सोमवार, 19 मार्च 2012

!!जिम्मेदार और जवाबदेह होने का गुण ब्यक्ति को बिशेष बनाता है !!

ज्यादा तर देखने को मिलता है की हम अपने कर्तब्य के प्रति लापरवाह हो जाते है और अपने कार्यो को इमानदारी पूर्वक  नहीं करते है परिणाम स्वरुप हम प्रगति नहीं कर पाते और अवनति की और जाने लगते है तो उस समय पर हम अपनी किस्मत को कोसते है और पत्नी ,बच्चो के ऊपर अपना गुस्सा निकलते है माँ -बाप को उअलाहना देते है आपने हमें इस लायक नहीं बनाया ,या फिर कार्यस्थल में अपने सहकर्मियों को दोषी ठहराते की मेरा समर्थन नहीं किया आदि आदि कई बहाने ढूढ़ते है और अपनी नाकामी को छिपाने का अनर्थक प्रयास करते है यदि हम अपने  जीवन मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता हमें सुख, संतोष और शांति की राह पर ले जाती है। प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ जिम्मेदारी, जवाबदेही का भाव जुड़ता है।

मनुष्य को जिम्मेदार और जवाबदेह होना चाहिए। जवाबदेही के बिना जिम्मेदारी लेने से मनुष्य का अस्तित्व कमजोर हो जाता है। कमजोरियों से निराशा पैदा होती है। निराशा को खत्म करने के लिए हमें अपनी शक्तियों को जागृत करना होगा। प्रतिबद्धता से पैदा होने वाली ऊर्जा जीवन की समस्याओं को सुलझाने का फामरूला है। प्रतिबद्धता का अर्थ अपने- आपको किसी एक लक्ष्य और बिंदु पर केंद्रित करना है। एक बिंदु पर केंद्रित होने से कौशल और दक्षता का संचार होता है।

प्रतिबद्धता के संदर्भ में हम प्रकृति और प्राणियों से प्रेरणा ले सकते हैं। शिकार पर अचूक निशाना साधने के लिए जाना जाने वाला पक्षी बाज अपने बच्चों को जन्म लेने के साथ चुनौतियों से जूझना सिखाता है। मादा बाज अंडे देने से पहले किसी ऊंची चोटी पर घोंसला बनाती है। घोंसले में तिनकों के साथ कांटे भी गुंथे रहते हैं।

अंडों से बाहर निकलते ही बच्चों के कोमल शरीर में कांटे चुभते हैं। मादा बच्चों को घोंसले से बाहर फेंक देती है। बच्चे जैसे ही जमीन पर गिरने लगते हैं, नर उन्हे पकड़कर घोंसले में रख देता है। इस बीच मादा घोंसले से घास की परत हटा देती है।

जाहिर है,बच्चों के शरीर में कांटे और अधिक तीव्रता से चुभेंगे। इसके बाद नर बाज बच्चों को घोंसले से नीचे फेंकता है और मादा उन्हे पकड़कर लाती है। यह क्रिया उस समय तक चलती है जब तक बच्चे नीचे गिरने के खतरे को भांपकर उड़ना शुरू नहीं करते हैं। धीरे-धीरे वे अपने पंखों की अहमियत समझकर उड़ने की दक्षता हासिल कर लेते हैं। बाज कभी मुर्दा शिकार नहीं खाता है। वह तूफान के बीच तेज हवा को काटता हुआ उड़ता है। वह मुश्किलों से सीधा टकराता है।

ईश्वर और प्रकृति हमसे आशा करते हैं कि हम अपनी ताकत, क्षमता को पहचानें औ्रर जीवन के अनंत आकाश में उड़ने का कौशल विकसित करें। बाज सरीखी प्रतिबद्धता और दक्षता जीवन के हर क्षेत्र में आजमाई जा सकती है। परिवार, कारोबार, नौकरी, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में प्रतिबद्धता के जरिए सफलता, पूर्णता के नए क्षितिज पर पहुंचना संभव है।

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