बुधवार, 11 जनवरी 2012

!! आज सारी दुनिया में चार बड़ी हलचलें चर्चा में हैं ..!!

 
1.पूंजीवाद से निर्मित तथाकथित आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और भुखमरी.. 
2..धर्म के नाम पर शोषण, उपनिवेशवाद और ईश्वर के तथा कथित फरमान के चलते घोर प्रताड़ना, हिंसा, और आतंकवाद ..
3..जीवन के विकृत सिद्धांतों को मान लेने और उन पर आचरण करने से प्राकृतिक असंतुलन, ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, भूकम्प और हर ओर प्रदूषण का बढना ..
4..हर व्यक्ति के लिये आदर्श आचार संहिता पर आम सहमती नही होने से उत्पन्न टकराव, परिवारों का बिखरना .. इसी प्रकार जीवन के मिथ्या सिद्धांतों को स्वीकार कर लेने क़ी वजह से स्वार्थ, भोग, छल-कपट, ईर्ष्या -द्वेष तथा अप्राकृतिक जीवन शैली का बढना. फल स्वरूप रोगों का विस्तार तथा कानून और व्यवस्था का नियन्त्रण से बाहर हो जाना ..
 
हर देश में.. सरकारों, सामाजिक संगठनों और कबीलों व जन पंचायतों पर निपट स्वार्थियों का कब्जा है.. ये सभी बोलते कुछ हैं और करते कुछ और हैं.. पहले के लोग.. भाट, चारण जैसे लोगों को रखा करते थे, आज के लोग, मीडिया को मैनेज करके अपनी-अपनी जयजयकार करवाते हैं.. जनता का मनोबल और आत्मविश्वास तब भी गिरा हुआ था, आज भी गिरा हुआ है..

1 टिप्पणी:

  1. आज पीड़ा इस बात क़ी है की ईश्वर ने जब सारे मनुष्यों को एक जैसा ही बनाया है तब समाज के नेतृत्व कर्ता, पिछड़े या दरिद्र वर्ग से क्यों नही निकल रहे ?. उस पूरे वर्ग को, भूख, अशिक्षा और समस्त कमजोरियों से मुक्त करा कर विश्व व्यवस्था को सुधारना यही लक्ष्य होना चाहिए सरकार का ..
    पर आज हम सभी जानते थे यह कार्य आसान नही है .. अज्ञान से लड़ने और कमजोरियों पर विजय पाने के लिये भी 'मैन पावर ' और साधनों क़ी जरूरत थी.. वेद और उपनिषद उनके लिये शक्ति प्रदाता है .. गीता में वर्णित सांख्ययोग और कर्मयोग को उनके जीवन आचरण में प्रत्यक्ष देखा जा सकता है.. इसे ही हमें औरों के लिये भी सुझाव देना है .. मान्यता है क़ी हिंदुत्व को धारण किये अपने समाज में, लम्बे समय से सुधार नही किया गया तो अनेक विकृत मान्यताओं और परम्पराओं ने स्थान बना लिया है.. यही हमारी कमजोरी का कारण है..और हम सभी मिलकर इस कमजोरी को दूर करेगे तो आप बताये कौन कौन है मेरे साथ !!

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