गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

तीखी प्रतिक्रिया नहीं दे ,,

हम लोग कई बार चर्चा के दौरान बिना सोचे समझे तीखी प्रतिक्रिया कर देते है जिसके कारण कही ना कही किसी ना किसे एको बहुत दुःख होता है जो क्रोध से परिणित होकर ,बदले की भावना में परिवर्तित होकर दुश्मनी में बदल जाता है ,,,तो आज से ही सोच समझकर प्रतिक्रिया दे !

 यदि कोई लड़की आपसे प्रेम निवेदन करें तो क्या आप उसके नाक-कान काट लेंगें, नही ना। लक्ष्मण जी ने अपने ब्रम्हचर्य एवं वीरता के अभिमान में प्रतिक्रिया-स्वरूप शुर्पणखा के नाक-कान काट लिये। जिसकी परिणिती महाबली रावण से महायुद्ध में हुई। कई बार हमारा मातहत कर्मचारी हमारे सामने कोई बात रखता है, हम उसे ध्यान नही दे देते। दूसरी, तीसरी बार के बाद वह उसे मीटिंग में बोल उठता है अथवा लिखित रूप से दे देता है और हम भडक उठते हैं। सरकारी अधिकारी भी एक बार अपने नजरिये से महत्वहीन मानकर किसी आम आदमी की बात नही सुनता। तंग आकर वह आदमी कड़ी चिट्‌ठी या शिकायत करने लगता है। नाराज होकर अधिकारी तीखी प्रतिक्रिया स्वरूप उस आम आदमी का कार्य नही करता, बल्कि काम बिगाड़ने की कोशिश करने लगता है। ऐसा करने से वह दूसरे का या कई बार स्वयं का नुकसान कर बैठता है क्योंकि उस आम आदमी की तरफसे कोई बड़ा आदमी खड़ा होता है या उसका कार्य करने का आपको निर्देश देता है। यदि गहराई से सोंचें तो वह आम आदमी आपसे अपने मामले पर महत्व चाहता है, आप अपनी प्रभुता अपनी सत्ता के आगे उस आम आदमी के दबाव को लड़ाई की तरह देखते हैं। कितनी अजीब बात है जिस मुद्दे को सामने वाले को थोड़ा महत्व देकर उससे संवाद कर समाप्त किया जा सकता है। उसे झुठे अभिमान के कारण हम तनाव में परिवर्तित कर लेते हैं आप बहुत से मुद्दे अभिमान में प्रतिक्रिया की जगह सहज महत्व देकर निपटा सकते हैं। कई मुद्दे देर से भी दुरुस्त किये जा सकते है उन्हे अहंकार छोड़ निपटायें। सब की बेहतरी के लिए यह लेख समर्पित है । जय श्री राम ....

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