सोमवार, 19 मार्च 2012

!! बौध्द धर्म क्या कायर बनाता है ?

बुद्धिज्म के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है. अभी बस केवल लगभग इतना ही पता है कि-सिद्दार्थ का क्षत्रीय राजा के घर जन्म हुआ. उन्होंने पत्नी, संतान, राजसी सुख आदि का आनंद उठाया. फिर दूसरों की पीड़ा से दुखी होकर सारे सुखों का त्याग कर दिया. ब्रक्ष के नीचे बैठ कर तपस्या की, जिससे ज्ञान प्राप्त हों गया. उनसे प्रेरित हुए लोगों ने नया धर्म चालू कर दिया. उसके कुछ सालों के बाद मौर्य सम्राट अशोक द्वारा युद्ध में खूनखराबे को देख कर द्रवित होने के बाद बुद्धिज्म को अपना लिया गया.
उसके बाद से लेकर आज तक, लगभग दो हजार साल तक, जब इस्लामी हम्लाबरों ने भारत पर आक्रमण किया, उसके बिरोध में बौद्धों के खड़े होने का कहीं कोई जिक्र नहीं मिलता है. ऐसे ही अंग्रेजों के साम्राज्य के बिरोध में भी, बौद्धों की कहीं कोई भूमिका कहीं दिखाई नहीं देती. कोई भी कौम इतनी कायर कैसे हों सकती है कि - जब देश में इत...ना संघर्ष चल रहा हों तो वो केवल तमाशा ही देखती रहे.
आज जितना अग्रेसिव होकर बौद्ध, बहुसंख्यक हिंदुओं से लड़ते हैं उसको देखकर तो लगता है कि - अल्पसंख्यक मुगलों और अंग्रेजों को तो ये अकेले ही भागने पर मजबूर कर देते. फेसबुक पर बौद्धों की बातों से लगता है कि- भारत के इतिहास के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी बौद्धों के पास ही है. कृपया मुगलों और अंग्रेजों के साथ बौद्धों के संघर्ष के इतिहास की जानकारी देने की कृपा करें. जिससे हम जैसे अज्ञानी भी महान बौद्धों की महानता से परिचित हों सकें. धन्यवाद ........
आजादी के उस संघर्ष में राजाओं (प्रथ्वी राज चौहान, महाराणा प्रताप, रानी दुर्गावती, शिवाजी, रणजीत सिंह, आदि ) , संतों (गुरु हरगोविन्द सिंह, गुरु गोविन्द सिंह, आदि ) , व्यापारियों ( भामा शाह, जमाना लाल बजाज, रविन्द्र नाथ टैगोर आदि ), वनवासी ( कोल, भील, आदि), ब्राह्मण ( मंगल पांडे, चन्द्र शेखर आजाद , राम प्रसाद बिस्मिल, आदि ), दलित (विरसा मुंडा, झलकारी बाई आदि ), मुसलमान (असफाक उल्ला खां, मौलाना आजाद, आदि ), किसान (भगत सिंह,आदि ) , खानाबदोस बंजारे, नागा साधूओं से लेकर चोर- डाकू तक लगभग हर वर्ग से लोग शामिल हुए.
मगर ऐसा कोई प्रसंग सुनने में नहीं आता कि - कहीं किसी संघर्ष में बौद्ध भी शामिल रहे हों लेकिन जब देश आजाद हों गया तो आप बौद्ध लोग उनको ही गालियाँ देने लगे. इसके अलाबा चीन, तिब्बत, अफगानिस्तान, वर्मा, थाईलैंड, इंडोनेशिया, माल्दीव् आदि में भी लतियाए जाने पर उनका मुकाबला करने के बजाये शरण देने वाले हिंदुओं को ही कोसने में लगे रहते हैं.........BY नवीन वर्मा जी द्वारा लिखित ....

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