न नाच देखता रहता है और किसी के उपर कानूनी कारवाही नहीं होती . अगर एक छोटे से व्यक्ति ने भीख मिटने के लिए खाना भी चुरा लिया जाये तो उसको मर मर कर उसकी दुर्गति कि जाती है .

कुछ लोग अपना- अलग अलग पंथ बनाकर देश का बिभाजन कर रहे हैं तो कुछ लोग क्षेत्रवाद के नाम पर ,तो कुछ धर्म के नाम पर ऐसा लगता है जैसे की सभी धर्मों का ठेका उन्होंने ले लिया है .

जब भी ऐसे उन्माद होते हैं तो उसमें मरने वालो की सबसे ज्यादा संख्या बच्चों और महिलाओं और बूदों की होती है .
जहाँ तक मुझे पता है बच्चे का कोई मजहब नहीं होता है उसे जो अपनाएगा उसी धर्म का हो जाएगा तो फिर हिंसा क्यों .

अगर एक हिन्दू मरता है तो एक सिख मरता है एक सिख मरता है तो एक मुसलमान मरता है एक मुसलमान मरता है तो एक ईसाई मरता है . हर बहने वाले खून का कतरा एक भारतीय का होता है तो क्यों हम उन लोगों का साथ दें . अगर वे अपने खून बहाने का मादा रखते तो सबसे पहले उनका खून बहता न की मासूम बच्चों और औरतों का . वो आप के लिए अपना खून क्यों बहायेंगे . आपको दो वक़्त की रोटी तो छोड़ो बीमारी के समय में सहायता नहीं कर सकते तो उनको आपकी क्या पड़ी हैं वो समय चला गया जब देशभक्त पैदा होते थे वो लोग तो धरम के नाम पर हमारी बलि दे देंगे लेकिन उनके अपने अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती है किवो अपना खून बहाएं . शरारती तत्व हर जगह हैं .

किसी न किसी रूप में हर धर्म के व्यक्ति का देश को बनाने में सहायक होता है . (भारत के नानावटी जैसे मुख्या न्यायधीश को एक मुसलमान ने अपने परवरिश दी )और आर रहमान जैसे व्यक्ति हिन्दुत्व छोड़ कर मुसलमान बन गए .
ऐसे ही कई उदारहण हैं जो कभी हमारे सामने नहीं आये पर इंसानियत आज भी है

इसलिए भड़काऊ लोगो से बचे और अपने बच्चों के साथ अपने देश कि तथा दुसरे बच्चों और महिलाओं कि भी सुरक्षा करें .
मैं एक धरमनिरपेक्ष देश में रहता हूँ जहाँ किसी धर्म कि कदर है कि नहीं मुझे नहीं पता पर इतना पता है कि कोई न कोई प्रतिदिन धर्म कि बलि पर किसी न किसी को चढाया जाता है . ऑस्ट्रेलिया में भेदभाव होता है तो भारत में उसकी प्रतिक्रिया होती या देश कि सम्पति को नुकसान पहुँचाया जाता है और सरकारें तथा कानून नग्न नाच देखता रहता है और किसी के उपर कानूनी कारवाही नहीं होती . अगर एक छोटे से व्यक्ति ने भीख मिटने के लिए खाना भी चुरा लिया जाये तो उसको मर मर कर उसकी दुर्गति कि जाती है .
कुछ लोग अपना- अलग अलग पंथ बनाकर देश का बिभाजन कर रहे हैं तो कुछ लोग क्षेत्रवाद के नाम पर ,तो कुछ धर्म के नाम पर ऐसा लगता है जैसे की सभी धर्मों का ठेका उन्होंने ले लिया है .

जब भी ऐसे उन्माद होते हैं तो उसमें मरने वालो की सबसे ज्यादा संख्या बच्चों और महिलाओं और बूदों की होती है .
जहाँ तक मुझे पता है बच्चे का कोई मजहब नहीं होता है उसे जो अपनाएगा उसी धर्म का हो जाएगा तो फिर हिंसा क्यों .

अगर एक हिन्दू मरता है तो एक सिख मरता है एक सिख मरता है तो एक मुसलमान मरता है एक मुसलमान मरता है तो एक ईसाई मरता है . हर बहने वाले खून का कतरा एक भारतीय का होता है तो क्यों हम उन लोगों का साथ दें . अगर वे अपने खून बहाने का मादा रखते तो सबसे पहले उनका खून बहता न की मासूम बच्चों और औरतों का . वो आप के लिए अपना खून क्यों बहायेंगे . आपको दो वक़्त की रोटी तो छोड़ो बीमारी के समय में सहायता नहीं कर सकते तो उनको आपकी क्या पड़ी हैं वो समय चला गया जब देशभक्त पैदा होते थे

वो लोग तो धरम के नाम पर हमारी बलि दे देंगे लेकिन उनके अपने अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती है किवो अपना खून बहाएं . शरारती तत्व हर जगह हैं .किसी न किसी रूप में हर धर्म के व्यक्ति का देश को बनाने में सहायक होता है . भारत के नानावटी जैसे मुख्या न्यायधीश को एक मुसलमान ने अपने परवरिश दी और आर रहमान जैसे व्यक्ति हिन्दुत्व छोड़ कर मुसलमान बन गए
ऐसे ही कई उदारहण हैं जो कभी हमारे सामने नहीं आये पर इंसानियत आज भी है

इसलिए भड़काऊ लोगो से बचे और अपने बच्चों के साथ अपने देश कि तथा दुसरे बच्चों और महिलाओं कि भी सुरक्षा करें .

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